ISI के साथ यूके की आँख मिचौली और कैसे खालिस्तानी उग्रवाद पड़ सकता भारत यूके संबंधों पर भारी

अब भी समय है, “सुधर जाए सुनक सरकार” ....

जब अमृतपाल सिंह के विरुद्ध पंजाब पुलिस ने धावा बोला, तो ये स्वाभाविक था कि हलचल मचेगी, परंतु ऐसी, राम राम!

अमृतपाल सिंह पर पंजाब पुलिस की रेड मात्र से उसके यूके वाले आका इतने बिलबिला गए कि बौखलाहट में उन्होंने भारतीय उच्चायोग पर ही धावा बोल दिया, वो अलग बात है कि इस बार 26 जनवरी 2021 जैसी “सफलता” नहीं मिली!

इस लेख में पढिये कि कैसे ISI की गतिविधियों को जानते हुए भी यूके नज़रअंदाज़ कर रहा है, और कैसे खालिस्तानी उग्रवाद यूके के अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकता है।

कार्रवाई अमृतपाल पे, दर्द लंदन को

इसमें कोई दो राय नहीं है कि उग्रवादी अमृतपाल सिंह के विरुद्ध विवशता में ही सही, परंतु पंजाब पुलिस ने सख्त रुख अपनाया है। अमृतपाल सिंह के लगभग हर ठिकाने पर छापा पड़ चुका है, और पूरे पंजाब को लगभग छावनी में परिवर्तित कर दिया गया है।

परंतु इसके कारण कुछ लोगों को विशेष पीड़ा भी हो रही है, और ये पीड़ा इस बौखलाहट में परिवर्तित हुई कि इन उग्रवादियों ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर धावा बोल दिया।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार को खालिस्तानियों ने भारतीय उच्चायोग के सामने इकट्ठा होकर खालिस्तानी झंडे लहराते हुए भारत का तिरंगा निकाल दिया था। यही नहीं, वहाँ खालिस्तानी झंडा लगाने की भी कोशिश की थी। इस घटना का भारत ने कड़ा विरोध जताया था। भारत के विरोध के बाद ब्रिटेन ने भी इसकी कड़ी निंदा की है।

परंतु इस उग्रवाद के विरुद्ध भारत भी चुप नहीं रहा। भगोड़े अमृतपाल सिंह के खिलाफ हो रही कार्रवाई के विरोध में खालिस्तानियों ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में उपद्रव कर तिरंगा निकाल दिया था। भारत ने अब इस घटना का मुँह तोड़ जवाब देते हुए पहले से भी बड़ा तिरंगा फहराया है।

भारतीय उच्चायोग में खालिस्तानियों द्वारा की गई हरकत की ब्रिटेन ने निंदा की है। साथ ही इस मामले में 1 व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।

बता दें कि इस पूरे मामले में भारत सरकार ने सख्ती दिखाई है। इस घटना पर विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश उप उच्चायुक्त क्रिस्टीना स्कॉट को समन भेजकर उन्हें वियना कन्वेंशन के तहत यूके सरकार के बुनियादी दायित्वों की भी याद दिलाई।

भारत सरकार ने कहा, ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक परिसरों और कर्मियों की सुरक्षा के प्रति ब्रिटेन सरकार की उदासीनता को स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह उम्मीद की जाती है कि ब्रिटेन सरकार इस घटना में शामिल हर व्यक्ति की पहचान कर उसे गिरफ्तार करेगी और ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों। इसको लेकर सख्त कदम उठाएगी।

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कैसे खालिस्तान 2.0 को बढ़ावा दे रहा यूके और ISI

इसके बाद ब्रिटिश राजदूत एलेक्स एलिस ने ट्वीट कर इस घटना की निंदा की है। उन्होंने कहा है, “मैं लंदन में भारतीय उच्चायुक्त में हुए शर्मनाक कृत्य पर निंदा करता हूँ। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।”

वहीं, इस घटना को लेकर लंदन के मेयर सादिक खान ने कहा है, “भारतीय उच्चायोग में आज हुई हिंसक घटनाओं और तोड़फोड़ की निंदा करता हूँ इस तरह के व्यवहार के लिए हमारे शहर में कोई जगह नहीं है। मेट्रोपोलिटन पुलिस इस पूरे मामले की जाँच कर रही है।”

परंतु वो कहते हैं न, कथनी और करनी में अंतर होता है, और यहाँ तो ऐसा अंतर है, जिसे हम माप भी नहीं सकते।

सादिक खान कृपया नैतिकता का ज्ञान न ही दे तो बेहतर है, क्योंकि इनके नेतृत्व में जितना चरमपंथियों, विशेषकर खालिस्तानियों को 2019 से बढ़ावा मिल रहा है, उतना शायद ही किसी और को मिला होगा।

वह तो भला हो कि अमृतपाल सिंह के समर्थन में बहुत ही कम भारतीय सिख दिखाई पड़ रहे हैं, अन्यथा जो लंदन में हो रहा है, वह भारत की एकता के लिए शुभ संकेत नहीं देता।

इसके अतिरिक्त अमृतपाल सिंह के ISI से भी संबंध सामने आए हैं। मामले की अगुआई कर रहे पंजाब पुलिस के आईजी सुखचैन सिंह गिल ने अमृतपाल सिंह के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध और विदेशी फंडिंग की भी बात कही है।

उन्होंने कहा है, “अब तक सामने आए तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर हमें आईएसआई के एंगल का बहुत मजबूत संदेह है। हमें विदेशी फंडिंग का भी मजबूत संदेह है। परिस्थितियों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि इसमें आईएसआई शामिल है और विदेशी उसे फंडिंग भी मिली है। यह भी सामने आया है कि इसके पूरे ग्रुप को हवाला और विदेशी फंडिंग के जरिए पैसा मिलता था। यह फंडिंग छोटी-छोटी रकम में इनके खातों पर भेजी जाती थी। आगे की जाँच की जा रही है।”

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क्या उग्रवाद की बलि चढ़ेगा फ्री ट्रेड समझौता?

अब ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि अमृतपाल पर पंजाब पुलिस एवं केंद्र एजेंसियों की ताबड़तोड़ कार्रवाई से यूके एवं अन्य देशों से खालिस्तानी उग्रवाद को पल्लवित पोषित कर रहे उनके आकाओं को जबरदस्त चोट पहुंची है।

अभी कुछ ही दिनों पूर्व “शक्ति प्रदर्शन” के रूप में ऑस्ट्रेलिया के एक प्रांत में “रेफरेंडम 2020” कराने का प्रयास किया गया था, परंतु वहाँ मुश्किल से 100 लोग ही पहुंचे।

लेकिन क्या इस नौटंकी से भारत को नुकसान हुआ है? बिल्कुल नहीं, परंतु यूके की प्रतिबद्धता एवं भारत के साथ अपने संबंध सुदृढ़ रखने की उसकी नीयत पर प्रश्नचिन्ह अवश्य लगा है। इसका असर दोनों देशों के बीच संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेन्ट पर पड़ सकता है, और इस समय यूके चाहके भी ये गलती अफोर्ड नहीं कर सकता।

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