Supreme Court on hate speech: कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में मतभेद स्वाभाविक है, परंतु कुछ दिनों पूर्व जो सुप्रीम कोर्ट में हुआ, वह सोचने पर विवश कर देता है। हाल ही में हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट पुनः सरकार को उपदेश देने लगी। उनका ध्येय स्पष्ट था कि मामला कुछ भी हो, हेट स्पीच पर न्यायपालिका (Supreme Court on hate speech) से सक्रिय सहायता की आशा न की जाए। ये बातें शाहीन अब्दुल्ला नामक व्यक्ति के याचिका के संबंध में कही जा रही थी।
Supreme Court on hate speech
परंतु प्रत्युत्तर में सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उक्त पीठ के न्यायाधीश, के एम जोसेफ से कुछ ऐसे प्रश्न पूछ लिए, जिसपे वे बगलें झाँकते हुए दिखाई दिए। तुषार मेहता ने हेट स्पीच पर जस्टिस जोसेफ की बात का अनुमोदन करते हुए दो उदाहरण दिए।
The Video , The reaction of SC Judges , Why Modi Govt had objection pic.twitter.com/Jvo0hNi3AN
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) March 29, 2023
एक में डीएमके सार्वजनिक तौर पर ब्राह्मणों की हत्या के लिए लोगों को उकसा रहा था, और दूसरी ओर दो वीडियो में कट्टरपंथी हिंदुओं और ईसाइयों के विरुद्ध विष उगलते नज़र आ रहे हैं, जैसे कई माह पूर्व केरल में हुआ। इसपे तुषार मेहता ने स्पष्ट पूछा, “अन्य मामलों के लिए आप नैतिक तौर पर जिम्मेदारी लेते हैं, तो ऐसे विषय पर आप suo motu recognizance क्यों नहीं लेते?”
अब यहाँ पर जस्टिस जोसेफ की प्रतिक्रिया देखने योग्य थी। जो “ब्राह्मणों की हत्या” पर मुस्का रहे थे, वह इन तर्कों पर बगलें झाँकते हुए दिखाई दिए। न उनके, और न न्यायाधीश बीवी नागरत्ना के पास कोई ढंग का प्रत्युत्तर था।
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