IT Notices to 8K donor taxpayers: धनोपार्जन के अनेक माध्यम और साधन होते हैं, परंतु भारत में एक विशिष्ट समुदाय के लिए धनोपार्जन का एक ही माध्यम है : एनजीओ को दान के नाम पर टैक्स बचाना! यह ऐसा मार्ग है, जो लोककल्याण के नाम पर छुप भी जाता है, और ऐसे में धन की धांधली आसानी से दिखाई भी नहीं देती। परंतु आयकर विभाग को यह आँख मिचौली रास न आई।
इस लेख में पढिये आयकर विभाग के नये दांव से, और कैसे इससे NGO प्रेमी वामपंथियों को 1000 वोल्ट का झटका लगने वाला है ।
IT Notices To 8K Donor Taxpayers: आयकर विभाग का स्मार्ट दांव
आयकर विभाग ने हाल में एक ऐसा दांव चला है कि आप भी इनकी प्रशंसा करने से नही रुक नहीं पाएंगे। इन्होंने 8000 ऐसे ‘करदाताओं’ को नोटिस भेजा है, जिनकी आय के अनुपात में इनका व्यय मैच नहीं कर रहा है।
ईकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार, “आयकर विभाग ने हाल ही में 8000 ऐसे ‘करदाताओं” को नोटिस भेजा है (IT Notices to 8K donor taxpayers), जिनपर टैक्स चोरी का आरोप है, और जिन्होंने अपनी वास्तविक ये छुपाने के लिए भारी मात्रा में चैरिटेबल ट्रस्टस में पैसा झोंक दिया है। डेटा एनलिटिक्स के अनुसार ऐसे लोग अपने ये और व्यय के अनुपात में ऐसा दान कर रहे थे, जिसका कोई सेंस नहीं बनता”।
तात्पर्य? तात्पर्य यह कि मान लीजिए कि आपकी आय हो एक लाख रुपये प्रतिमाह, उसमें आपका व्यय हो करीब 80000 रुपये का, तो बचत कितनी हुई? 20000 रुपये, नहीं? परंतु आपने यदि डोनेशन 40000 रुपये की दर्ज कराई, तो प्रश्न नहीं उठेंगे?
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NGO के माध्यम से धनोपार्जन नहीं
इसी परिप्रेक्ष्य में आयकर विभाग ने कई ‘करदाताओं’ को नोटिस भेजा है, जिनका डोनेशन संदेह के घेरे में है। इन्होंने किसी संस्था या व्यक्ति का नाम नहीं बताया है, परंतु इन्होंने स्पष्ट है कि इसमें वेतन पाने वाले, स्व रोज़गार में लगे लोग एवं स्वतंत्र टैक्स विशेषज्ञों को भी सम्मिलित किया है, जो कथित तौर पर ऐसे ट्रैन्सैक्शन को बढ़ावा देते हैं।
रिपोर्ट के एक अन्य अंश अनुसार, “इन सभी केसों में जो दान हुआ, वो इतना हुआ कि या तो कर के स्लैब को कम करने में सफल हों, या फिर टैक्स अदा करने से मुक्ति मिले, जिसमें नगद का लेनदेन भी संभव है। इसके अतिरिक्त कई टैक्स विशेषज्ञों को आवश्यकता से अधिक भुगतान हुआ, विशेषकर उन लोगों द्वारा, जो केवल एक निश्चित वेतन के भुक्तभोगी है”।
उक्त नोटिस का विश्लेषण पीरियड 2017 से 2018 के वित्तीय सत्र से लेकर 2020 से 2021 तक के लिए तय था, जिन्हे मध्य मार्च से लेकर अप्रैल के बीच के तीन हफ्तों में भेजा गया, और ऐसे अन्य केस उभरने पर और नोटिस भेजे जाने की संभावना है?
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यही सही समय है
परंतु इससे वामपंथियों को क्या समस्या होगी? असल में राजनेता से लेकर कई “सामाजिक कार्यकर्ता” दान के नाम पर खूब धन का निवेश करते हैं। कई बार तो राणा अयूब जैसे मामलों में ये भी सामने आया है कि कैसे दान के नाम पर ऐसे लोग अपने लाभ के लिए इसी धन का उपयोग करते हैं, परंतु पेश ऐसे करते हैं, जैसे इनसे बड़ा दानवीर तो संसार में नहीं पैदा हुआ।
इसके अतिरिक्त आयकर विभाग उन चैरिटेबल ट्रस्टस का भी मुआयना कर रहा है, जो इन गतिविधियों को सुचारु रूप से जारी रखने हेतु नकली रसीद भी उत्पन्न कर रहे हैं। बता दें कि आयकर अधिनियम के सेक्शन 80 जी के अंतर्गत विशिष्ट संस्थाओं को कुछ प्रकार की फंडिंग स्वीकृत भी है, और इनपर कर छूट भी दी जाती है। ऐसे में यदि कोई कर धांधली निकलती है, तो उससे दो बातें स्पष्ट होती है : इन्हे कर छूट देने से पूर्व कई बार सोचा जाएगा, और यदि बात कर चोरी से भी आगे की हुई, तो इनके विरुद्ध तय अधिनियमों के अंतर्गत कार्रवाई भी होगी।
अब ऐसे में आयकर विभाग के नये दांव (IT Notices to 8K donor taxpayers) से इतना तो स्पष्ट है कि वे न केवल हर प्रकार के भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगाने के लिए उद्यत है, अपितु कर से बचने के लिए जो संगठन “एनजीओ कार्ड” खेलते हैं, उन्हे भी रिएलिटी चेक दिया है।
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