Chinese debt trap: चीन क्या है, और अपने कर्ज के मायाजाल से का प्राप्त करना चाहता है, इससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। कभी अपनी विस्तारवादी नीति से दूसरों की भूमि हड़पने का प्रयास करता है, तो कभी सीमाई क्षेत्रों में अवैध निर्माण। चीन ने किसी को कंगाल किया तो किसी को दिवालिया। चीन अपने आप में पूरे विश्व के बड़ी विपत्ति के समान है, जिससे अब विश्व बैंक भी अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहा है।
इस लेख में पढिये कि कैसे अफ्रीकी देशों पर चीनी कर्ज का संकट (Chinese debt trap) दस्तक दे रहा है, जिसे लेकर विश्व बैंक के अध्यक्ष ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।
कहते हैं कि ऐसा कोई सगा नही जिसे चीन ने ठगा नही। चीन को आस्तीन के साँप की संज्ञा दी जाए तो किसी को आपत्ति नही होनी चाहिए, क्योंकि जहां जहां उसके पैर पड़े उसे ड्रैगन बर्बाद करके ही दम लिया। श्रीलंका और पाकिस्तान इसके प्रत्यक्ष उदाहारण है, जिन्हें अपने कर्ज जाल में फंसाकर कहीं का नही छोड़ा। किस प्रकार श्रीलंका को चीन ने अपने कर्जजाल (Chinese debt trap) से बर्बाद किया है वो पूरा विश्व में देखा।
आर्थिक रुप से श्रीलंका को ड्रैगन ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया। श्रीलंका डिफॉल्ट कर चुका है और उसके ऊपर अभी अरबों डॉलर का विदेशी कर्ज लदा हुआ है। भारत के तीन पड़ोसी देश श्रीलंका, पाकिस्तान, मालदीव चीन के कर्जजाल में फंसे हुए हैं। पाकिस्तान के ऊपर 30 अरब डॉलर से ज्यादा का चीनी लोन है, वहीं श्रीलंका के विदेशी कर्ज में भी सबसे बड़ा हिस्सा चीन का है। इसी तरह से मालदीव भी चीन के कर्ज तले कराह रहा है अब इन सब परिस्थितियों के बीच ड्रैगन के नापाक मंसूबे से विश्व बैंक के अध्यक्ष ने अफ्रीकी देशों पर चीनी कर्ज का संकट को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।
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विश्व बैंक के अध्यक्ष ने Chinese debt trap को लेकर व्यक्त की चिंताएं
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा है कि वह अफ्रीका की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को चीन द्वारा दिए जा रहे कुछ ऋणों को लेकर चिंतित हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, डेविड मलपास का कहना है कि नियमों और शर्तों को अधिक पारदर्शी होने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के अनुसार, घाना और जाम्बिया सहित कई देश बीजिंग को अपना कर्ज चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बता दें कि एशिया के कई देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के बाद चीन अब अफ्रीकी देशों को व्यापक रूप से कर्ज देकर अपनी जकड़ में में ले रहा है। चीन की इस चाल को कूटनीति के विस्तार के रूप में भी देखा जा रहा है। चीन अफ्रीका में जिन देशों को कर्ज दे रहा है, वो इन पैसों को बुनियादी ढांचों के साथ ही सैन्य उपकरण खरीदने पर भी खर्च कर रहे हैं। खास बात यह कि इन सैन्य उपकरणों की आपूर्ति अधिकतर चीनी कंपनियां ही कर रही हैं, यानि कर्ज का दिया पैसा चीन अपनी चालाबाजी (Chinese debt trap) से हेर फेर करके वापस ही ले रहा है़।
उदाहरण के लिए 2006 से 2019 तक लिए लोन का उपयोग जाम्बिया ने मुख्य रूप से चीनी विमानों की खरीद के लिए किया है। इन विमानों को उसने अपनी वायु सेना में शामिल किया है। आंकड़ों के अनुसार, जाम्बिया ने अलग-अलग कैटेगरी के कुल 28 सैन्य विमानों का ऑर्डर चीन को दिया। अब अगर इस ट्रैप को समझें तो पहले चीन लोन देकर कर्ज का बोझ डालता है।
इसके बाद सैन्य उपकरण या अन्य सामान की खरीद के लिए चीनी कंपनियों को ही आगे करता है। इससे उस सामान की मेंटिनेंस के लिए भी ये देश चीन पर ही निर्भर रहते हैं। इस तरह एक चक्र बनाकर चीन इन देशों को फंसा रहा है। चीन ने वर्ष 2013 के बाद से पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में अरबों डॉलर का निवेश किया है, यह काम चीन ने न तो अफ्रीका की आर्थिक तरक्की के लिए किया और न ही वहां के समाज को गरीबी से बाहर निकालने के लिए किया। ऐसे में चीन ने निवेश कर अंगोला, मोजाम्बीक, कांगो, कैमरून, जाम्बिया, जिबूती, समेत कई देशों को अपने कर्ज जाल में फंसा लिया और केन्या, दक्षिण अफ्रीका, यूगांडा समेत कई दूसरे देशों में तेजी से निवेश कर रहा है। जिससे ये देश भी पूरी तरह से चीन के कर्ज जाल में फंस जाएं।
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Chinese debt trap: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कई बार दे चुका है चेतावनी
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कई बार अफ्रीकी और अन्य देशों को ये चेतावनी दे चुके हैं कि उन पर चीन का बढ़ता कर्ज खतरनाक हो सकता है। आईएमएफ हमेशा इस बात पर जोर देता आया है कि चीन का कर्ज कुछ अस्थिरता या कमजोरियां पैदा करता है। इससे पहले भी विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने कहा था कि चीन को विकासशील देशों में उधार देने के सिस्टम में सुधार करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से उसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले ऋणों में पारदर्शिता के संदर्भ में आंकड़ों के अनुसार, चीन की गिनती दुनिया में कर्ज देने वाले प्रमुख देशों में होती है। विकासशील कम आय वाले 75 देशों को जो लोन दिया गया है, उसमें से चीन का हिस्सा करीब 60 प्रतिशत है।
बीजिंग ने हाल के कुछ वर्षों में अंगोला, इथियोपिया, केन्या, कांगो गणराज्य, जिबूती, कैमरून और जाम्बिया सहित 32 से अधिक अफ्रीकी देशों को कर्ज दिया है। अधिकतर लोन इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट्स के नाम पर दिया गया। कुल मिलाकर देखा जाए तो अफ्रीकी महाद्वीप पर चीन का लगभग 93 बिलियन डॉलर उधार है, जिसके आने वाले सालों में 153 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। यानि अफ्रीका बुरी तरह चीनी कर्ज के दलदल में दबा हुआ है। जिसकी चिंता विश्व बैंक के अध्यक्ष ने व्यक्त की हैं। Chinese debt trap में फंसने का परिणाम एक ही है : विनाश।
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