नीतीश के बिहार में आया बागेश्वर धाम का भूचाल!

क्या राजनीतिज्ञ बनेगा रे तू?

बागेश्वर धाम बिहार

बागेश्वर धाम बिहार: पता है वामपंथियों, विशेषकर नीतीश कुमार छाप बंधुओं की सबसे बड़ी कमी है? ये कभी कभी ऐसे व्यक्ति को अपना निजी शत्रु बना लेते हैं, जिनका इनके विचारधारा तो छोड़िए, इनके क्षेत्र से दूर दूर तक कोई नाता नहीं। लेकिन इसी सनक में इन्होंने एक ऐसे व्यक्ति से पंगा मोल लिया, जिसने इन्ही की राजनीति को छिन्न भिन्न कर इन्हे हास्य का पात्र बनाकर ही दम लिया।

इस लेख में पढिये कैसे बिहार प्रशासन ने अपनी कुंठा में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री को अद्वितीय समृद्धि दी है, और कैसे ये इन्ही की राजनीति का विनाश करेगी।

बिहार में बागेश्वर धाम का वर्चस्व!

वो कैसे? हाल ही में बिहार में बागेश्वर धाम के चर्चित कथावचक, पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री बिहार आए। इन्होंने एक विशेष सभा बुलाई थी। अब आप बागेश्वर धाम को माने या नहीं, ये आपकी निजी इच्छा। परंतु जो बिहार प्रशासन ने किया, उसने सिद्ध कर दिया कि क्यों इनकी चर्चा दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।

कुछ हफ्तों पूर्व जब ये तय हो गया कि बागेश्वर धाम का आगमन बिहार में होगा, तो हर ओर चर्चा होने लगी। इसी बीच बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने बिना सोचे समझे बागेश्वर धाम पर धावा बोल दिया। महोदय कहे, ““बाबा बागेश्वर अगर गंदे काम करने आएँगे तो बिहार इजाजत नहीं देगा, अगर नफरत फैलाने आए हो तो आडवाणी भी जेल गए थे, और लोग भी जाएँगे। बागेश्वर बाबा हो या कोई बाबा हों, उनके पास कोई तिलस्म या चमत्कार नहीं है।”

बता दें कि चंद्रशेखर यादव वो व्यक्ति हैं, जिन्होंने न केवल यूपी में रामचरितमानस जलाए जाने के कृत्य को उचित ठहराए, अपितु हिन्दू धर्म ग्रन्थ रामचरितमानस को कूड़ा-कचरा भी बताया। परंतु इनकी कुंठा इतने तक सीमित नहीं रही। इन्होंने आरोप लगाया कि पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री और उनके जैसे अन्य लोग धर्म के नाम पर व्यापार करते हैं। इन्होंने ये भी कहा, “बाबा के चमत्कार की हवा तो मशहूर माइंड रीडर सुहानी शाह निकाल चुकी हैं। उनका सारा तिलस्म झूठ का कबाड़ है।”

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बिहारी राजनीति को बागेश्वर धाम की चुनौती!

परंतु बात इतने तक सीमित नहीं रही। जब लाख विरोध के बाद ये सुनिश्चित हुआ कि बागेश्वर धाम का कार्यक्रम बिहार में होकर ही रहेगा, तो तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले बिहार सरकार ने अन्य तरह से कार्यक्रम अवरुद्ध करने का प्रयास किया। इतना ही नहीं, तेज प्रताप यादव और इनकी स्वघोषित संस्था DSS ने इनका कार्यक्रम भंग करने की धमकी दी, और कई जगह इनके पोस्टर्स भी फड़वाए।

परंतु नीतीश बाबू और तेजस्वी महोदय इतने विचलित क्यों है? आखिर ऐसा क्या किया इन्होंने जिसके पीछे ये लोग इनसे इतना द्रवित है?

असल में इसका उत्तर बागेश्वर धाम के कार्यक्रम में उपस्थित जनसंख्या से ही है। अगर कोई व्यक्ति बिहार में आए, जिसे देखने हेतु लाखों की संख्या में, लाखों की संख्या में जनसमूह एकत्रित हो, तो ये कोई मज़ाक नहीं है। न कोई महागठबंधन की रैली है, न पीएम मोदी की कोई विशिष्ट जनसभा, केवल एक कथावचक ने लाखों की संख्या में लोगों को एकत्रित किया।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि बिहार की राजनीति इस देश की सबसे जटिल व्यवस्थाओं में से एक है। लेकिन सभी समीकरण अलग रखते हुए यहाँ स्वतः ही लोग दौड़े चले आ रहे है। तपती गर्मी में धीरेंद्र शास्त्री जी के मुख से राम व हनुमान कथा सुनने को लालायित है।

सनातन की एकजुटता में मंडल-कमंडल धरे रह गए। वहीं यूट्यूबर के पत्तलकार ट्वीटर पर हल्ला काटे है। कहते हैं कि पाखंडी है, उनके आश्रम से लोग गायब हो रहे है ब्ला ब्ला ब्ला….

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अरे तो भैयाजी, पाखंडी है तो ट्विटर पर बैठकर क्या चिल्लाते हो, ग्राउंड रिपोर्टिंग में लोगों को समझाओ न, ज्यादा असर पड़ेगा। हां ध्यान रखना ट्विटर पर सिर्फ़ रिप्लाई में ट्वीट ही आते है। लेकिन ग्राउंड रिपोर्टिंग में फिजिकल प्रतिउत्तर भी बराबर मिलेगा। क्योंकि जब कोई नास्तिक व पेगन, सनातन व सनातनियों के बीच आएगा तो जबाव जरूर मिलेगा। इन्हें किसने हक दिया है कि लोग जिसमें आस्था रखे है, उन्हें पाखंडी कहे…इसका फैसला वे स्वयं करेंगे।

दरअसल, धीरेंद्र शास्त्री जी के प्रांगण में कोई जातिवाद नहीं मिलता, सब प्योर सनातनी होते है,  जो अपने आराध्यों की कथा सुनने चले आते है। इन लोगों के पेट में दर्द इसी दृश्य को देखकर हो रहा है। परंतु सबसे अधिक समस्या सुशासन बाबू को है। भाईसाब समीकरण साध रहे हैं कि कैसे 1996 के करिश्मे को दोहराया जाए। परंतु यहाँ, बिना एक उंगली उठाए बागेश्वर धाम इनकी राजनीति का पोस्टमॉर्टम करने में जुट गए हैं, जिसका श्रेय भी इन्ही के प्रशासन को जाता है!

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