किसे पता था कि कल तक प्रधानमंत्री मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती देने वाला आज अपनी ही जान बचाने के लिए मारा मारा फिरेगा। कल तक जो अमृतपाल सिंह खालिस्तान के लिए भारत को मिट्टी में मिलाने की बात करता था, आज उसी का कुछ अता पता नहीं है। इस लेख में पढिये कि आखिर अमृतपाल सिंह कहाँ है?
कहाँ गया अमृतपाल सिंह?
जैसा कि पूर्व के वीडियो हमने बताया था, इस समय अमृतपाल सिंह के पीछे कोई एक संस्था नहीं है।
केंद्र सरकार हो, पंजाब सरकार या फिर राजकीय पुलिस, इस समय सबका लक्ष्य एक है : अमृतपाल सिंह।
पंजाब पुलिस द्वारा खालिस्तान समर्थक एवं “वारिस पंजाब दे” के कथित संचालक अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। पंजाब पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है। पुलिस ने अमृतपाल के फायनेंसर और सलाहकार को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए अमृतपाल के 4 खास करीबियों को विशेष विमान से असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया है। उन्हें यहीं की सेंट्रल जेल में रखा जाएगा। शनिवार से पंजाब पुलिस द्वारा शुरू किए गए अभियान में वारिस दे पंजाब गैंग के कुल 78 सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
अमृतपाल के फरार होने के घटनाक्रम की जानकारी जालंधर के DIG स्वप्न शर्मा ने NDTV से साझा की। IPS शर्मा ने बताया कि पुलिस अमृतपाल के खिलाफ चलाए गए अभियान को सफल मानती है क्योकि इस से उसके काफिले का पता चला है। DIG के मुताबिक पुलिस द्वारा 15-16 किलोमीटर तक पीछा किए जाने के बाद भागता अमृतपाल आबादी के अंदर घुस गया था। यहाँ अमृतपाल ने आम लोगों को ढाल बनाया और भागने में सफल रहा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमृतपाल सिंह के अमृतसर स्थित घर पर भारी फ़ोर्स तैनात कर दी गई है। अमृतपाल के गाँव का नाम जल्लूपुर खेड़ा है। इसी के साथ पूरे प्रदेश में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इसी के साथ प्रदेश भर में तमाम खालिस्तानी समर्थकों के ठिकानों पर लगातार दबिश दी जा रही है।
इसी दबिश के दौरान अमृतपाल के फाइनेंसर सरबजीत सिंह कलसी और सलाहकार दलजीत सिंह कलसी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। अमृतपाल की 2 कारों को जब्त कर लिया गया है और उनके बंदूकधारी को हिरासत में ले लिया गया है।
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जेल में नहीं तो कहाँ?
परंतु प्रश्न तो अब भी व्याप्त है : अमृतपाल है किधर? क्या वह जेल में है, या पंजाब से बाहर निकल गया? क्या वह अभी भी स्वच्छन्द घूम रहा है?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर हाँ और न दोनों में हो सकते हैं। अगर अमृतपाल जेल में होता, तो अब तक पंजाब पुलिस इसकी घोषणा कर चुकी होती। इतने समय तक न कोई शांत रहेगा, और न ही जेल कोई ऐसी जगह है जहाँ अमृतपाल को कोई ढूंढ न सके। अगर जेल में अमृतपाल होता, तो मुख्तार अंसारी, या फिर बिहार के महतो गैंग की भाँति अंदर से ही अपना “राजपाट” चला रहा होता, और ऐसी चीज़ें छुपाये नहीं छुपती।
तो क्या अमृतपाल पंजाब से बाहर गया है? संभव है, परंतु इतनी जल्दी नहीं। आप अच्छे हो या बुरे, आपके विचार के आधार पर आपके समर्थक बन ही जाते हैं।
ऐसे में एकदम से पिंड छुड़ाना किस एंगल से आपको संभव प्रतीत होता है?
बड़े से बड़े अपराध में भी अपराधी अगर अपने निशान हटाना चाहता है, तो कुछ प्लानिंग अवश्य होती है। माना कि पंजाब में अराजकता काफी बढ़ी है, परंतु अमृतपाल न तो इतना शक्तिशाली है कि उसके एक इशारे पर भगवंत मान उसे भूमिगत कराने में सहायता करे, और ना ही उसके पास डोरेमॉन का ऐनीवेयर डोर है कि दो मिनट में बॉर्डर पार या अपने प्रिय कनेडा पहुँच जाए।
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ब्लू स्टार की संभावना भूल जाएँ… . .
चलिए एक बार को मान लेते हैं कि अमृतपाल सिंह बचकर निकल गए, परंतु बिना अपना रंग रूप बदले वह जायेंगे किधर, और कब तक छुपे रहेंगे? भेस बदलकर भागने के लिए भी कुछ नहीं तो 12 घंटे चाहिए, और 18 मार्च से ही पंजाब हाई अलर्ट पे है। अब भी आपको लगता है कि अमृतपाल बचकर निकल गए होंगे?
तो अमृतपाल के पास विकल्प क्या है? क्या वे विद्रोह करेंगे? सुनने में अच्छा लग रहा है, परंतु वे पंजाब के किसी भी कोने से कर सकते थे। भूमिगत क्यों हुए?
क्या वे कुछ ऐसा करने की प्लानिंग कर रहे हैं, जिससे 2021 का लाल किला वाला उपद्रव या फिर “ऑपरेशन ब्लूस्टार” को दोहराया जा सके?
जैसा कि पहले भी कहा था, हर चीज़ के लिए, चाहे उपद्रव हो या प्रदर्शन, प्लानिंग होती है, पैसा लगता है और राजनीतिक समर्थन तो है ही। परन्तु अमृतपाल के पास ऐसा कुछ भी नहीं, और ये 1984 नहीं, 2023 है। जब एक अत्याधुनिक ड्रोन से आपके घड़ी की टाइमिंग पता चल जाए, तो अमृतपाल किस खेत की मूली?
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क्या अमृतपाल “हिरासत में”?
अब प्रश्न ये उठता है : क्या अमृतपाल सिंह पहले ही हिरासत में लिए जा चुके हैं? कोई बोले न बोले, पर कुछ तथ्य इस ओर भी संकेत देते हैं। उदाहरण के लिए अमृतपाल सिंह पर रासुका के अंतर्गत कार्रवाई हो रही है, और भगवंत मान से मुलाकात के बाद से ही गृह मंत्रालय पंजाब सरकार के निरंतर संपर्क में है।
जब पंजाब पुलिस बोलती है कि उसके पास नहीं, और केंद्र सरकार एवं पंजाब दोनों मौन धारण करें, तो फिर अमृतपाल क्या NIA या IB के हत्थे चढ़ा है?
अगर हाँ, तो ये अमृतपाल के लिए किसी प्रलय से कम नहीं, क्योंकि NIA के भी अपने तौर तरीके होते हैं।
स्वयं अमृतपाल के अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस की 150 गाड़ियों का काफिल हो और अमृतपाल अपनी गाड़ी से फरार हो जाए, ऐसा हो नहीं सकता है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और 24 घंटे बीत जाने के बाद भी कोर्ट के सामने पेश नहीं किया है।
अब अमृतपाल कहाँ है, ये तो अमृतपाल जाने या उसके शुभचिंतक, परंतु इतना तो स्पष्ट है: अमृतपाल बचेगा नहीं!
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