हनुमान चालीसा के जयकारों से “हनुमान दिवस” बनेगा ग्लोबल

हनुमान जी हो साथ तो किस बात की चिंता....

“जय हनुमान ज्ञान गुण सागर,

जय कपीस तिहुं लोक उजागर…..”

Hanuman Chalisa event: यह मंगल ध्वनि सुनते ही तन मन में जो स्फूर्ति आती है , उसका शब्दों में वर्णन करना लगभग असंभव होगा। चाहे बालपन की चंचलता हो या युवावस्था की ऊर्जा, हर स्थिति और हर समय में हनुमान चालीसा एक अलग ही आनंद देती है। चाहे आध्यात्मिक दृष्टि से सुने, या फिर नैतिक, यह गीत हमें सदैव ऊर्जा और आत्मविश्वास से लबालब करता है, और इसी स्फूर्ति को अब एक वैश्विक अभियान में शीघ्र ही परिवर्तित किया जाएगा।

इस लेख में जानिये  नागपुर के एक विशिष्ट अभियान (Hanuman Chalisa event) को , और कैसे हनुमान चालीसा के जयकारों से ये अभियान एक वैश्विक रूप लेगा।

हनुमान जी की बात ही कुछ और है

पवनपुत्र हनुमान। ये शब्द सुनते ही मन प्रफुल्लित सा हो जाता है। भारतवर्ष की संस्कृति तो ऐसी है, कि यहाँ के कण कण में हम ईश्वर को खोजते हैं और उनकी उपासना करते हैं।

ऐसे में जो निश्छल भक्ति का प्रतिरूप हो, जो ज्ञान का असीमित सागर समान हो, जिसके पौरुष से लंकाधिपति रावण भी कंपयमान हो जाए, उनका वर्णन कुछ ही शब्दों में करना लगभग असंभव है।

परंतु हनुमान चालीसा वो रूप है, जिनमें बजरंगबली के समस्त व्यक्तित्व को सबसे सरल और सबसे विशिष्ट रूप में समाहित किया गया है। ये ऐसा गीत है, जो समाज के हर बंधन को वैसे ही लांघकर लोगों को अपना बनाता है, जैसे पवनपुत्र हनुमान ने अपनी शक्ति का आभास होने पर सीता माता का पता लगाने हेतु समुद्र लांघा था। यूं ही नहीं कहा जाता है,

“प्रभु मुद्रिका मेली मुख माही,

जलधि लांघी गए अचरज नाहीं।

दुर्गम काज जगत के जेते,

सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते!”

हनुमान भक्ति अब होगी ग्लोबल

ऐसा ही एक उज्ज्वल कार्य अब नागपुर में श्री निखिल चंदवानी ने पूर्ण किया है, और शीघ्र ही इसे एक वैश्विक स्वरूप मिल सकता है। उनसे वार्तालाप के अंश अनुसार,

“तीन दिवस पूर्व मुझे स्वप्न आया कि मैं अपने नगर के युवाओं को एक जगह एकत्रित करूँ, और आज वह स्वप्न साकार हुआ है। मैंने यह बात अपनी धर्मपत्नी से साझा की, और आगे जो कुछ हुआ, उसपे मुझे स्वयं विश्वास नहीं हो रहा था।

श्री हनुमान की शक्ति, उनकी भक्ति और भोले बालक सा स्वभाव मुझे सदैव से प्रेरित करता ये है, और वयस्क होकर भी ये प्रेरणा अक्षुण्ण रही है। ऐसे में हनुमान चालीसा का सार्वजनिक पाठ करने का मेरा स्वप्न यदि वास्तविकता में परिवर्तित हुआ है, तो ये सबके सहयोग से संभव हुआ है”।

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भक्ति में ही शक्ति है….

परंतु ये सब हुआ कैसे? इसी के बारे में श्री निखिल चंदवानी बताते हैं, “हमने भारत के भौगोलिक केंद्र, Zero Mile पर हनुमान चालीसा का पाठ (Hanuman Chalisa event) करने का निर्णय किया। हमें लगा था कि हमारे सोशल मीडिया के पोस्ट्स सुनकर ज्यादा नहीं तो 20 से 30 लोग तो आ ही जाएंगे, और किसी भी स्थिति में ये हमारे लिए एक अविस्मरणीय क्षण होने वाला था। परंतु हमारी अपेक्षाओं के विपरीत, भारत के भौगोलिक केंद्र यानि नागपुर के Zero Mile क्षेत्र में 1000 से अधिक भक्तगण प्रस्तुत हुए, और उन्होंने इस आयोजन को और भी भव्य बनाया”।

निखिल चंदवानी ने आगे कहा, “इस आयोजन (Hanuman Chalisa event) के लिए हम जय श्री राम सेना के आभारी हैं, जिन्होंने इस आयोजन के माइक्रो प्रबंधन में हमारा सहयोग किया। इसके साथ सागर पाण्डेय [जो पेशे से इन्फ्लुएन्सर हैं] ने बतौर होस्ट मेरा भरपूर साथ दिया, और Hanuman Chalisa event से ज्यादा से ज़्यादा लोग, उसके लिए शिशिर त्रिपाठी और उनके टीम ने विशिष्ट प्रबंध किया”।

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परंतु वे इतने पे नहीं रुके। उन्होंने ये भी बताया, “इन 1000 भक्तगनों के संग 1000 और व्यक्ति उपस्थित थे, जो आयोजन क्षेत्र के बाहर से ही हनुमान चालीसा का पाठ करने में जुट गए। इस आयोजन के आरंभ से पूर्व हमने सुनिश्चित कराया कि सभी लोग अपने मस्तक पर तिलक लगाएँ, और समस्त भक्तजनों से अपने अपने जूते उतारकर, नंगे पाँव हनुमान चालीसा का अनुरोध करने को कहा”।

उन्होंने ये भी कहा कि Hanuman Chalisa event को अब वे शीघ्र ही वैश्विक स्तर पर ले जाएंगे और जल्द ही नागपुर के साथ देश के कोने कोने में वे शनिवार को सायंकाल हनुमान चालीसा का पाठ करवाएंगे। उनके शब्दों में, “सैटर्डे को पार्टी बहुत कर ली, अब थोड़ी भक्ति भी हो जाए!”

किसी ने सही ही कहा है, भक्ति में ही शक्ति है। अन्यथा जिस आयोजन के लिए अधिक से अधिकतम 100 लोगों की आशा की जा रही थी, वहाँ एकसाथ 2000 लोग कैसे उपस्थित हुए? परंतु यही हनुमान चालीसा का सबसे उत्कृष्ट भाग है : इसे सुनकर कोई भी इसके पाठ में सम्मिलित हुए बिना नहीं रह सकता, और नागपुर Zero Mile में हुआ हनुमान चालीसा का पाठ इसी बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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सियावर रामचन्द्र की जय, पवनसुत हनुमान की जय!

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