Indian wrestlers’ protest: इस तस्वीर को ध्यान से देखिए,
आपको लग रहा होगा कितना निरंकुश शासन है, जो इन पहलवानों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है। परंतु आपने इसका दूसरा पक्ष देखा?
इस लेख में पढिये कैसे पीटी ऊषा को अपमानित कर जंतर मन्तर पर प्रदर्शन (Indian wrestlers’ protest) कर रहे पहलवानों ने अपना नैतिक पक्ष मिट्टी में मिला दिया है।
पीटी ऊषा का अनुचित अपमान
जंतर मन्तर Indian wrestlers’ protest खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। छोटे बड़े, लगभग हर नौटंकी ने इस कथित प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ, उसने इस सम्पूर्ण प्रकरण को नाटकीय मोड़ दिया है। रात में दिल्ली पुलिस के साथ इन पहलवानों की हिंसक झड़प हुई, क्योंकि यहाँ इन्हे समर्थन देने पहुंचे आम आदमी पार्टी के राजनीतिज्ञों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया।
इस विषय का लाइव कवरेज किया गया, और हर तरफ पहलवानों की रोती हुई तस्वीरें हो रही थी। परंतु जो दोपहर को हुआ, उसका निष्पक्ष चित्रण करने का सामर्थ्य शायद ही किसी मीडिया संगठन में होगा।
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भारतीय ओलंपिक संघ की वर्तमान अध्यक्ष होने के नाते पूर्व एथलीट और वर्तमान राज्यसभा सांसद पीटी ऊषा बुधवार (3 मई 2023) को जंतर-मंतर गयीं जहाँ उनके साथ पहलवानों के समर्थकों ने बदसलूकी की। स्थिति को देखते हुए सुरक्षाबल उन्हें वहाँ से निकालकर सुरक्षित जगह ले गए। बता दें कि धरना दे रहे पहलवानों से मिलने के लिए वह धरना स्थल पर गई थीं।
इस घटना का वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में दिख रहा है कि एक महिला सहित कई लोग पीटी उषा को घेर उनके साथ बदतमीजी कर रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि एक महिला कह रही कि ‘इन्होंने महिलाओं का अपमान किया है। क्यों नहीं करें ऐसा…’। इस दौरान पीटी उषा भीड़ से खुद को बचाने की कोशिश करती दिख रही हैं। इसके बाद एक बुजुर्ग व्यक्ति उन पर चिल्लाते दिख रहा है। कार में बैठी पीटी उषा के सामने आकर एक बुजुर्ग चीखते हुए कहता है, ‘हम फौजी आदमी हैं। हमारी बहन-बेटियों के लिए कर सकत है तो बता।”
इनका मेडल सच्चा, बाकी का झूठा?
नैतिक अधिकार तो पहले ही यह कथित पहलवान रॉबर्ट वाड्रा, पप्पू यादव एवं राकेश टिकैत जैसे अराजकतावादियों को शामिल कर खो चुके थे। परंतु जो इन लोगों ने पीटी ऊषा के साथ होने दिया, उसे किसी भी स्थिति में उचित नहीं माना जा सकता।
सिर्फ एक तुलनात्मक अध्ययन करे तो पीटी ऊषा कोई ऐसी वैसी महिला एथलीट नहीं है। इन्होंने भारत में खेलों के विकास के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। जब इनके पास कोई विशेष सुविधा नहीं थी, तब भी इन्होंने लॉस एंजेलिस ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में पहुंचकर सबको चौंका दिया। अगर भाग्य इनके साथ होता, तो वह स्वर्ण पदक भी जीत सकती थी, परंतु एक नजदीकी फोटो फिनिश में वह मात्र 0.01 सेकेंड से पदक जीतने से चूक गई।
इनके तुलना में बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट ने क्या किया है? चलिए, बजरंग और साक्षी ने ओलंपिक में फिर भी कांस्य पदक प्राप्त किया, पर विनेश किस खुशी में इतनी अकड़ दिखा रही हैं। कई लोगों का तो यह मानना है कि विनेश अपने अनुशासनहीनता को छुपाने के लिए इस प्रदर्शन को अपनी ढाल बना रही है, क्योंकि इनकी नौटंकियों के कारण टोक्यो ओलंपिक में भारत को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा था। अक्खड़ रवैये पर आजकल तो हमारे क्रिकेटरों तक की खबर ली जाती है, तो ये कौन है भाई?
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चलिए, मान लेते हैं कि सब गलत है, यही सही है, परंतु इनका रवैया कई प्रश्न खड़े करता है। जब प्रारंभ में विरोध प्रदर्शन हुए थे, तो IOA ने इनकी सभी मांगों को मानते हुए एक विशेष कमेटी स्थापित की, जिसकी अध्यक्ष कोई और नहीं, धाकड़ बॉक्सर एम सी मेरी कॉम थी, और इसमें योगेश्वर दत्त, बबीता फोगाट जैसे पहलवान भी सम्मिलित थे।
परंतु न ये इन्हे पर्याप्त सबूत देने को तैयार है, और न ही इनसे तमीज़ से पेश आ रहे हैं। स्वयं बजरंग और विनेश से लेकर इनके प्रशंसक इन लोगों को ऐसे पेश कर रहे हैं, जैसे ये सरकार के चमचे हैं, और इनका खेल से कोई वास्ता नहीं। इतना ही नहीं, अब जब सुप्रीम कोर्ट ने आवश्यक मांगों के आधार पर इनका मुकदमा बंद कर दिया है, तो अब ये अपने पदक और पुरस्कार वापिस देने की धमकी पे उतर आए हैं। ये गुंडागर्दी नहीं तो क्या है?
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