Anurag Kashyap on Kerala Story ban: “द कश्मीर फाइल्स” के बाद अब “द केरल स्टोरी” ने बॉक्स ऑफिस पर आग लगा रखी है। लाख विरोध और अनर्गल प्रलाप के बाद भी इस फिल्म ने लगभग 80 करोड़ की कमाई कर की ओर अपने कदम बढ़ा दिए हैं। निस्संदेह ये भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड की पहली विशुद्ध ब्लॉकबस्टर सिद्द होने वाली है, और अब इसके समर्थन में अनुराग कश्यप और शबाना आज़मी भी सामने आए हैं।
इस लेख में पढिये “द केरल स्टोरी” के नए प्रशंसकों के बारे में, और कैसे ये “परिवर्तन” कोई संयोग नहीं।
“द केरल स्टोरी” पे प्रतिबंध का अप्रत्याशित विरोध
“द केरल स्टोरी” को लेकर जहां अनेक विवाद हैं, वहीं ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है। जहां एक ओर ये फिल्म यूपी, एमपी और अब हरियाणा में टैक्स फ्री है, तो वहीं बंगाल और तमिलनाडु में इसके प्रदर्शन पर प्रतिबंध है।
अब इसके विरोध में कई सेलेब्रिटी उतरे हैं, पर जो दो नाम सबसे अधिक आश्चर्यचकित करती है, वह है शबाना आज़मी और अनुराग कश्यप।
दोनों ही इस फिल्म के प्रतिबंध के विरोध (Anurag Kashyap on Kerala Story ban) में उतरे हैं। शबाना ने ट्वीट कर ‘द केरला स्टोरी’ को बैन किए जाने पर विरोध जताया और लिखा, “जो लोग केरल स्टोरी को बैन करने की बात कर रहे हैं वो उतने ही ग़लत है जितने वो लोग जो आमिर ख़ान की फ़िल्म लाल सिंह चड्ढा बैन करने की बात कर रहे थे। एक बार अगर फ़िल्म सेंट्रल फ़िल्म सर्टिफ़िकेशन बोर्ड से पास हो जाती है तो किसी को भी अतिरिक्त संवैधानिक प्राधिकरण बनने की ज़रूरत नहीं”।
Those who speak of banning #The Kerala Story are as wrong as those who wanted to ban Aamir Khan’s #Laal Singh Chaadha. Once a film has been passed by the Central Board of Film Certification nobody has the right to become an extra constitutional authority .
— Azmi Shabana (@AzmiShabana) May 8, 2023
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द केरला स्टोरी को बैन करने पर फ़िल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप का भी रिएक्शन (Anurag Kashyap on Kerala Story ban) आया है। अनुराग ने ट्वीट कर लिखा, “आप फ़िल्म से सहमत हैं या नहीं, ये प्रोपेगेंडा हो, काउंटर प्रोपेगेंडा हो, आपत्तिजनक हो या नहीं, इस पर बैन लगाना ग़लत है”।
उन्होंने आगे लिखा, ‘आप प्रोपेगेंडा से लड़ना चाहते हैं तो फिर बड़ी संख्या में जाकर वो फ़िल्म देखें, जो सोशल मीडिया के दुरुपयोग के ख़िलाफ़ बात करती है और दिखाती है कि किस तरह निहित पूर्वाग्रह को नफ़रत और अशांति पैदा करने के लिए हथियार बनाया जाता है. ये सिनेमाघरों में चल रही है और इसका नाम अफ़वाह है. जाओ अपनी आवाज स्ट्रॉन्ग बनाओ, जाओ एक मुद्दा बनाओ, लड़ने का यही सही तरीका है.’
You agree with the film or not, be it propaganda, counter propaganda, offensive or not, to ban it is just wrong. pic.twitter.com/DxNFJC1N4w
— Anurag Kashyap (@anuragkashyap72) May 9, 2023
ये संयोग नही
परंतु ये मात्र संयोग नहीं हो सकता। जो लोग फिल्म उद्योग के वामपंथी गुट के पोस्टर बॉय माने जाते हो, वो अचानक से अपने विचारधारा के ठीक विपरीत एक फिल्म पर प्रतिबंध का विरोध करने लगे, ये किसी को नहीं पचेगा। क्या ये सब अपनी पहचान को बनाए रखने के लिए है, या फिर ये नहीं चाहते कि इस फिल्म को अधिक कवरेज मिले?
दोनों मामले संभव है, और इनके पीछे ठोस कारण है। कोविड 19 के बाद से जितनी भी एजेंडावादी फिल्में, उन्हे बॉक्स ऑफिस पर मुंह की खानी पड़ी है। इस वर्ष तो ऐसे एजेंडावादी फ़िल्मकारों के पलीते पड़े हुए हैं, और अनुराग कश्यप से बेहतर इस बात को कौन जानता है। ऐसे में अगर ‘गधे’ को भी बाप बनाना पड़े, तो भी चलेगा।
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परंतु एक और कारण है, जिसके पीछे ये प्रकरण केवल संयोग नहीं लगता। पिछले वर्ष दोनों ही “द कश्मीर फाइल्स” के विरोध में सबसे आगे की कतार में थे, और सब जानते हैं कि यह फिल्म कितनी सफल हुई थी। इसके अतिरिक्त शबाना आज़मी ने फिल्म पे प्रतिबंध का विरोध करते हुए लाल सिंह चड्ढा का भी विरोध किया। परंतु लाल सिंह चड्ढा केवल एक घटिया फिल्म थी, जिसपर कोई भी प्रतिबंध न लगाने की मांग कर रहा था, और न ही कोई प्रतिबंध लगा था। ऐसे में दो नावों पर पैर रखने की वामपंथियों की यह प्रवृत्ति कोई नई नहीं है, परंतु इसमें फायदा इनका कम, और “द केरल स्टोरी” का होगा। मुफ़्त की पब्लिसिटी किसे नहीं प्यारी होती?
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