जॉर्जिया में ट्रेनिंग से “मानव बम” बनाने तक : पंजाब पर से बहुत बड़ी विपदा टली है

अगर अमृतपाल सफल होता तो....

Amritpal Singh report: जब से उग्रवादी अमृतपाल सिंह का मामला सामने आया है, उसके और उसके गिरोह के लिए दिन प्रतिदिन राह मुश्किल बन रही है। जगमीत सिंह जैसे कुछ चरमपंथी छोड़ दें, तो उसे भारत के अधिकांश सिखों से कोई समर्थन नहीं मिल रही है। परंतु कुछ ऐसे भी तथ्य सामने आए है, जिससे स्पष्ट होता है कि आखिर क्यों केंद्र और पंजाब सरकार की ये संयुक्त कार्रवाई अवश्यंभावी थी।

इस लेख में पढिये  कि कैसे अमृतपाल सिंह एवं उसके सहयोगियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई पंजाब सरकार और केंद्र सरकार ने पंजाब को एक बहुत बड़ी विपदा से बचाया। तो अविलंब आरंभ करते हैं।

सनसनीखेज रिपोर्ट ने खोली पोल 

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को लेकर नित नए रहस्योद्घाटन हो रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के साथ तैयार किए गए एक डोजियर (Amritpal singh report) में खुलासा हुआ है कि अमृतपाल सिंह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के इशारे पर दुबई से भारत आया था। इसके लिए उसने जॉर्जिया में ट्रेनिंग ली थी।

देश की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने अमृतपाल सिंह को लेकर अपने-अपने इनपुट दिए हैं। इस इनपुट के सहारे एक खुफिया डोजियर तैयार किया गया है। इस डोजियर में दावा किया गया है कि कैसे अमृतपाल सिंह विदेशों में रह रहे खालिस्तानी आतंकियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के इशारे पर दुबई से भारत आया था।

इससे पहले उसे भारत में खालिस्तान की जड़ों को मजबूत करने और पंजाब में उग्रवाद को बढ़ावा देने के लिए ISI ने दुबई में पैसों का ऑफर दिया था। इस ऑफर के चलते ही अमृतपाल सिंह साल 2022 में भारत आया था। इससे पूर्व दुबई में ही अमृतपाल सिंह अपना जीवनयापन कर रहा था।

हालाँकि भारत आने से पहले वह पूर्वी यूरोपीय देश जॉर्जिया गया था। वहाँ ISI के इशारे पर उसे भारत में आतंक फैलाने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी गई, जैसे किसी स्लीपर सेल एजेंट को दी जाती है, और ISI इस टेकनीक में कितना कुशल है, ये किसी से नहीं छुपा है।

इस ट्रेनिंग में उसे हथियार चलाने से लेकर भारत का माहौल खराब करने के लिए पूरी तरह से तैयार किया गया था। यही कारण है कि अमृतपाल सिंह के भारत आने के बाद से पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियाँ जोर पकड़ रहीं थीं।

इन कड़ियों को जोड़ने पर यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि जैसे जैसे भारत में खालिस्तानी गतिविधियों की बढ़ोतरी हुई , वैसे ही कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमलों की संख्या में भी अचानक से बढ़ोतरी हुई, और ऐसी कई शर्मनाक घटनाएं इन बीते दिनों में प्रत्यक्ष रूप से हमारे सामने आई हैं।

इन सब तथ्यों के अलावा, अमृतपाल सिंह के खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू तथा उसके संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) से भी संबंध भी सामने आये हैं।

बताते चलें कि अमृतपाल सिंह एसएफजे के सोशल मीडिया कैंपेन का भी हिस्सा रह चुका है और ये भी बता दें कि पन्नू को भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत आतंकवादी घोषित किया है।

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भिंडरावाले से बड़ा बनना चाहता था अमृतपाल?

परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों के डॉज़ियर के जो अंश सार्वजनिक हुए हैं, उसके अनुसार अमृतपाल सिंह अपने “आका”, खालिस्तान के लिए पूरे पंजाब को आग में झोंकने वाले जरनैल सिंह भिंडरावाले से भी दस कदम आगे निकलना चाहता था।

Amritpal singh report के अनुसार, अमृतपाल ISI  के इशारे पर ‘खड़कु’ या मानव बम बनने के लिए युवाओं का ब्रेनवॉश कर कर रहा था। यही नहीं, अमृतपाल सिंह अपने संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ द्वारा चलाए जा रहे नशा मुक्ति केंद्र या ड्रग रिहैब सेंटर के सहारे युवाओं को ‘बंदूक संस्कृति’ की ओर धकेलने की में कोइ कसर नही छोड़ी थी. अमृतपाल नशा मुक्ति केंद्रों तथा गुरुद्वारों का उपयोग हथियारों का जखीरा इकट्ठा करने के लिए भी करता था।

इसके अतिरिक्त अमृतपाल ISI की सहायता से भारत में ड्रग तस्करी के काम में भी लगा हुआ था। वास्तव में, सितंबर 2022 में अमृतपाल के भारत आने के बाद से सीमा पार से ड्रोन के सहारे ड्रग्स और हथियार गिराने की घटनाओं में वृद्धि हुई थी।

रिपोर्ट (Amritpal singh report) में सामने आया है कि अमृतपाल सिंह की मंशा युवाओं को भड़काकर खालिस्तानी आतंकी दिलावर सिंह की तरह आत्मघाती हमलों के लिए तैयार करना था। पर ये दिलावर सिंह कौन था? ये पंजाब पुलिस का एक पूर्व सदस्य था, जिसने खालिस्तान पर लगाम लगाने में सहायक पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या की थी। उसने मानव बम बनकर 31 अगस्त, 1995 को बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी।

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अगर अमृतपाल का षड्यन्त्र सफल होता तो फिर….

पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट (Amritpal singh report) में कहा है कि अमृतपाल सिंह मारे गए आतंकवादियों को याद करने के लिए आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों ‘शहीदी समागम’ में शामिल होता था। जहाँ वह लोगों को हथियार इस्तेमाल करने की बात कहता था।

खुफिया एजेंसियों ने यह भी खुलासा किया है कि अमृतपाल सिंह ‘आनंदपुर खालसा फौज’ के नाम से अपनी ‘प्राइवेट आर्मी’ बनाने में जुटा हुआ था। पुलिस ने अब तक जो बुलेटप्रूफ जैकेट और राइफल बरामद की गई हैं उनमें और अमृतपाल सिंह के घर के दरवाजे पर एकेएफ (AKF) लिखा हुआ था। इसका मतलब भी ‘आनंदपुर खालसा फौज’ ही है। इस फौज के सहारे अमृतपाल और आईएसआई के इशारे पर नाच रहे उसके खालिस्तानी समर्थक दिल्ली में हमले की साजिश रच रहे थे। जाँच एजंसियों से इनपुट मिलने के बाद ही पुलिस ने आतंक फैलाने की तैयारी कर रहे अमृतपाल और उसके खालिस्तानी साथियों पर शिकंजा कसा है।

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अब सोचिए, अगर इनमें से एक भी योजना पूर्णत्या सफल होती, तो पंजाब में क्या होता? मनवधिकारों के भक्षकों का जो दृश्य 1980 के दशक में  दिखा था जिससे जनता त्रहिमाम् त्रहिमाम् हो गयी थी उससे भी बुरा उपद्रव और हिंसा का तांडव पंजाब में देखने को मिलता, जिसके लिए दो ही लोग दोषी होते : अमृतपाल सिंह और उसके जैसे उपद्रवी पालने वाली ISI।

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