Kerala story box office collection day 5: न थमेगी, न रुकेगी “द केरल स्टोरी”

ऐसा अद्भुत प्रोमोशन और कहाँ?

तो अपने कंठ को क्लियर करके, जोर से बोलिए, “जय ममता दीदी की!” चौंक गए?

Kerala story box office collection day 5: अरे भई जो काम लाख PR के बाद भी किंग खान न कर पाए, जो कीर्तिमान कॉमरेड मणि रत्नम न प्राप्त कर पाए, वो ममता बनर्जी के एक निर्णय ने “द केरल स्टोरी” के लिए अर्जित करवाया। बहुत कम ऐसी फिल्में हैं, जो शुक्रवार के अनुपात में सोमवार को अधिक कमाई करे। परंतु ममता दीदी द्वारा फिल्म को बैन करने की देर भरी थी, और हो गया चमत्कार!

इस लेख में पढिये “द केरल स्टोरी” के पीछे हाथ धोकर पड़े एजेंडावादियों के बारे में, और कैसे इसके बाद भी ये फिल्म दिन प्रतिदिन नए कीर्तिमान रच रही है।

50 करोड़ पार, अब अगला लक्ष्य 100 करोड़!

जिस फिल्म के लिए न कोई लॉबी हो, न विशेष PR, जिस प्रतिबंधित करने हेतु नाना प्रकार के प्रयास किये जाएँ, जिसके लिए भारत की हर संवैधानिक व्यवस्था को ही चुनौती देने के लिए कुछ असामाजिक तत्व तैयार हो, वो इतना सब कुछ झेलने के बाद भी अगर 50 करोड़ (Kerala story box office collection day 5) कमा ले, तो समझ जाइए फिल्म में कुछ तो बात है।

यही सिद्ध किया है फिल्म “द केरल स्टोरी” ने। विपुल अमृतलाल शाह द्वारा निर्मित ये फिल्म 5 मई को सिनेमाघरों में प्रदर्शित। अवैध धर्मांतरण एवं ISIS से उसके घिनौने कनेक्शन पर आधारित ये फिल्म कइयों के लिए दर्पण, तो समाज के स्वघोषित के लिए “हलाहल से भी अधिक विषैला” था। शॉर्ट में कहे, तो जिस फिल्म के पीछे राजदीप, आरफा और मोहम्मद ज़ुबैर हाथ धोकर पीछे पड़े हों, वो फिल्म कहीं न कहीं किसी योग्य तो होगी ही।

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25 से 30 करोड़ के बजट में बनी ये फिल्म अब तक लगभग 56 करोड़ का कलेक्शन (Kerala story box office collection day 5) अर्जित कर चुकी है। इसका कलेक्शन शुक्रवार के बाद से अभी तक सिंगल डिजिट में नहीं गया है। ये फिल्म कितनी लोकप्रिय है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि फिल्म ने सोमवार को प्रथम दिन यानि शुक्रवार से कहीं अधिक अर्जित किया। शुक्रवार के 8 करोड़ के अनुपात में सोमवार को फिल्म ने 10 करोड़ की आश्चर्यजनक कमाई की। ये तब है, जब केरल में इसे भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है, तमिलनाडु में मल्टीप्लेक्स वालों ने हाथ पीछे खींच लिए, और बंगाल में आधिकारिक तौर से इस फिल्म पर प्रतिबंध लग चुका है।

जब लिबरल हो साथ, तो चिंता की क्या बात?

बंगाल से याद आया, इस फिल्म और इसके रचनाकारों के पीछे वामपंथी तो ऐसे हाथ धोके पड़े हैं, जैसे ये इनकी मुर्गी चुराके भाग गए हों। बंगाल को उपद्रव के अग्नि में झोंकने वाली ममता बनर्जी ने इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा कि इससे एक विशिष्ट समुदाय के प्रति हिंसा की भावना उत्पन्न होंगी। मजे की बात यह है कि जब “पद्मावत” के प्रति विरोध प्रारंभ हुआ, तो यही ममता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का राग अलाप रही थी।

वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र में एनसीपी के बड़बोले नेता जितेंद्र अव्हाद तो इस फिल्म से इतना क्रोधित हैं कि इन्होंने विपुल अमृतलाल शाह को सरेआम फांसी देने की मांग कर दी है। इनके अनुसार, “द केरल स्टोरी के नाम पर एक राज्य और वहाँ की महिलाओं को बदनाम किया जा रहा। आधिकारिक आँकड़ा 3 का था, लेकिन इसे 32000 के तौर पर पेश किया गया। इस काल्पनिक फिल्म को बनाने वाले को सार्वजिनक रूप से फाँसी देना चाहिए।” आरफा खानुम शेरवानी ने तो इसे सरेआम फेक न्यूज घोषित कर दिया है।

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“द केरल स्टोरी” अब एक अभियान बन रहा है

परंतु वामपंथी वही कर रहे हैं, जो इस फिल्म के लिए आवश्यक है : फ्री की पब्लिसिटी है। अंग्रेज़ी में एक कथन है, “Forbidden Fruit is the Sweetest”, यानि जिस कार्य को करने के लिए मना किया जाए, उसी को करने के लिए सबसे ज्यादा उत्सुकता होती है।

ऐसे में लाख अनर्गल प्रलाप, धमकियों और नौटंकियों के बाद भी “द केरल स्टोरी” अब केवल एक फिल्म मात्र नहीं रही। ये एक अभियान बन चुका है, जो इतनी सरलता से रुकने वाला नहीं है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश ने इसे टैक्स फ्री घोषित कर दिया है, और ऐसे में आने वाले दिनों में इसके कलेक्शन में कोई विशेष गिरावट तो शायद ही दिखेगी। ईश्वर करे ऐसी फिल्में और बने और ऐसा प्रोमोशन उन्हे निस्संकोच मिलता रहा।

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