सयाजीराव गायकवाड़ III: राजकुमार से देशभक्त बनने की कहानी

सयाजीराव गायकवाड़ III एक साधारण किसान परिवार में जन्में थे और आगे चलकर बड़ौदा राज्य के राजा बने।

सयाजीराव गायकवाड़

सयाजीराव गायकवाड़: भारत महान राजाओं एवं योद्धाओं की जन्मभूमि रही है। अलग–अलग समय में एक से बढ़कर एक शासकों ने भारत पर न सिर्फ अपना राज किया है, बल्कि अपनी कुशल कार्यक्षमता एवं रणनीति से भारत के इतिहास को गौरवपूर्ण बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इस लेख में पढे कैसे राजा सयाजीराव गायकवाड़ के बारे में , जो एक साधारण किसान परिवार में जन्में थे और आगे चलकर बड़ौदा राज्य के राजा बने।

दरअसल, राजा सयाजीराव गायकवाड़ ने न केवल बड़ौदा राज्य पर शासन किया, बल्कि उसकी प्रगति और समृद्धि को भी सुनिश्चित किया। सयाजीराव गायकवाड़ ने बड़े स्तर पर सामाजिक और शैक्षिक सुधार किए। सयाजीराव कलाओं के प्रसिद्ध पारखी और संरक्षक भी थे।

उनके शासनकाल के दौरान बड़ौदा विद्वानों और कलाकारों के लिए एक केंद्र बन गया था। उन्होंने बड़ौदा संग्रहालय और इसकी चित्रशाला का निर्माण भी करवाया, जिसमें उनके बेशकीमती आभूषणों का संग्रह प्रदर्शित है।

गोपाल राव गायकवाड़ का जन्म 11, मार्च 1863 को नासिक के कुल्वाने गांव में हुआ था। उनका मूल नाम गोपालराव था।

इनके पिता काशी नाथ का बड़ौदा राजपरिवार से दूर का सम्बन्ध था। बड़ौदा के महाराज मल्हार राव गायकवाड़ की निःसंतान मृत्यु के बाद उनकी विधवा पत्नी महारानी जमुना बाई ने गोपाल राव को 27 मई 1875 को गोद ले लिया।

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जिसके बाद उनका सयाजी राव गायकवाड़ रखा गया। महारानी ने सयाजी राव गायकवाड़ का राज्याभिषेक 18 वर्ष की आयु में 28, नवम्बर,1881 को कराया।

सयाजी राव गायकवाड़ ने अपने कार्यकाल  सर्वप्रथम बड़ौदा रियासत की आर्थिक स्थिति में सुधार किया। वर्ष सयाजी राव गायकवाड़ ने 1883 में सलाहकारों को नियुक्त कर जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई। न्याय व्यवस्था में विशेष सुधार किया।

प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया

1893 में प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया। सयाजी राव गायकवाड़ का शिक्षा पर विशेष ध्यान था। महाराजा सयाजीराव शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और कलाओं के आश्रयदाता थे।

देश के अनेक युगपुरुषों और संस्थाओं को उन्होंने सहायता प्रदान की जिनमें दादाभाई नौरोजी, नामदार गोखले, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, न्यायमूर्ति रानडे, महात्मा फुले, राजर्षि शाहू, डॉ. आम्बेडकर, मदनमोहन मालवीय, कर्मवीर भाऊराव, वीर सावरकर, महर्षि शिंदे का नाम भी सम्मलित है।

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उन्होंने जरूरतमंद तथा गरीब विद्यार्थियों को छात्रवृति देकर उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान किए। सामाजिक क्षेत्र में उनका बड़ा योगदान रहा। पर्दा पद्धति पर रोक, कन्या विक्रय पर रोक, मिश्र जाति विवाह को समर्थन, महिलाओं को वारिस अधिकार, अस्पृश्यता निवारण, विधवा विवाह और तलाक के अधिकार का कानून बनाए।

सयाजी राव गायकवाड़ ने दुनियाभर की शासन पद्धतियों का अध्ययन किया। राज्य चलाना एक शास्त्र है। इसलिए राजा का ज्ञानसंपन्न होना अत्यधिक जरूरी है, इस पंक्ति को ग्रहण कर सयाजीराव ने स्वयं ज्ञान पाया।

शासन पद्धतियों का अध्ययन

दुनियाभर की शासन पद्धतियों का अध्ययन किया। शिक्षण और विज्ञान ही प्रगति तथा परिवर्तन का साधन है,इसे महाराजा ने बखूबी जाना था।

आपको बता दें कि बडौदा नरेश महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने विजया बैंक जिसे अब बैंक आफ बडौदा के नाम से जाना जाता है उसकी स्थापना 20,जुलाई,1908 को गुजरात में की थी।

इन्होंने ही भीमराव अम्बेडकर को विदेश पढ़ने जाने के लिए छात्रवृति प्रदान की थी।

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बड़ौदा में उनके द्वारा सुन्दर वास्तु, राजमहल, वस्तु संग्रहालय, कलाविधि, श्री सयाजी रुग्णालय, नजरबाग राजवाड़ा, महाविद्यालयों की इमारते आदि निर्माणों से बड़ौदा नगरी कलापूर्ण तथा प्रेक्षणीय बनी है।

उन्हें पर्यटन की विशेष रुचि थी। उन्होंने दुनिया भर में यात्रा की जहाँ-जहाँ जो-जो उन्हें अच्छा लगा उन्होंने अपने सम्रराज्य के विकास हेतु उसका उपयोग और प्रयोग किया।

महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ स्वतंत्रता सेनानियों के समर्थक और प्रतिभाशाली लेखक थे। उनकी किताबें, भाषण, पत्र देश का अनमोल भंडार है।

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