कम साधन, जबरदस्त समृद्धि : “The Kerala Story” एक अतुलनीय ब्लॉकबस्टर है!

ये केवल एक फिल्म मात्र नहीं

केरल स्टोरी

लगभग 30 साल पहले,

स्वतंत्रता दिवस से कुछ हफ़्ते पहले एक फ़िल्म रिलीज़ हुई। इस फिल्म को लेकर अधिक लोग उत्सुक नहीं थे, सीमित स्क्रीन रिलीज हुई थी और तथाकथित समीक्षकों ने इसके खिलाफ खूब विष उगला था। लेकिन एक बार जब दर्शकों को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने फिल्म को इस हद तक देखा कि आज भी “हम आपके हैं कौन” भारतीय सिनेमा के इतिहास में बनने वाली सबसे महान और सबसे सफल फिल्मों में से एक है। लगभग 3 दशक बाद, इतिहास “द केरल स्टोरी” के साथ दोहरा रहा है।

इस लेख में जानिए “द केरल स्टोरी” के प्रचंड सफलता का महत्व, और क्यों इसकी सफलता को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

“द कश्मीर फाइल्स” को पछाड़ेगी “The Kerala Story”

सच कहें, तो अब “The Kerala Story” केवल एक फिल्म नहीं रही है। ये एक व्यापक अभियान है, जो दिन प्रतिदिन लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। जैसे एक सज्जन पुरुष कहे थे, “सच्चे मन से किया कोई भी कार्य व्यर्थ नहीं जाता”, यही बात “द केरल स्टोरी” के लिए भी लागू होती है।

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित,  एवं अदा शर्मा, योगिता बिहानी आदि अभिनीत इस फिल्म ने कुल मिलाकर  203.47 करोड़ रुपये कमाए हैं, वो भी  20 दिनों से भी कम समय में। जी हां, 3 हफ्ते से भी कम समय में करीब 15 से 20 करोड़ के बजट में बनी एक फिल्म ने 200 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है!

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लेकिन यह तो केवल प्रारंभ है। अभी 16 जून तक, “स्पाइडर मैन: अक्रॉस द स्पाइडर वर्स” जैसी हॉलीवुड फिल्मों के अपवाद को अलग रखें, “द केरला स्टोरी” का वस्तुतः भारतीय सिनेमा से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं मिलने वाली, यहाँ तक कि बहुभाषीय सिनेमा से भी नहीं। ऐसे में, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कलेक्शन दोनों के मामले में ‘द कश्मीर फाइल्स’ को पछाड़ने का यह एक सुनहरा मौका है। “द कश्मीर फाइल्स” ने लगभग घरेलू स्तर पर 255 करोड़ रुपये कमाए, और “द केरल स्टोरी” के पास इससे बढ़िया अवसर नहीं मिलेगा, जिसमें दो सप्ताह से अधिक का सक्रिय रन अभी बाकी है।

ये ब्लॉकबस्टर भूले नहीं भुलाया जाएगा

हालाँकि, सफलता के मामले में, “द केरल स्टोरी” कोई रैंडम सफलता नहीं है। यह आधिकारिक तौर पर एक “ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर” है, और जल्द ही सबसे सफल भारतीय फिल्मों की सूची में अपना स्थान पा सकती है।

अगर आपको लगता है कि हम मज़ाक कर रहे हैं, तो तनिक इन आंकड़ों पर नज़र डालें।

बहुत दूर नहीं चलते हैं। “द कश्मीर फाइल्स” के खिलाफ विभिन्न का विश्लेषण करें। फिल्म को शुरुआती रिलीज के लिए महज 400 स्क्रीन्स मिली थीं। फिर भी, मौखिक पब्लिसिटी इतना मजबूत था, कि दिन खत्म होने से पहले ही, मेरे अपने अनुभव से लगभग सभी स्क्रीन जाम हो गए थे। एक हफ्ते से भी कम समय में, स्क्रीन में कई गुना वृद्धि हुई और 15 करोड़ के बजट पर बनी फिल्म के लिए, फिल्म ने सिर्फ एक हफ्ते में ही 97 करोड़ रुपये, यानि यानी मूल लागत का 6 गुना!

अब अगर हम इसकी तुलना “द केरला स्टोरी” से करें, तो फिल्म ने आश्चर्यजनक रूप से अपने टारगेट को पूरा किया है। अगर हम “द केरल स्टोरी” के मूल लागत के रूप में 20 करोड़ को भी एक पैरामीटर के रूप में लेते हैं, तो यह मानते हुए कि फिल्म का लाइफटाइम कलेक्शन 250 करोड़ से अधिक है, फिल्म का मुनाफा 1150 प्रतिशत है, जरूरत पड़ने पर इससे भी ज्यादा। कहीं देखा है ऐसा लाभ?

ये भी स्मरण रहे कि “द कश्मीर फाइल्स” और “द केरल स्टोरी” दोनों में एक बात समान है: उनमें से किसी के पास भी बड़े स्टार नहीं थे। “द कश्मीर फाइल्स” में अभी भी मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर आदि जैसे अभिनेताओं की सुविधा थी, लेकिन आप में से कितने लोग अदा शर्मा, या यहाँ तक कि योगिता बिहानी के बारे में वास्तव में कुछ भी जानते थे, “केरल स्टोरी” के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने से पहले ?

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परिवर्तन का सूचक?

अब जरा स्वयं से पूछें, इस साल कितनी फिल्मों ने निवेश पर इतना बड़ा रिटर्न हासिल किया है? यह फिल्म को न केवल “द कश्मीर फाइल्स”, बल्कि “हम आपके हैं कौन”, “गदर”, यहां तक कि “बाहुबली सीरीज” जैसी फिल्मों के लीग में भी रखता है। उदाहरण के लिए, अगर हम “हम आपके हैं कौन” को देखें, तो फिल्म ने लगभग 1400 करोड़ रुपये [वर्तमान एस्टिमेट] की कमाई की, जिसमें 70 मिलियन से अधिक दर्शकों की संख्या थी यानि फुटफॉल्स थे। 6.25 करोड़ [1994 तक] के बजट के अनुपात में, आरओआई 1500 प्रतिशत से कम नहीं है, और हमने अभी तक “शोले” और “गदर” जैसी फिल्मों के आंकड़े भी नहीं छूए हैं। वहीं इन सबकी तुलना में  “पठान” लाख PR के बाद भी इन फिल्मों के आसपास भी नहीं आ सका, एक ढंग का प्रॉफ़िट मार्जिन निकालना तो बहुत दूर की कौड़ी रही।

इसलिए, चीजों को परिप्रेक्ष्य में रखते हुए, “द केरल स्टोरी” अपने आप में एक केस स्टडी है, जिसमें एक गहरा संदेश है: बस बेसिक्स पर टिके रहें, और इसे सरल रखें। ब्रह्मास्त्र जैसी फिल्में हैं, जिन्हें वीएफएक्स के नाम पर लेजर लाइट शो के बावजूद बचाया नहीं जा सका और फिर “द केरल स्टोरी” जैसी फिल्में आईं, जिन्होंने एक सरल लेकिन वास्तव में कठिन काम किया: सच्चाई को वैसा ही दिखाएं जैसा वह है।

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