Umesh Pal murder case: उमेश पाल की हत्या के पीछे का धर्मांतरण एंगल

ये केस उतना सरल नहीं जितना समझा जा रहा है ।

Umesh Pal murder case

Umesh Pal murder case: यूपी के पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या से जुड़े एक महत्वपूर्ण गवाह उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या हो जाती है। इस कृत्य के पीछे राजू पाल के हत्या के आरोपी और कभी यूपी के दुर्दांत बाहुबली रहे अतीक अहमद का हाथ बताया जाता है।

योगी आदित्यनाथ विधानसभा में “माफिया को जड़ से उखाड़ने” का प्रण लेते हैं, और उनके प्रण का मान रखते हुए यूपी प्रशासन अतीक अहमद के एक एक सहयोगी के पीछे पड़ जाती है। यहाँ तक कि दो हत्यारों को एनकाउन्टर में मार गिराया जाता है। परंतु उनमें से एक की पत्नी कहती है कि वह उस्मान नहीं, विजय चौधरी था!

आज इस लेख में आपको बताएँगे कि कैसे उमेश पाल (Umesh Pal murder case) के हत्यारों के विरुद्ध कड़ा से कड़ा एक्शन लेने की योगी प्रशासन की ज़िद धर्मांतरण माफिया के एक नए पहलू को सामने लाई है, और कैसे ये अतीक अहमद जैसे अपराधियों के लिए दुस्वप्न समान सिद्ध हो सकता है।

Umesh Pal murder case: धर्मांतरण माफिया के एक नया पहलू

हाल ही में होली से पूर्व उमेश पाल के हत्यारों में से एक उस्मान को यूपी पुलिस ने मार गिराया। कहा जाता है कि बम फोड़ने के बाद उमेश पाल पर गोली चलाने में सबसे आगे उस्मान ही था। परंतु उस्मान की पत्नी ने जो कहा है, उसने इस सम्पूर्ण प्रकरण को एक नाटकीय मोड़ दे दिया है।

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सामने आए बयान में उस्मान की पत्नी को कहते सुना जा सकता है,

“मेरे पति को कहीं अलग से नहीं पकड़ा। पुलिस भ्रमित कर रही है । पुलिस वाले सारी रात यहीं थे, सुबह 7 बजे गए हैं। हमसे पुलिस ने कहा कि तुम अपने पति को आवाज दो, बुलाओ। हम जानते थे कि हमारे पति को ये लोग (एनकाउंटर) कर देंगे। हमें सब पता था लेकिन हमारे पति ऐसे नहीं थे। हमारे पति घोरपुर में गाड़ी चलाते थे। 24 तारीख को हमारे पति घर आए थे। इसका (उमेश पाल के मर्डर का) हमें नहीं पता है। लेकिन वो घर आए थे।”

पत्रकार ने जब कहा कि क्या वो दिन भर घर पर था? इस पर उस्मान की पत्नी ने कहा, “हाँ वो पूरा दिन घर पर थे। हमारे भैया भी जेल में है। Umesh Pal murder case सतना भेजा गया है। हमारे पति वहीं गए थे। 26 फरवरी से 2 मार्च तक वो वहीं थे।”

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इतना ही नहीं, उस्मान चौधरी की पत्नी ने मीडिया में कहा,

“हम लोग हिंदू हैं पर हमें मुसलमान बताया जा रहा है। हम लोग अतीक अहमद को जानते तक नहीं हैं। पुलिस मुझे भी एनकाउंटर में मार डाले क्‍योंकि मेरे आगे पीछे कोई नहीं है, मैं किसके सहारे अपनी जिंदगी जिऊँगी। मेरे पति का नाम सिर्फ विजय चौधरी है पर उसे उस्‍मान चौधरी के नाम से बताया जा रहा है।”

बता दें कि उस्मान चौधरी का बड़ा भाई राकेश चौधरी भी एक हिस्ट्रीशीटर है। उसका केस ही सतना में चल रहा था जिसकी पैरवी के लिए उस्मान भी वहाँ गया था। Umesh Pal murder case के बाद यूपी पुलिस के एनकाउंटर में मरने वाला उस्मान चौधरी उर्फ विजय चौधरी अतीक का खास शूटर था।

वारदात के दिन उसी ने दुकान से निकलकर सबसे पहली गोली उमेश को मारी थी। उसकी फोटो-वीडियो सब सीसीटीवी में कैद हुई थी। हालाँकि इन सबके बावजूद उस्मान की पत्नी मीडिया में आकर कह रही है कि ये एनकाउंटर गलत हुआ है। उनके पति का हत्या से कोई लेना-देना नहीं है।

तो क्या विजय ही उस्मान था, या फिर उसका धर्मांतरण किया गया था? ये विजय जाने और अतीक अहमद, परंतु इतना तो स्पष्ट है कि दाल में कुछ काला तो अवश्य है। इसी की ओर उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी प्रशांत कुमार ने भी संकेत दिया है, जिन्होंने मामले का संज्ञान लेते हुए कहा है कि इस बात की जाँच हो रही है कि शूटर विजय चौधरी, उस्मान कैसे बना।

विजय चौधरी की वफादारी देखते हुए उसे उस्मान नाम दिया था

प्रारम्भिक सूत्रों के अनुसार, अतीक अहमद के बेटों ने विजय चौधरी की वफादारी देखते हुए उसे उस्मान नाम दिया था। उस्मान बेहद शातिर अपराधी था। जब वह अहमद गैंग आईएएस 227 में शामिल हुआ था तभी उसे उस्मान नाम दिया गया था।

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कथित तौर पर चौधरी का उस्मान नाम रखने के वक्त अतीक अहमद ने ही उसका धर्म परिवर्तन भी कराया था। अब पुलिस इस मामले में जाँच कर रही है। लॉ एंड ऑर्डर एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि शूटर के विजय से उस्मान बनने का मामला हमारे संज्ञान में है। कोई सामान्य व्यक्ति खुद का नाम उस्मान क्यों रखेगा?

और ऐसा नहीं है कि यह कोई प्रथम बार हुआ है। 2021 से 2022 के बीच में एक ऐसे ही सिंडीकेट को पकड़ा गया था, जिसमें मौलवी से लेकर नौकरशाह तक सम्मिलित थे।

बता दें कि जहांगीर कासमी और उमर गौतम की गिरफ़्तारी के बाद से ही देश भर में चलाया जा रहा धर्मांतरण रैकेट का खुलासा हुआ और रोज नए सच सामने आ रहे हैं।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार मौलाना मोहम्मद उमर गौतम और जहांगीर को अपना काला कारोबार आगे बढ़ाने के लिए इस्लामिक देशों से भरपूर मदद मिली।

उमर गौतम ने पूछताछ में ये भी बताया कि असम से सांसद बदरुद्दीन अजमल के कहने पर 2011 से 2012 के बीच दिल्ली में इस्लामिक दवाह सेंटर की स्थापना की गई। उमर गौतम तो अपने काम का प्रचार-प्रसार करने आठ से दस देशों में भी गया था। इस्लामिक देशों से मदद मिलने के मामले में इस्लामिक दवाह सेंटर से 600 से ज्यादा कागजात मिले हैं।

ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि उमेश पाल के हत्यारों में से एक, विजय चौधरी उर्फ उस्मान का बैकग्राउन्ड सामने से इस प्रकरण ने एक नया मोड़ लिया है। कौन सत्य कह रहा है, ये तो Umesh Pal murder case जांच पड़ताल के बाद ही पता चलेगा।

परन्तु यह तो नित्यंत सत्य है कि अब अतीक अहमद जैसों के लिए संकट कम होने के स्थान पर और अधिक बढ़ने वाली हैं, जिसके लिए वे स्वयं ही दोषी हैं।

Sources:

 

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