Paramjit Singh Panjwar shot dead: अपनी भारतीय सेना पे पूर्ण विश्वास रखें!

जब सेना हो साथ तो चिंता की क्या बात?

Paramjit Singh Panjwar shot dead: जब पूर्व CDS, जनरल बिपिन रावत ने ढाई मोर्चे वाले युद्ध पर प्रकाश डाला था, तब कई लोगों ने इसे बकवास मानकर किनारा कर लिया था। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि उस समय सुरक्षाबलों की सभी धुरी उस भाषण को ध्यान से सुन रहे थे। हाल ही में पुंछ और राजौरी में जो हुआ, उसे सुनकर आपको यह हास्यास्पद लगे, परंतु सत्य इससे परे हैं।

इस लेख में पढिये कि कैसे सुरक्षाबलों और आतंकियों की छिपम छिपाई में सुरक्षाबल दो कदम आगे चल रहे हैं।

KCF Paramjit Singh Panjwar shot dead!

इन दिनों इंटेलिजेंस सेक्टर के अलग मजे हैं। चाहे वह पंजाब एवं पूर्वोत्तर भारत में स्वयं को पुनर्स्थापित कर में जुटे आतंकी गुटों पर कड़ी कारवाई हो, या फिर खालिस्तानी भगोड़े अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी हो, हमारे खुफिया बल इस बात पे विशेष ध्यान दे रहे हैं कि अंतिम हंसी भारत विरोधी ताकतों की न हो, जो विगत कई दर्शकों से शायद ही देखने को मिला है।

अब इसे संयोग माने या फिर एक सोचा समझा प्रयोग, खालिस्ता कमांडो फोर्स के प्रमुख, परमजीत सिंह पंजवार को लाहौर में कुछ अज्ञात हमलावरों (Paramjit Singh Panjwar shot dead) ने गोली मारकर मृत्युलोक पहुंचा दिया। जी हाँ, आपने ठीक सुना। एक खूंखार खालिस्तानी ने जिस स्थान पर शरण लिया था, उसी लाहौर में घुसकर उसे मार दिया गया। ऐसे तो सिख समुदाय पर पाकिस्तान में हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साधे रहें, परंतु परमजीत के मारे जाने पर पाकिस्तानी भारतीयों को जद्द बद्द सुनाने लगे। आगे आप समझदार है।

वैसे भी, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर दोनों खालिस्तानी और पाकिस्तानी इस समय Top Priority हैं। पिछले ही वर्ष के 1985 Air India बम कांड में संलिप्त खालिस्तानी समर्थक रिपुदमन सिंह मलिक को गोलियों से भून दिया गया। इससे कुछ ही माह पूर्व ज़हूर मिस्टर, जो कंधार हाइजैक के पाँच प्रमुख साजिशकर्ताओं में सम्मिलित था, उसे भी गोलियों से भून दिया गया।

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विश्राम के लिए समय नहीं

हालाँकि, यह तो केवल शुरुआत है, क्योंकि वर्तमान एनएसए अजीत डोभाल के मन में इस समय कुछ और ही चल रहा है। एक के बाद एक, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात के साथ-साथ रूस के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बातचीत की। कहने को संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ बातचीत अधिकतम गल्फ क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधों को बढ़ाने के बारे में थी, परंतु बात केवल वहाँ तक सीमित नहीं है।

सऊदी अरब के साथ बैठक का संभवतः चीन के साथ कुछ लेना-देना है। इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन मध्य पूर्व में अपने पदचिन्हों को बढ़ाना चाहता है, और यह भारत के रक्षा और रसद हितों, दोनों के लिए भारी पड़ेगा। इस प्रकार, सऊदी अरब के साथ बैठक का अपना महत्व है, और अब पाकिस्तान और चीन के लिए यह किसी भी सूरत में अच्छी खबर नहीं है।

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अब आगे क्या?

फिलहाल के लिए भारतीय सशस्त्र बल यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि पाकिस्तानी आतंकवादी किसी भी स्थिति में अपनी मंशा में सफल न हो। पुंछ और राजौरी में हुए हमलों के बाद, भारतीय सेना काउंटर इंसर्जेंसी कमांडरों के कार्यकाल को बढ़ाने पर विचार कर रही है।

इसके अलावा, पाकिस्तान में अराजकता की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, इसकी संभावना प्रबल है कि पाकिस्तानी सेना ध्यान हटाने के लिए भारत पर हमला करने का प्रयास करेगी, और राजौरी और पुंछ में इसके लक्षण पहले ही देखे जा चुके हैं। इस प्रकार, भारतीय सेना यह देखना चाहेगी कि वे उच्चतम स्तर पर चौकसी बनाए रखें, और पाकिस्तान और चीन को इस बार भी मुँह की खानी पड़े।

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