ITEC course भारत की अफगान नीति: टैग और लेबल से परे ये कार्य

भारत की कूटनीति का हिस्सा है ये प्रशिक्षण

ITEC course: भारत ने अपनी शक्तिशाली वैश्विक कूटनीति के बल पर पूरे विश्व को भारत की ओर देखने के लिए विवश किया है। विश्वव के कई देशों में भिन्न भिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हुईं। लेकिन भारत ने खुद को स्थिर बनाए रखा। जिसका प्रत्यक्ष उदाहारण रुस और यूक्रेन का युद्ध है।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत हर वो कदम उठाने के लिए तैयार है जिसमें उसका हित  हो। जहां अब इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय अफगानिस्तान में तालिबान के सदस्यों के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग का एक कोर्स चलाया । इस प्रशिक्षण में तालिबानी अधिकारियों ने भारत के कारोबारी माहौल, सास्कृतिक विरासत और रेगुलेटरी इकोसिस्टम को समझा।

ITEC course: भारत का तालिबान के लिए शॉर्ट टर्म कोर्स

यह प्रशिक्षण विदेश मंत्रालय के एक विभाग “इंडियन टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन” द्वारा आयोजित  किया गया। इस ट्रेनिंग के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कोझिकोड का चयन किया गया है। इस कोर्स का आयोजन 14 मार्च से 17 मार्च तक किया गया। ITEC course में भाग लेने के लिए किसी भी अफगानिस्तानी नागरिक को भारत आने की आवश्यकता नहीं पड़ी ।

और पढ़ें- पाकिस्तान के लिए गले में फंसी हड्डी के समान हो गया है तालिबान

इमर्जिंग विद इंडियन थॉट्स नाम का ITEC course खास तौर से विदेशी प्रतिभागियों के लिए डिजाइन किया गया है।  मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के तालिबान के सदस्यों को भी इसमें भाग लेने का न्योता दिया था, जिसे तालिबान ने स्वीकार कर लिया था।

भारत की कूटनीति का हिस्सा है ये प्रशिक्षण

ऐसा नही है कि ITEC course केवल तालिबान के लिए ही नहीं है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, इसमें अफगानिस्तान के अलावा थाईलैंड और मलेशिया से भी प्रतिभागी भाग लेंगे। ऐसे में कई देश भारत की अंगुली उठा सकते हैं क्योंकि अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार को किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है। भारत ने भी नही। अब भारत ये कदम ऐसे ही तो नही उठाया होगा।

और पढ़ें: Delhi Dialogue Effect: चीन प्रायोजित पाकिस्तानी पोर्ट को ठेंगा दिखाकर तालिबान ने थामा चाबहार का हाथ!

दरअसल, जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था, तब  भारत के सामने विकल्प ये थे कि या तो वह तालिबान से दूरी बना ले और पाकिस्तान और तालिबान के गठजोड़ तो पनपने का मौका दे। वहीं दूसरे विकल्प के तौर पर भारत तालिबान से धीरे धीरे कूटनीतिक व्यस्तता विकसित कर सकता था जिससे तालिबान की कम से कम भारत विरोधी गतिविधियों में संतलिप्ता ना हो। ऐसे में भारत को अपने हितों के लिए तालिबान से कूटनीतिक संबंधों  को लेकर गंभीरता से विचार कर रहा है।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version