सिद्धार्थ रॉय कपूर ने दिया बॉलीवुड को एक महत्वपूर्ण संदेश

अब भी समय है, सुधर जाओ बॉलीवुड ....

सिद्धार्थ रॉय कपूर बॉलीवुड

2023 आते आते भारतीय सिनेमा की दशा और दिशा दोनों ही बदल चुकी है। इसमें OTT पर उपलब्ध असीमित कॉन्टेन्ट और कोविड 19 की महामारी, दोनों की ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिसने इस खेल को समझ लिया, वह दिन दूनी रात चौगुनी गति से प्रगति कर रहा है, अन्यथा बॉलीवुड की भांति मुंह की खाने को विवश है। पर सिद्धार्थ रॉय कपूर के कुछ अलग विचार है।

इस लेख में पढिये कि कैसे सिद्धार्थ रॉय कपूर ने सिनेमा के बदलते परिवेश को समझते हुए बॉलीवुड के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है।

OTT ने काफी कुछ बदला

हाल ही में आउटलुक नामक मैगज़ीन से साक्षात्कार में सिद्धार्थ रॉय कपूर ने अन्य बॉलीवुड निर्माताओं से अलग रुख अपनाते हुए इस बात को स्वीकृति दी है कि बॉलीवुड उतना सफल नहीं है, जितना कोविड 19 में नरमी आने पर होना चाहिए था।

सिद्धार्थ के अनुसार “यह कॉन्टेन्ट के परिप्रेक्ष्य से एक स्वर्णिम युग है। अब यहाँ कथा और सेटिंग अधिक महत्वपूर्ण है, सिर्फ स्टार पावर से काम नहीं चलेगा। पहले जिन कारणों से हम अपनी क्षमताओं के अनुरूप नहीं परफ़ॉर्म कर पाते थे, अब वो बाधाएँ काफी हद तक हट गई हैं। अब किसी भी कॉन्टेन्ट क्रियेटर के लिए असीमित अवसर उपलब्ध हैं, और OTT ने अब मैदान में प्रतिस्पर्धा को बराबर करने में काफी सहायता की है। वो दिन गए जब केवल थियेटर ही विशुद्ध मनोरंजन का एकमात्र साधन था”।

जमीन से जुड़े कॉन्टेन्ट का अभाव

तो प्रश्न ये उठता है : ऐसा क्या हो, जिससे दर्शक स्वत: सिनेमाघर पधारे? इसके जवाब में सिद्धार्थ रॉय कपूर ने जो उत्तर दिया है, वह बॉलीवुड के लगभग हर सदस्य को ध्यान से सुनना चाहिए। उनके अनुसार, “OTT ने हमारे दर्शकों के दृष्टिकोण में व्यापक परिवर्तन किया है। एक ही जगह पर उन्हें अनेक विकल्प मिल जाते हैं”।

जब उनसे पूछा गया कि हिन्दी फिल्में चल क्यों नहीं रही है, तो उसके लिए उनका जवाब स्पष्ट था,

“मुझे अपने फ़िल्मकारों एवं अपने लेखकों पर पूरा विश्वास है। कभी न कभी हमारे समक्ष ऐसी ही चुनौतियाँ आती ही हैं, जिनसे हमें पार पाना ही होगा। हम सब जगह हाथ आजमाना चाहते हैं, परंतु कहीं न कहीं ऐसा प्रतीत होता है कि हम ज़मीन से जुड़ा, कथ्यपरक एवं authentic सिनेमा दर्शकों को नहीं प्रदान कर पा रहे हैं”।

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कड़क सिनेमा ही एकमात्र विकल्प

सिद्धार्थ रॉय कपूर उन चंद रचनाकारों में से एक है, जो थियेटर और OTT, दोनों ही जगह अपना भाग्य आजमा रहे हैं, और कुछ हद तक सफल भी रहे हैं। इन्ही के कंपनी ने “रॉकेट बॉय्ज़” जैसी सीरीज दर्शकों के समक्ष प्रदर्शित की है।

ऐसे में वे भली भांति समझते हैं कि दर्शकों को क्या चाहिए और क्या नहीं।

सिद्धार्थ के ही शब्दों में , “अगर आपको दर्शकों को थियेटर तक खींचना, तो उन्हे आपको कुछ ऐसा देना होगा, जो OTT पर सरलता से उपलब्ध नहीं होगा। फिल्मों में जहां जमकर मसाला हो, एक्शन हो, जिस अनुभव से आप सिनेमा घर जाकर वो फिल्म देखने को विवश हो जाएँ, वैसा सिनेमा आपको बनाना ही पड़ेगा। पिछले कुछ वर्षों में जो हिन्दी सिनेमा का हश्र हुआ है, वह हमारे लिए wakeup call है, अर्थात संदेश स्पष्ट है : जागो और बढ़िया सिनेमा दो”।

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सिद्धार्थ रॉय कपूर की ये बातें बॉलीवुड को जल्द ही आत्मसात करनी पड़ेगी।  2023 के प्रथम तिमाही में अब तक इस उद्योग से ऐसी कोई भी फिल्म नहीं आई है, जिसने दर्शकों को यह कहने पर विवश किया हो: इसे सिनेमा हॉल में ही देखना होगा।  ऊपर से Zwigato और Bheed जैसी फिल्मों के हश्र ने स्पष्ट कर दिया है कि फिल्मों के नाम पर एजेंडाधारी बकवास करने वालों के लिए शीघ्र ही अब प्रोड्यूसर अपने द्वार बंद करने वाले हैं, और सिद्धार्थ रॉय कपूर कहीं न कहीं इसी ओर संकेत भी दे रहे हैं।

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