किसी महापुरुष ने बहुत सही कहा था,
“इस दुनिया में कुछ भी ऐसे ही नहीं होता”
बहुत दिनों बाद भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड में पुनः कॉन्टेन्ट का डंका बजा है। विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित एवं सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित “द केरल स्टोरी” ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा के रखा है। लाख विरोध, 2 राज्य में प्रतिबंध और स्वघोषित क्रिटिक्स के अनर्गल प्रलाप के बाद भी 25 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने अपने ओपनिंग वीकेंड में ही 35 करोड़ का घरेलू कलेक्शन किया है। परंतु इसके पीछे एक विचित्र पैटर्न है, जिसपर कम ही लोगों का ध्यान गया है।
इस लेख में पढिये “The Kerala Story” के वास्तविक कलेक्शन के बारे में, और कैसे इसमें और “The Kashmir Files” में काफी समानता है।
छोटा पैकेट, बड़ा धमाका
मार्च 2022 में “द कश्मीर फाइल्स” प्रदर्शित हुई थी, और सबकी अपेक्षाओं के विपरीत उसने सीमित स्क्रीन और 15 करोड़ के छोटे बजट के अनुपात में 350 करोड़ का भीमकाय वैश्विक कलेक्शन किया था। तब कई विश्लेषकों ने इसे एक अपवाद मानते हुए इसे प्रोपगैंडा जताने का प्रयास किया गया था। वे पूरणत्या गलत भी नहीं थे, क्योंकि ऐसे विचारधारा पर बनी फिल्में बहुत कम ही सफल हुई है। विश्वास न हो, तो “द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” और “इंदु सरकार” के आँकड़े उठाकर देख लें।
परंतु “द केरल स्टोरी” के आंकड़ों को उठाके देख लें। जहां “द कश्मीर फाइल्स” को कुछ 400 स्क्रीन प्राप्त हुए थे, वहीं “द केरल स्टोरी” को कुछ 1500 स्क्रीन प्राप्त हुए थे। परंतु जिस प्रकार से देश विदेश में इस फिल्म की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, और जिस प्रकार से मध्य प्रदेश ने इसे टैक्स फ्री किया है, उस अनुसार ये फिल्म कुछ नहीं तो घरेलू कलेक्शन से ही 100 करोड़ आराम से निकाल लेगी।
तो इसका अर्थ क्या हुआ? अगर अच्छी स्टोरी है, और निर्देशक अपने उत्पाद को लेकर विश्वस्त है, तो कम से कम बजट में भी दमदार कहानियाँ परोसी जा सकती है। विश्वास नहीं होता तो “कार्तिकेय 2” को ही देख लीजिए। इस फिल्म को देखकर कौन कहेगा कि इसका बजट 20 करोड़ भी नहीं था? परंतु ये फिल्म लगभग 120 करोड़ का रिकॉर्ड तोड़ वैश्विक कलेक्शन करने में सफल रही।
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एक्टर चुनिये, स्टार नहीं
“द कश्मीर फाइल्स” और “द केरल स्टोरी” में एक और समान बात बताइए। दोनों की रूप रेखा और उसका भाग्य उसका मूल विषय यानि कॉन्टेन्ट ने तय किया, स्टार पावर ने नहीं। दोनों इसलिए चले, क्योंकि इस फिल्म से जुड़े कलाकारों ने फिल्म के मूल विषय को समझा, और यदि बहुत ही दमदार नहीं, तो कम से कम विषय के साथ न्याय अवश्य किया, फिर चाहे कश्मीर फाइल्स में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती, दर्शन कुमार इत्यादि की भूमिकाएँ हो, या फिर “द केरल स्टोरी” में अदा शर्मा और योगिता बिहानी के प्रयास हो।
ऐसा नहीं कि स्टार पावर में कोई दिक्कत है, परंतु तब फोकस स्क्रिप्ट पे कम, और स्टार पावर पे अधिक होता। उदाहरण के लिए “सम्राट पृथ्वीराज” को देखिए। कहने को फिल्म की कमान डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी जैसे फिल्मकार के हाथ में थी, परंतु उन्होंने इस फिल्म के लिए चुना अक्षय कुमार को, जो किसी भी एंगल से पृथ्वीराज चौहान की छाया मात्र भी नहीं प्रतीत होते थे। परिणाम क्या निकला, इसके लिए कोई विशेष शोध नहीं।
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जनता से बड़ी कोई नहीं…..
सबसे महत्वपूर्ण बात, “द कश्मीर फाइल्स” ने सिद्ध कर दिया कि अगर आपका ध्येय स्पष्ट हो, और आपका उद्देश्य निश्छल हो, तो संसार की कोई शक्ति आपकी फिल्म को सफल बनाने से नहीं रोकती। इसका अंदाज़ा हमें तभी होना चाहिए था जब आदित्य धर ने “उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक” को हम सबके समक्ष पेश किया।
इस फिल्म में बेजोड़ कलाकारी से लेकर दमदार VFX सब कुछ था, परंतु शायद ही किसी को विश्वास होगा कि ये फिल्म मात्र 25 करोड़ में बनकर तैयार हुई थी, और इसने लगभग 350 करोड़ की कमाई वैश्विक स्तर पर अर्जित की। ऐसे में “द केरल स्टोरी” ने उन फ़िल्मकारों के लिए भी राह खोली है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर स्वतंत्र भारत के अनछुए पहलुओं को सामने लाना चाहते थे, परंतु किन्ही कारणों से ऐसा करने में हिचकते थे।
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