आज वैश्विक स्तर पर लगातार भारत की भूमिका बढ़ रही है। जिसके देखते हुए दुनिया के कई शक्तिशाली देश भारत के साथ अपने संबंध प्रगाढ़ करना चाहते हैं। भारत ने हाल के वर्षों में विकासशील देशों की शक्तिशाली आवाज के रूप में स्वयं को स्थापित किया है। ऐसे में जी-20 की अध्यक्षता करना भारत के लिए अत्यंत लाभकारी है। वहीं जी-20 में पश्चिमी देश निरंतर प्रयास में लगे हैं कि भारत जी-20 के मंच का प्रयोग करके रुस-यूक्रेन युद्ध पर बयानबाजी करे परन्तु भारत का हमेशा से इस युद्ध को लेकर निष्पक्ष मत रहा है। भारत का निष्पक्ष मत पश्चिमी देशों को हमेशा से चुभता आया है। वर्तमान समय में भारत विकासशील देशों और ग्लोबल साउथ के लिए मजबूत आवाज बनकर उभरा है।
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कहा जाता है कि “जब भू-राजनीति में कोई किसी का स्थायी मित्र या स्थायी शत्रु नहीं होता है। कूटनीति के इस व्यावहारिक और एकमात्र सत्य को ध्यान में रखते हुए, भारत दो युद्धरत गुटों के अमिट मतभेदों के बीच से अपने राष्ट्रीय हितों का पीछा कर रहा है। ऐसे समय में जब दुनिया भर के राष्ट्र भारतीय जी-20 अध्यक्षता पर अपनी उम्मीदें लगा रहे हैं, तब यह समझना अनिवार्य है कि भारत अपनी कूटनीति का संचालन कैसे कर रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी की ताजा टिप्पणी से स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारत किसी भी राष्ट्र को अपने जी-20 अध्यक्षता से समझौता नहीं करने देगा और अपने अध्यक्षता कार्यकाल मेंविश्व क हित की बात करेगा।
दरअसल, दुनिया के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के संगठन जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक गुरुवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में शुरु हुई। बैठक के आरम्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य मंत्रियों ने हाल ही में तुर्कीये व सीरिया में आए भयंकर भूकंप में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए एक मिनट का मौन धारण किया।
पीएम नरेन्द्र मोदी का पश्चिमी देशों को स्पष्ट संदेश
इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी के संदेश के साथ बैठक की आधिकारिक शुरुआत हुई। पीएम मोदी ने अपने संदेश में विश्व को ध्रुवों में विभाजित करने वाले बयानों का चयन ना करके। मूलभूत समस्याओं के विषय को चुना। अपने संदेश में पीएम मोदी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक गवर्नेंस की जो व्यवस्था बनाई गई थी वह असफल हो चुकी है।
खास तौर पर पिछले दो वर्षों के दौरान दुनिया में महामारी, आतंकवाद, प्राकृतिक आपदा और युद्ध का जो अनुभव हुआ है उससे भी यह साफ हो रहा है। वैश्विक गर्वनेंस की असफलता का सबसे ज्यादा प्रभाव विकासशील देशों को उठाना पड़ रहा है। पीएम मोदी ने विकासशील देशों पर बढ़ते कर्ज की स्थिति के मुद्दे को भी उठाया। साथ ही उन्होंने खाद्य व ऊर्जा को लेकर बढ़ रही चुनौतियों को भी गिनाया। यह उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी विश्व के एकमात्र प्रमुख नेता हैं, जो इन देशों के साथ रणनीतिक संबंधों के विकास पथ को बाधित किए बिना बार-बार धनी देशों का आह्वान करते रहे हैं और उन्हें फटकारते रहे हैं।
यह सत्य है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश पर्यावरण के खिलाफ अपराध करने और इसे प्रदूषित करने के दोषी हैं। अपने पापों का दोष लेने के बजाय, वे विकासशील राष्ट्रों पर इसका ठीकरा फोड़ते आए हैं। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने इस तथ्य को तथाकथिक रूप में उजागर किया। पीएम मोदी ने टिप्पणी की कि विकासशील देश ‘अमीर देशों की वजह से’ ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
G20 विदेश मंत्रियों की बैठक
पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान विश्व को एकसूत्र में बांधने वाली बातें की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 विदेश मंत्रियों की बैठक का संबोधन करते हुए भारत पहुंचे जी20 देशों के विदेश मंत्रियों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि यह बैठक एकता, एक उद्देश्य और कार्रवाई की एकता की आवश्यकताओं को को बल देती है। मुझे उम्मीद है कि आज की आपकी बैठक आम और ठोस उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ आने की भावना को दर्शाएगी।
कुछ देश, खासकर पश्चिमी देश, भारत की जी-20 अध्यक्षता से समझौता करने का प्रयत्न कर रहे हैं। वे इसे केवल रूस की आलोचना और आलोचना करने के एक मंच के रूप में सीमित करना चाहते हैं। जबकि जापान जैसे कुछ राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हितों को साधने में लगे हैं और रूस विरोधी बयान जारी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए – फ्रांस और जर्मनी ने भारत को रूसी आक्रमण के खिलाफ बोलने के लिए उकसाया। इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने हाल ही में अपनी भारत यात्रा के दौरान पश्चिम की चिंताओं को दोहराया था। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, यूरोप की समस्याएं विश्व की समस्या बन रही हैं”। कई देश भारत के बढ़ते वैश्विक दबदबे और वैश्विक स्तर पर वैश्विक दक्षिण और अन्य गैर-प्रतिनिधित्व वाले देशों की आवाज बनने से बुरी तरह परेशान हैं। इसके लिए वे आधारहीन रिपोर्ट, अफवाहें और फर्जी खबरें फैलाने सहित भारत की जी-20 अध्यक्षता को कमजोर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
अध्यक्ष के रूप में भारत की प्राथमिकताएं
कुछ समय पूर्व ही मीडिया हलकों में एक अफवाह फैलाई गई थी। यह दावा किया गया था कि जापानी विदेश मंत्री जी-20 बैठक को छोड़ देंगे और उनके डिप्टी बैठक में भाग लेंगे। लेकिन बाद में जापान के विदेश मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से जी-20 बैठक में भाग लेकर इन सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया। एक कदम और आगे बढ़ते हुए, इस वर्ष G-7 समूह के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने भारत की G-20 अध्यक्षता के लिए पूरे G-7 राष्ट्रों का समर्थन भी बढ़ाया। उन्होंने कहा कि 2023 एक महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि जापान G7 की अध्यक्षता करेगा और भारत G20 की अध्यक्षता करेगा। उन्होंने विशेष रूप से ग्लोबल साउथ की चिंताओं को दूर करने के लिए भारत के नेतृत्व की भी सराहना की। जापानी विदेश मंत्री ने कहा, “जनवरी में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट की मेजबानी सहित भारत के उत्कृष्ट नेतृत्व को देखते हुए, भारत के साथ समन्वय अब और भी महत्वपूर्ण है। जापान वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर है।”
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ऐसे में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में पीएम मोदी ने पश्चिमी देशों को स्पष्ट संकेत दिया कि भारत जी-20 अध्यक्षता से समझौता नही होने देगा। जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में अपने संबोधन में, पीएम मोदी का झुकाव इस बात पर रहा कि समूह के अध्यक्ष के रूप में भारत की प्राथमिकताएं क्या होंगी। उन्होंने स्पष्ट रूप से रेखांकित किया कि वैश्विक भलाई के अन्य मुद्दों के रास्ते में विभाजनकारी मुद्दों को न आने देने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
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