PM Modi at G7 Summit: जब भी लगता है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आगे की राह कठिन हो जाएगी, विपक्ष इसे चुनौत के रूप में ले लेती है। वे कुछ न कुछ ऐसा करते हैं, जिससे ये स्पष्ट हो जाए कि जितना नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनता देखने के लिए उनके समर्थक नहीं उत्सुक हैं, उससे कहीं अधिक इनके विपक्षी तत्पर है।
इस लेख में पढिये कि कैसे विपक्ष अपनी हरकतों से ये सुनिश्चित करा रहा है कि जनता के पास पीएम के रूप में नरेंद्र मोदी के अलावा कोई और विकल्प ही न उभरे।
G7 Summit: “PM Modi अलग थलग हो चुके हैं”
इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी विदेशी मोर्चे पर काफी सक्रिय है। हाल ही में टोक्यो में आयोजित G7 Summit हो, या फिर PM Modi की पापुआ न्यू गिनी की यात्रा हो, पीएम मोदी पुनः उसी राह पे है, जिसमें वह सबसे निपुण है : भारत को एक कूटनीतिक ताकत बनाना।
परंतु विपक्ष अलग ही विलाप कर रहा है। विश्वास नहीं होता तो प्रसार भारती के पूर्व अध्यक्ष और नौटंकी शिरोमणि जवाहर सरकार को ही देख लीजिए, जिन्होंने पीएम मोदी का मजाक उड़ाने के लिए सावधानीपूर्वक संपादित वीडियो का चयन किया। महोदय ट्वीट करते हैं, “ऐसा लगता है कि हमारे पीएम हिरोशिमा में जी7 शिखर सम्मेलन में अकेले और अलग-थलग हैं।”
Sadly nobody to hug https://t.co/dxrcaa84Js
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 21, 2023
हालाँकि, वह अकेला नहीं था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश भी पीएम का मज़ाक उड़ाने में उनके साथ शामिल हो गए, जैसा कि उन्होंने ट्वीट किया, “दुख की बात है कि कोई गले नहीं लगा रहा”। दलबदलू राजनेता और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने भी इन भावनाओं को बढ़ावा दिया, जिन्होंने G7 Summit के एक समूह फोटो से PM Modi की ‘अनुपस्थिति’ का मजाक उड़ाया।
Oh my God!!!!!!!!! #OMG#Vishwaguru absent, not
included or avoided?#G7Hiroshima pic.twitter.com/54zHAzKQmc— Kirti Azad (@KirtiAzaad) May 22, 2023
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परंतु प्रश्न उठता है कि आखिर ये लोग इतने बौखलाए क्यों हैं? शायद इसका उत्तर जेम्स पारापे के स्वागत भाषण में अंतर्निहित है, जिन्होंने उल्लेख किया, “हमारा एक साझा इतिहास है, औपनिवेशिक आकाओं का इतिहास। आप [पीएम मोदी] ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में उभरे हैं। ग्लोबल नॉर्थ के सामने आप तीसरी बड़ी आवाज हैं। हम वैश्विक सत्ता के खेल के शिकार हुए हैं, हम चाहते हैं कि आप [भारत] हमारे वकील [जी20 बैठक में] बनें। हम [प्रशांत देश] आपके पीछे जुटेंगे।”
“पीएम मोदी हिन्दी में क्यों बात कर रहे हैं?”
ज़रा ठहरिये। जेम्स पैरापे? ये नाम सुना सुना सा नहीं लगता? होगा क्यों नहीं, ये वही पापुआ न्यू गिनी के प्रधान मंत्री हैं, जिनके ‘प्रोटोकॉल तोड़ने’ के बाद सबसे पारंपरिक तरीके से भारतीय पीएम का स्वागत करने के लिए उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेने के फोटो वायरल हो रहे हैं। हां, आपने बिल्कुल सही सुना। एक छोटे से राष्ट्र का एक मुखिया उनका आशीर्वाद लेने के लिए इस तरह से आगे बढ़ा जिसकी किसी बड़े से बड़े राजनीतिक विश्लेषक ने कल्पना भी नहीं की होगी। ऐसा सम्मान उपहार में नहीं मिलता, कमाना पड़ता है।
🟡This speech is worth reading 👇
~We have a shared history, history of colonial masters.
~you (#Modi) have a emerged leader of Global South
~a 3rd big voice (#India) in the face of global north
~ We are victims of global power play, we want you (India) to be our advocate (at G20… pic.twitter.com/uYMWkvRqQD— Levina🇮🇳 (@LevinaNeythiri) May 22, 2023
परंतु, यह एकमात्र कारण नहीं है जिसके बारे में वामपंथी बुद्धिजीवी पगलाये हैं। चूंकि पीएम मोदी ने उक्त सभा के साथ साथ कुछ सभाओं को शुद्ध हिंदी में संचालित किया, तो आम आदमी पार्टी ने उनके आचरण का मज़ाक उड़ाया, इसे एक भारतीय पीएम के लिए ‘अशोभनीय’ बताया।
उदाहरण के लिए श्रीमान सौरभ भारद्वाज [हाँ हाँ वही आदमी जिसने ईवीएम को हैक किया जा सकता है सिद्ध करने हेतु एक हास्यास्पद डेमो मॉडल लाया] ने अंग्रेजी के महत्व के बारे में शेखी बघारी, यहां तक कि उन्होंने हिंदी में ट्वीट किया, “क्या पीएम को नहीं पता कि हिंदी हिंदी नहीं है यूक्रेन की भाषा? यह वीडियो केवल अपने भक्तों को बेवकूफ बनाने के लिए है”
पीएम मोदी जितना लकी कोई नहीं
आप जानते हैं कि क्यों हम इस बात पे विश्वस्त है कि पीएम मोदी 2024 में धमाकेदार वापसी करेंगे? क्योंकि विपक्ष अपना काम “बखूबी जानता है”। किसी भी अन्य परिस्थिति में, एक विपक्षी दल या उसका प्रतिनिधित्व करने वाले नेता ने सत्तारूढ़ व्यवस्था पर हमला करने के लिए बेहतर मुद्दों के बारे में सोचेगा। हालांकि, मौजूदा हरकतों से ऐसा लगता है कि वे इस दिशा में प्रयास भी नहीं करना चाहते हैं।
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हम मजाक नहीं कर रहे हैं। जिस तरह से अनुभवी से अनुभवी राजनेता राई के पहाड़ बना रहे हैं, जैसे राफेल के मुद्दे पर जिस तरह से बवंडर खड़ा किया था, उसी की याद दिलाता है। हिंडनबर्ग मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल के अनुसार अडानी समूह के साथ-साथ केंद्र सरकार को किसी भी बड़े आरोप से मुक्त के बाद भी इन महान आत्माओं ने कोई सीख नहीं ली।। ऐसा लगता है कि भले ही भाजपा और पीएम मोदी आगामी आम चुनावों को लेकर उतने उत्साहित न हों, लेकिन पूरा विपक्ष कहेगा, “ऐसे कैसे भाई? उन्हे वापस आना होगा!”
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