स्वाति मालिवाल की निकृष्टता पर बँटा सोशल मीडिया

इस निर्लज्जता का कोई अंत है कि नहीं?

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Swati Maliwal controversy: इस संसार में माँ का महत्व कोई अनदेखा नहीं करता। माँ की भूमिका परिवार में सबसे महत्वपूर्ण होती है, परंतु पिता भी यूं ही नहीं आए। पिता न हो, तो एक सशक्त और समृद्ध परिवार नहीं बन पाएगा। परंतु आज के कुछ महानुभावों को लगता है कि अपने पिता का उपहास उड़ाकर वे “कूल” लगते हैं, और इस निर्लज्जता में चार चाँद लगाई हैं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालिवाल ने!

इस लेख मे मिलिये स्वाति मालिवाल से, जिन्होंने नारिवाद के नाम पर न  केवल अपना उल्लू सीधा किया अपितु अपने तुच्छता का परिचय देते हुए अपने निजी स्वार्थ को साधने के लिए अपने पिता तक का अपमान करने पर उतर आईं हैं। तो अविलंब आरंभ करते हैं।

स्वाती मालिवाल का करियर प्रोफ़ाइल

स्वाती मालिवाल का करियर प्रोफ़ाइल ही इस बात का सूचक है कि अति नारिवाद के दुष्परिणाम क्या हो सकते है। तुष्टीकरण, उगाही, आप जो कहिए, इस व्यक्ति ने वह सब कुछ किया है। इन्हे स्त्री कहना ही स्त्री कुल का अपमान होगा।

परंतु इस बार इन्होंने ऐसा क्या किया, जिसके पीछे स्वाती मालिवाल को कोपभाजन का सामना करना पड़ रहा है? असल में पूर्व अभिनेत्री खुशबू सुंदर द्वारा अपने यौन शोषण के अनुभव साझा करने के बाद स्वाति मालिवाल ने साझा किया कि कैसे उन्हे अपने ही पिता द्वारा शोषण का सामना करना पड़ता था, कहते कहते मोहतरमा यह कह गई कि उनका उत्पीडण इतना घिनौना था कि उनके पिता उन्हें मार पीट कर उनके मुँह को लहू लुहान कर देते थे। और इसी कारण से वह नारी सशक्तिकरण के लिए प्रेरित हुई।

इन सब बातों को सूंकर तो कोई भी दो मिनट के लिए यही सोचेगा कि जब वह अपने उत्पीड़न की व्यथा सुन रही है तो इसमें उपहास करने वाला या कोपित होने जैसा क्या है?

परंतु फिर ये क्या है?

Swati Maliwal controversy

यह इसी व्यक्ति का 7 वर्ष पुराना ट्वीट है, जहां इन्होंने ये दावा किया है कि ये एक “फौजी की बेटी” हैं, और इन्होंने त्याग और समर्पण की भावना उनसे ही सीखी है। अच्छा, तो फिर जब ये स्वयं ही दावा कर रही है कि ये “फौजी की बेटी” हैं, तो ये शोषण का आरोप क्यों और किसलिए?

और इस घटना का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि स्वाति मालिवाल के पिताजी वर्षों पहले ही चल बसे थे। तो क्या उनके मृत्यु की प्रतीक्षा की जा रही थी, उनपे ऐसे ओछे लांछन लगाने और नारिवाद का घिनौना खेल खेलने के लिए?

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परंतु आपको क्या लगता है, ऐसा नारिवाद का घिनौना खेल इन्होंने पहली बार किया है? ज्यादा समय की बात नहीं है, जनवरी 2023 में स्वाति मालिवाल एक ऐसी ही घटना के पीछे विवादों (Swati Maliwal controversy) में घिर गई। उन्होंने कुछ राहगीरों के साथ बदतमीजी करने का आरोप लगाया।

परंतु जो दिखता है, आवश्यक नहीं कि वही सत्य हो। स्वाति मालिवाल ने जब से दिल्ली महिला आयोग की कमान संभाली है, वह अपने काम अथवा नारी सशक्तिकरण के लिए कम, विवादों में पड़ने एवं ऊटपटाँग बयान देने के लिए अधिक जानी जाती है। इसके अतिरिक्त उनपर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगे है, जिसपर फिलहाल के लिए जुलाई के अंत तक ‘पुलिसिया कार्रवाई’ पर रोक लगी है।

Swati Maliwal controversy: चंद सेकेंड की लाइमलाइट के लिए

इतना ही नहीं, इस विषय (Swati Maliwal controversy) पर इनके पूर्व पति ने भी आश्चर्यजनक रूप से अपना विरोध जताया है। कभी आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष रह चुके नवीन जयहिंद ने अपने ट्वीट में बिना किसी का नाम लिए  ‘झूठ बोलने और मर चुके लोगों को घसीटने’ का आरोप लगाया।

अपने ट्वीट में उन्होंने इशारों में किसी को महाझूठी कह कर सम्बोधित किया। उन्होंने लिखा, “फ़िल्म का नया नाम होना चाहिए था- ‘तू महाझूठी मैं महामक्कार।’ जब आदमी मक्कार, मौकामार और मुर्दा हो जाता है तो वो मुर्दों पर ही वार करता है। आदमी में हरामीपन आ जाता है लोभ लालच तन मन पर छा जाता है तो वो ज़िंदा लोगो के कुकर्मों पर नही बोल पाता है। मुर्दों पर बोलके मर्द नहीं बनते।”

परन्तु प्रश्न अभी भी व्याप्त है, कि स्वाति मालिवाल ये सब बोलके (Swati Maliwal controversy) क्या प्राप्त करेंगी? चंद सेकेंड की लाइमलाइट के लिए वह न केवल अपने भविष्य को अंधकार में धकेल रही हैं, परंतु जिन महिलाओं के साथ वास्तव में ऐसी पीड़ादायक घटनाएँ हुई है, वो भी इस एक व्यक्ति के कारण संदेह के घेरे में आ जाएंगी, क्योंकि स्वाति जैसी महिलाओं के चक्कर में वास्तविक घटनाओं पर भी प्रश्न चिन्ह लगने लगेगा, और ये समाज एवं राष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं!

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