अतीक अहमद से कब तक बचकर भागेगी सपा?

पूर्व डीजीपी के प्रश्नों का उत्तर सपा को देना ही होगा!

कोई यूं ही नही कहता कि जिस गाड़ी पर सपा का झंडा , समझो है कोई कुख्यात गुंडा, इसे कहने के पीछे की भी एक विस्तृत कहानी है। जिसकी कई परतों से परदा उठ गया तो कईयों से अभी उठना शेष है।

यूपी से निकलकर कई गुंडे माफियाओं ने अपने कुकर्मों के बल पर राष्ट्र स्तर पर अपने आप को कुख्यात अपराधियों की सूची में शीर्ष स्थान पर स्थापित किया है। अब आप ये कहेंगे कि इससे सपा का क्या कनेक्शन है? कनेक्शन है बॉस।

इस लेख में पढिये कि कैसे योगी आदित्यानाथ के माफियों को मिट्टी में मिलाने वाले बयान के बाद लगातार माफियों की कमर तोड़ी जा रही है और अब कैसे सूबे के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने एक सनसनीखेज खुलासा करके माफिया अतीक अहमद को कुख्यात अपराधी बनाने वाले राजनीतिक लोगों की पोल पट्टी खोल कर रख दी है।

यूपी के प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे देश में सूर्खियां बटोरी। प्रयागराज में  उमेश पाल और उनके सुरक्षाकर्मी राघवेंद्र सिंह की माफियाओं ने गोली मारकर हत्या कर दी।

इस हत्या के पीछे जिस व्यक्ति का नाम प्रकाश में आया उस व्यक्ति के नाम से अ से अतीक और अ से आतंक का अहम रोल रहा है। वो अलग बात है कि आज यही अतीक यूपी और यूपी की पुलिस के नाम से कांपने लगता है। लेकिन प्रश्न उठता है कि गुजरात की जेल में बंद यूपी का ये कुख्यात गुंडा कैसे इतना शक्तिशाली बन गया कि उसने गुजरात में बैठकर यूपी में हत्या की वारदात करने का षंडयंत्र रच दिया। इसे जानने के लिए आपको पूर्व डीजीपी ओपी सिंह के इंडिया टूडे को दिए साक्षात्कार के उस अंश को जानना होगा जिसमें उन्होंने माफिया अतीक अहमद से जुड़ा बड़ा खुलासा किया है।

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पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने किया बड़ा खुलासा

दरअसल, ओपी सिंह ने कहा है कि अगर अतीक को राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलता तो वह 1990 में ही इस अतीक का आतंक खत्म कर देते। सिंह ने ये भी कहा कि वह तब अतीक और उसके गैंग को गिरफ्तार करना चाहते थे लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते वह ऐसा नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि अगर तब अतीक गिरफ्तार हो जाता या उसका एनकाउंटर कर दिया जाता तो  उसके आतंक का साम्राज्य इतना नहीं बढ़ पाता।

बता दें कि 1990 ये वो समय था जब मुलायम सिंह यादव राजनीति में धुरी बन गए थे। मुलायम सिंह यादव के हाथों में प्रदेश की सत्ता की बागड़ोर थी। मुलायम सिंह यादव का राज कार सेवकों पर गोली चलाने से लेकर मुस्लिम तुष्टिकरण के साथ सरकारी संपत्ति पर कब्जा और इसी प्रकार के गुंडागर्दी के आरोपों से घिरा हुआ रहा है। ये वो समय था जब कभी मुलायम सिंह यादव अतीक अहमद के कुत्ते से हाथ मिलाते थे। तो कभी माफिया अतीक अहमद मुलायम सिंह के कान में कुसर- फुसर करता था।

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राजनीतिक दबाव के कारण बच गया अतीक

DGP ओपी सिंह ने बताया कि उस समय (1989-90) वे इलाहाबाद में तैनात थे। इस दौरान उनकी टीम ने एक FIR के बाद अतीक के घर पर छापा मारा था। लेकिन, तब अतीक अहमद के समर्थकों ने उनकी टीम को घेर लिया और गोली मारने को उतारू हो गए।

पूर्व DGP ने बताया कि, उस समय पूरी टीम को गोली मार दी जाती, यदि वो ये नहीं कहते कि एक भी गोली चली, तो अतीक और उसके समर्थकों में से कोई जिन्दा नहीं बचेगा।

पूर्व DGP ओपी सिंह ने बताया कि, पुलिस के उच्च अधिकारी अतीक को उसी समय वहीं अरेस्ट कर लेना चाहते थे। लेकिन, उनके ऊपर राजनैतिक दबाव डाला गया और उन्हें खाली हाथ वहाँ से लौटना पड़ा।

पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने ये भी कहा कि उस समय उनके काम की भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और इलाहाबाद के लोगों ने प्रशंसा की थी, लेकिन सत्ताधारी दल माफियाओं का समर्थन कर रहा था, जिसके कारण अतीक का उदय यूपी के सबसे खूंखार गैंगस्टर के रूप में हुआ।

अब आप पूर्व डीजीपी ओपी सिंह के द्वारा के किए गए इस खुलासा के बाद ये तो अच्छी तरह समझ गए होंगे कि यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ ने उमेश पाल हत्याकांड पर आक्रोशित होकर यूंही नही कहा था कि सपा ने ही अतीक अहमद को प्रश्रय दिया है। उन्होंने ये बात हवा में नही कही थी कि सपा माफियाओं की पोषक है। अखिलेश यादव की तरफ इशारा करते हुए योगी आदित्यानाथ ने यू ही नही कहा था कि आप खुद माफियाओं का पोषण कर रहे हैं।

खैर अब ना तो यूपी  वैसा रहा और ना ही अब सत्ता उन लोगों के हाथ में है जिन्होंने अतीक जैसे माफियाओं के आतंक को यूपी में बढ़ावा दिया। अब अतीक और मुख्तार जैसे माफिया जेल की कैद में हैं।

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हर घड़ी इन माफियाओं को एनकाउंटर का भय खाए जा रहा है। कानून व्यवस्था को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टालरेंस की नीति का प्रदेश में माफियों के पनपने में सबसे बड़ी बाधक सिद्ध हो रही है। उमेश पाल हत्याकांड में उत्‍तर प्रदेश पुलिस एक बाद एक अपराधियों तक तेजी से पहुंच रही है।

अब तक इस मामले में पुलिस को दो कामयाबी मिल चुकी हैं। अब तक इस हत्याकांड में दो अपराधियों को पुलिस ने निपटा दिया है और आगे कोई संभावनाएं नही दिख रही हैं कि हत्याकांड में सम्मलित कोई भी अपराधी यूपी पुलिस के शिंकजे बच पाएगा। 2017 में सरकार गठन के बाद से ही राज्य में माफिया और बाहुबलियों के साथ ही उनके करीबियों पर भी रोज प्रहार हो रहे हैं।

लेकिन ये तो पूरा देश जानता ही है कि 2017 से पहले यूपी में किस प्रकार का अराजकता और गुंडागर्दी का माहौल था। गुंडे वर्दी पर भारी पड़ रहे थे। अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे माफिया के सामने लोग सिर उठाने से भी डरते थे। मुलायम और अखिलेश यादव उनके साथ अपने संबंधों को शान से प्रकट करते थे। लेकिन परिवर्तन तो देखिए वही अखिलेश यादव इन्हीं अब माफियाओं से अपना पल्ला झाड़ते दिख रहे हैं। लेकिन पल्ला झाड़ने से इन माफियाओं के द्वारा किए गए कुकर्मों पर पर्दा नही ढ़का जा सकता।

आप यूपी के इस परिवर्तन को किस तरह से देखते हैं कमेंट सेक्शन में अपने विचार अवश्य साझा करें।

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