इंडिया हाउस: भारत के क्रांतिकारी आंदोलन का उद्गम स्थल

श्यामजी कृष्ण वर्मा और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अहम भूमिका

इंडिया हाउस: भारत को विदेशी आक्रांताओ से स्वतंत्रता दिलाने में क्रांतिकारियों के बलिदानों की गणना करना उतना ही कठिन है जितना नीलगगन के नवरत्नों की गणना करना। ये इसलिये क्योंकि ना जाने कितने क्रांतिकारी फांसी के फंदे पर झूले थे और ना जाने कितनों ने सीने पर गोलियां खाईं थी। तब जाकर हमारी मातृभूमि भारत ने स्वतंत्रता पायी थी।

परन्तु इस स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों ने ना केवल भारत की धरती पर रहकर संघर्ष किया बल्कि भारत माता के अनगिनत सपूतों ने विदेशी धरती से भी इस स्वतंत्रता संघर्ष मे अपने हिस्से की आहुति दी । ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे श्यामजी कृष्ण वर्मा जो इतिहास के किसी अनाम पुस्तक के कुछेक पन्नो में परिक्षेप होकर रह गए। श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म तो भारत में हुआ लेकिन मातृभूमि के इस संग्राम मे वो विदेश से संघर्ष करते रहे।

स्वतंत्रता संग्राम

श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म 4 अक्टूबर 1857 को गुजरात  के कच्छ जिले के माण्डवी कस्बे में हुआ था। जब हम गुजरात से आने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की बात करते हैं तो हमारे मस्तिष्क में चंद स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में विचार आता है। लेकिन गुजरात से आने वाले श्यामजी कृष्ण वर्मा का आजादी के लिए संघर्ष भी किसी स्वतंत्रता सेनानी से कम नहीं था।

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भारत को परतंत्रता से मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने इंग्लैंड की धरती को अधिक उपयोग करना उपयुक्त समझा। इंग्लैंड पहुंचने पर उन्होंने एक मकान खरीद कर वहां से कार्य शुरू किया। भारत में होने वाले अंग्रेजी सरकार के अत्याचारों का विरोध करने तथा भारत की वास्तविक स्थिति संसार के सामने रखने के लिए श्यामजी कृष्ण वर्मा ने 1905 में “इंडियन सोशियोलाजिस्ट” मासिक पत्रिका शुरू की और अपने निवास स्थान पर “इंडियन होम रूल सोसाइटी” की स्थापना की। इस सोसाइटी के प्रथम अध्यक्ष श्यामजी कृष्ण वर्मा ही बनाए गए.

इंडिया हाउस

भारत को परतंत्रता से मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने इंग्लैंड की धरती को अधिक उपयोग करना उपयुक्त समझा। इंग्लैंड पहुंचने पर उन्होंने एक भव्य भवन खरीद कर वहां से कार्य शुरू किया। भारत में होने वाले अंग्रेजी सरकार के अत्याचारों का विरोध करने तथा भारत की वास्तविक स्थिति संसार के सामने रखने के लिए श्यामजी कृष्ण वर्मा ने 1905 में “इंडियन सोशियोलाजिस्ट”मासिक पत्रिका शुरू की और अपने निवास स्थान पर “इंडियन होम रूल सोसाइटी” की स्थापना की। इस सोसाइटी के प्रथम अध्यक्ष श्यामजी कृष्ण वर्मा ही बनाए गए।
ये वो समय था जब इंग्लैंड में शिक्षा लेने जाने वाले भारतिय मूल के विद्यार्थियों को वहां रहना में अत्यन्त कठिनाई होती थी। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने उनके रहने की सुविधा के लिए एक विशाल भवन खरीद कर “इंडिया हाउस” की स्थापना की। “इंडिया हाउस” भारतीय छात्रों का गढ़ बन गया। सावरकर तथा मदनलाल ढींगरा आदि नौजवान इंडिया हाउस में रहकर श्यामजी कृष्ण वर्मा से देशभक्ति की दीक्षा लेने लगे। सावरकर ने उनके मार्गदर्शन में एक पुस्तक भी लिखी। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने इंग्लैंड की धरती से क्रांति की ज्योत जलाई और लन्दन में रहते हुए उन्होंने इण्डिया हाउस की स्थापना की। जो इंग्लैण्ड जाकर पढ़ने वाले छात्रों के परस्पर मिलन एवं क्रांतिकारियों के प्रशिक्षण का एक प्रमुख केन्द्र बना।

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भारत के स्वाधीनता आंदोलन की प्रतिश्रुति इंडिया हाउस के अस्तित्व में आने से पूर्व ब्रिटेन में ऐसी कभी नहीं सुनी गई थी। इसका उद्देश्य क्रांतिकारी या भारतीय विद्यार्थियों को एक प्लेटफार्म देना था ताकि वे विचार विमर्श कर सके और विदेश रहकर देश की स्वतंत्रता आंदोलन में अपना योगदान दे सके। समय बीतता गया और इंडिया हाउस क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बन गया और इस स्थल को केन्द्र बनते हुए श्याम जी कृष्ण जी ने आधुनिक भारत के कई क्रांतिकारियों को तैयार किया। लोकमान्य तिलक, लाला लाजपत राय, गोपाल कृष्ण गोखले, गांधी यत्किंचित अभिधान हैं जिन्होने स्वतंत्रता के अभियान मे अपने स्मृतिचिह्न छोड़े।

श्यामजी कृष्ण वर्मा जी के इस योगदान के लिये उनको सदर नमन।

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