अजमेर के काले सच को सामने लाएगी “द अजमेर फाइल्स”

लिबरलों की “भारी मांग” पर पेश है....

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जब “द ताशकंद फाइल्स” आई थी, तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि ये एक ऐसे अभियान की नींव डालेगा, जिसपे आगे बढ़ते हुए भारतीय इतिहास के स्याह पन्नों पर भी प्रकाश डाला जाएगा। इसी अभियान को आधिकारिक रूप से “द कश्मीर फाइल्स” द्वारा लॉन्च किया गया, जिसने कश्मीर में हुए नरसंहारों को ऐसे चित्रित किया कि जो लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दिन रात राग अलापते, वही इसके प्रतिबंध की मांग करने लगे!

इस लेख में पढिये कैसे अब भारतीये सिनेमा में अब धीरे धीरे भारतीय इतिहास के अनछुए पहलुओं को सामने लाने के लिए अथक प्रयास हो रहे हैं।

टिप्स फिल्म्स लाएगी “द अजमेर फाइल्स”

हाल ही में चर्चित प्रोडक्शन कंपनी टिप्स फिल्म्स ने घोषणा की है कि वह भी OTT में अपना हाथ आजमाएगा, और इसके लिए उन्होंने सर्वप्रथम प्रोजेक्ट चुना है “अजमेर फाइल्स”। 1992 के कुख्यात अजमेर स्कैंडल पर आधारित यह प्रोजेक्ट वेब सीरीज़ के रूप में निर्मित की जाएगी, और इसका निर्देशन करेंगे अभिषेक दुधैया, जो टीवी सीरियल से निकलकर अब फिल्मों में हाथ आजमा रहे हैं।

अभिषेक का बतौर निर्देशक के रूप में चयन कई लोगों को नाक भौं सिकोड़ने पर विवश कर सकता है, क्योंकि इन्होंने ही 2021 में “भुज : द प्राइड ऑफ इंडिया” जैसी कबाड़ फिल्म का निर्देशन किया था। परंतु उस फिल्म के सुपरफ्लॉप होने के कई कारण थे, जिसके लिए केवल अभिषेक को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। अब देखना यह होगा कि क्या अभिषेक इस दूसरे चांस को सही से भुना पाएंगे या नहीं।

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“अजमेर फाइल्स” है किस बारे में?

परंतु “अजमेर फाइल्स” है क्या? इससे भारतीय इतिहास के किस भाग को चित्रित किया जाएगा। जब 1990 के दशक के प्रारंभ में कांग्रेस का शासन देश के अधिकतम राज्यों में था, तो उसमें से एक राजस्थान भी था। 1992 में एक ऐसी घटना उभर कर सामने आई, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, परंतु जिससे आज भी कई लोग अनभिज्ञ है।

इससे पहले की पुलिस प्रशासन, कांग्रेस पार्टी, धार्मिक पुरुषों और पत्रकारों के कारनामे का पर्दाफाश किया जाए, उससे पहले यह जान लीजिए कि अजमेर रेपकांड आखिर था क्या? वर्ष 1992 में अजमेर में एक शर्मनाक और घिनौना कांड हुआ। इस कांड में सैकड़ों युवा लड़कियों को निशाना बनाया गया, उनके साथ अजमेर दरगाह के चिश्ती बन्धुओं ने लम्बे समय तक बलात्कार किया। और यह तब तक चला, जब तक एक स्थानीय अखबार ‘नवज्योति’ ने कुछ नग्न तस्वीरें और एक कहानी प्रकाशित न कर दी, जिसमें स्कूली छात्रों को स्थानीय गिरोहों द्वारा ब्लैकमेल किए जाने की बात कही गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, ब्लैकमेल ऑपरेशन को जल्द ही “सीरियल क्राइम्स” की एक श्रृंखला के रूप में खोजा गया। स्थानीय प्रभावशाली पुरुषों का एक विशिष्ट समूह युवा लड़कियों को निशाना बना रहा था। वे एक लड़की को फंसाते थे और अश्लील तस्वीरें लेने में कामयाब होते थे। फिर वे लड़की को उसके सहपाठियों और दोस्तों से परिचित कराने के लिए ब्लैकमेल करते थे। आखिरकार, अन्य लड़कियों के साथ बलात्कार किया जाता था, उनका यौन शोषण किया जाता था और उनकी तस्वीरें ली जाती थी। यह सिलसिला आगे भी चलता रहता था। गिरोह ने अपने संचालन का विस्तार करना जारी रखा और लड़कियों की बढ़ती संख्या का शिकार किया।

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ये तो मात्र प्रारंभ है….

जो “द कश्मीर फाइल्स” को देखकर भयभीत हुए हैं, वे अजमेर कांड की सच्चाई जानकर कई दिनों तक सो ही नहीं पाएंगे। यह मामला कानूनी लचरपन और पुलिसिया कमजोरी की जीती जागती मिसाल है। यह मामला राजस्थान में 12 सरकारी अभियोजकों, 30 से अधिक एसएचओ, दर्जनों एसपी, डीआईजी, डीजीपी तक फैला हुआ है। अजमेर पुलिस को हमेशा संदेह था कि 100 से अधिक किशोरियों का शोषण किया गया था, लेकिन प्राथमिक जांच के दौरान केवल 17 पीड़ितों ने अपने बयान दर्ज कराए।

यह मामला जिला अदालत से राजस्थान उच्च न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट, फास्ट ट्रैक कोर्ट, महिला अत्याचार न्यायालय में चला गया और वर्तमान में अजमेर की पॉक्सो अदालत में है। सितंबर 1992 में मुकदमा शुरू होने के बाद से, पुलिस ने छह आरोपपत्र दायर किए हैं, जिसमें 18 आरोपियों (शुरुआत में आठ से ऊपर) और 145 से अधिक गवाहों का नाम है। परंतु इनमें से बहुत ही कम लोग हैं, जिन्हे कानून ने कभी भी किसी भी तरह दोषी सिद्ध किया हो।

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परंतु “अजमेर फाइल्स” तो मात्र प्रारंभ है। अभी कुछ समय पूर्व मलयालम उद्योग में मोप्ला दंगों पर आधारित फिल्म प्रदर्शित हुई थी, जिसने 1921 में हुए उन दंगों की भयावहता को सबके समक्ष प्रदर्शित किया था। इसके अतिरिक्त विवेक अग्निहोत्री “द वैक्सीन वॉर” के बाद “The Delhi Files” नामक फिल्म बनाने जा रहे हैं, जिसमें 1984 के सिख विरोधी दंगों पर प्रकाश डाला जाएगा। कल्पना कीजिए अगर 1947 के वास्तविक इतिहास को किसी ने चित्रित करने का बीड़ा उठाया, तो फिर वामपंथी गिरोह का क्या होगा?

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