“आपातकाल” – एक शब्द जो भारत के इतिहास में एक विवादास्पद समय की शक्तिशाली यादों को जन्म देता है, अब कंगना रनौट के लड़खड़ाते बॉलीवुड करियर को पुनर्जीवित करने के लिए पासे के आखिरी दांव समान है।
इस लेख में जानिये “इमरजेंसी” फिल्म के महत्व, और क्यों इसका सफल होना कंगना के लिए बहुत ही अवश्यंभावी है।
दोराहे पर कंगना का करियर
कभी अपने दमदार अभिनय के लिए मशहूर अभिनेत्री कंगना रनौत अपने करियर के दोराहे पर हैं। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित “क्वीन” से प्रसिद्धि पाने वाली स्टारलेट वर्तमान में एक पेशेवर गतिरोध में फंसी हुई है। भारतीय फिल्म उद्योग, जो पहले से ही अनिश्चित पोस्ट-कोविड परिदृश्य के उतार-चढ़ाव से जूझ रहा था, उसके हालिया प्रयासों के प्रति कम उत्सुक रहा है।
उनके अथक प्रयासों के बावजूद, कंगना की हालिया रिलीज़ को बॉक्स ऑफिस पर निराशा का सामना करना पड़ा। उनकी आखिरी फिल्म, “धाकड़”, एक्शन और रोमांच से परिपूर्ण बताई गई थी, परंतु इसने जनता को इतना निराश किया कि दूसरे सप्ताह में इसे मात्र 4000 रुपये का कलेक्शन मिला, पूरे भारत से। “टीकू वेड्स शेरू” के साथ प्रोडक्शन में उनके प्रवेश को भी फीकी प्रतिक्रिया मिली, जो इस तथ्य को रेखांकित करता है कि एक अभिनेता से निर्माता के रूप में परिवर्तन एक आसान काम नहीं है।
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Emergency: इस पार या उस पार
हालाँकि, जैसा कि वे कहते हैं, शो चलते रहना चाहिए और कंगना के लिए वह शो “इमरजेंसी” है। यह आगामी उद्यम इनके लिए अग्निपरीक्षा समान है। यहाँ दांव बड़ा है, क्योंकि “इमरजेंसी” भारत के राजनीतिक इतिहास के सबसे तूफानी दौरों में से एक की पृष्ठभूमि पर आधारित एक हाई-प्रोफाइल ड्रामा होने का वादा करती है।
24 नवंबर को स्क्रीन पर प्रदर्शन को तैयार, “इमरजेंसी” में कंगना को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का चित्रण करते हुए हुए देखा जाएगा। इस पावर-पैक राजनीतिक नाटक में प्रभावशाली कलाकारों की टोली है, जिसमें अनुपम खेर, श्रेयस तलपड़े, सतीश कौशिक, मिलिंद सोमन और महिमा चौधरी जैसे निपुण कलाकार शामिल हैं।
प्रारंभिक घोषणाओं के अनुसार, यह फिल्म इंदिरा गांधी की राजनीतिक यात्रा का एक व्यापक विवरण पेश करने के लिए तैयार है। यह उनके दोहरे व्यक्तित्व को दिखाने का वादा करता है – एक ऐसी नेता, जिन्होंने 1971 के युद्ध में भारत के विजयी अभियान का नेतृत्व किया था, और एक ऐसी निरंकुश शासक जिन्होंने आपातकाल के दौरान देश के नागरिकों पर अपनी इच्छा थोपी थी।
इमरजेंसी के परफ़ोर्मेंस का कंगना के करियर पर प्रभाव
“इमरजेंसी” की सफलता या असफलता कंगना के करियर के पैमाने को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है। एक हिट उन्हें उद्योग में फिर से एक दमदार अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर सकती है, जबकि एक फ्लॉप उन्हें विनाश की ओर धकेल सकती है। फिल्म की असफलता उन्हें अनुराग कश्यप, अनुभव सिन्हा और मनोज मुंतशिर की श्रेणी में शामिल होते हुए देख सकती है – ऐसे कलाकार जिनका काम, बड़े-बड़े वादों के बावजूद, अक्सर सार्थकता प्रदान करने में विफल रहता है।
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संक्षेप में, “इमरजेंसी” कंगना रनौत के लिए एक निर्णायक क्षण है। यह फिल्म उन्हें अपनी अभिनय क्षमता को फिर से स्थापित करने और दर्शकों को उनकी निर्विवाद प्रतिभा की याद दिलाने के लिए एक मंच प्रदान करती है। यह उनके करियर पथ को नया आकार देने और बड़े पर्दे पर विजयी वापसी का मौका है।
हालाँकि, इस कथा का पाठ्यक्रम देखा जाना बाकी है। क्या “इमरजेंसी” उनके करियर में नई जान फूंकेगी, या यह उन्हे बोरिया बिस्तर समेटने पर विवश करेगी? ये तो समय ही बताएगा। हालाँकि, एक बात अकाट्य है: परिणाम की परवाह किए बिना, कंगना रनौत द्वारा इंदिरा गांधी का चित्रण एक चर्चा का विषय होगा, और इसमें कंगना के लिए असफलता विकल्प तो बिल्कुल नहीं है।
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