अजीब प्राणी है यह लिबरल। हवा से लड़ने में जो सिद्धि इन्होंने प्राप्त की है, उसका कोई तोड़ नहीं। अब “The Economist” ने आरोप लगाया है कि
इस लेख में पढिये “The Kerala Story” फिल्म पर “The Economist” के बवाल से, और कैसे इनकी ‘मांगों’ पर पीएम मोदी को एक बार ध्यान अवश्य देना चाहिए।
“The Economist” की कुंठा अपरंपार
वो कहते हैं, विजय का स्वाद सबसे अधिक तब होता है जब सब आपके पराजय की प्रार्थना कर रहे हो। कुछ ऐसा ही सुदीप्तो सेन एंड कंपनी को “द केरल स्टोरी” की अद्वितीय सफलता के बाद प्रतीत हो रहा होगा। 25 करोड़ से भी कम के बजट में बनी इस फिल्म ने तीन हफ्तों से भी कम में 200 करोड़ का कीर्तिमान पार करने में सफलता प्राप्त की है। सब कुछ सही रहा तो ये फिल्म “आदिपुरुष” के रिलीज़ से पूर्व “द कश्मीर फाइल्स” के लाइफटाइम कलेक्शन को मीलों पीछे छोड़ सकती है।
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परंतु इस समय एक पोर्टल को विशेष प्रकार की पीड़ा हो रही है। वामपंथी पोर्टल “The Economist” ने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया है, इस बार “The Kerala Story” फिल्म की सफलता को लेकर। इनको इस बात से समस्या है कि पीएम मोदी एक छोटे बजट की फिल्म, जो आतंकवाद का वास्तविक रूप बिना लाग लपेट के आतंकवाद को चित्रित करता है, अपना समर्थन कैसे दे सकते हैं?
“बॉलीवुड का सेक्युलरिज़्म खतरे में!”
अब बात यहाँ तक सीमित होती, तो भी बात थी। परंतु जो काम “द इंडियन एक्सप्रेस”, “द वायर”
जैसे वामपंथी न्यूज पोर्टल मिलके भी न कर पाए, वो बीड़ा “The Economist” ने उठाया। इन्होंने न केवल आरोप लगाया है कि ऐसी फिल्मों के माध्यम से मोदी सरकार “मुस्लिम विरोधी” तत्वों को बढ़ावा दे रहे हैं, अपितु इन्होंने यहाँ तक कह दिया कि बॉलीवुड के सेक्युलर छवि को यह लोग नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं, “The Economist” वास्तव में ऐसा ही लिखी है। इनके अनुसार,
“हिन्दू मुस्लिम झड़प के कलंक से बॉलीवुड काफी हद तक मुक्त रही है। अपने उदारवादी दृष्टिकोण, मुस्लिम स्टार और सेलेब्रिटी हिन्दू मुस्लिम विवाह के साथ, हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री एक प्रकार से इस विषैली राजनीति का एंटीडोट रही है। परंतु ‘द केरल स्टोरी’ जैसे Islamophobic फिल्म ने सब कुछ बिगाड़ दिया।
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यह विवाद तो The Kerala Story फिल्म के प्रदर्शन से पूर्व ही प्रारंभ हो गया, जो वास्तव में एक हिन्दू महिला के धर्मांतरण और आतंकवाद प्रशिक्षण की काल्पनिक कथा है। इस फिल्म के एक ट्रेलर ने दावा कि केरल से 32000 लड़कियों को धर्मांतरित कर सीरिया और यमन में झोंक दिया गया था। ये बकवास के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। 2016 में कुछ 20 युवक एवं युवती ही केरल छोड़े थे, इस्लामिक स्टेट को जॉइन करने के लिए। परंतु इसने भाजपा को झूठ का मायाजाल फैलाने और इस झूठे फिल्म का प्रचार करने से नहीं रोका”। भाई ध्रुव राठी, रियल आईडी से आओ।
एक बार कर ही दीजिए मोदीजी!
वैसे अगर बॉलीवुड वास्तव में पीएम मोदी की सुनता, तो “पठान”, “भीड़”, “अफवाह” जैसी फिल्में कभी बनती ही नहीं। परंतु हमारा पीएम मोदी से विशेष अनुरोध है, एक बार को “The Economist” की बातें मान ही लीजिए। वैसे भी भारतीय सिनेमा के अधिकतम लोग किसी न किसी स्थिति में आपकी सुनते ही हैं, और कुछ लोग तो सुनिश्चित भी करते हैं कि, “The Economist” जैसे संस्था जो नहीं चाहते, वो ही दिखाया जाए। आगे आपकी इच्छा।
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