हाल ही में अवतार सिंह खांडा की मौत की खबर से अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भूचाल सा आ गया है। लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले के पीछे एक दगाबाज और कथित मास्टरमाइंड के रूप में जाने जाने वाला अवतार खांडा की लंदन के एक अस्पताल में अचानक मौत ने उनके रहस्यमय अंत के बारे में गहन अटकलों और सिद्धांतों की झड़ी लगा दी है।
अवतार सिंह खांडा की असामयिक मृत्यु
परंतु सर्वप्रथम प्रश्न तो यही उठता है : आखिर अवतार सिंह खांडा था किस खेत की मूली? जनाब अपने आप को खालिस्तान के सिपाही कहते फिरते थे। इनके कट्टरपंथी कार्यों और सार्वजनिक रुख ने उन्हें अलगाववादी परिदृश्य में भारतीय एजेंसियों के लिए सरदर्द समान बना दिया। लगभग दो हफ्ते पहले बर्मिंघम में सैंडवेल अस्पताल में ये एडमिट हुए, और अचानक से ब्लड कैंसर के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गए।
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उनकी मौत के इर्द-गिर्द घूमने वाली शुरुआती अफवाहें जहर के संभावित मामले की ओर इशारा करती हैं। हालांकि, मेडिकल रिपोर्ट ने इस दावे का खंडन करते हुए संकेत दिया कि खांडा ब्लड कैंसर से पीड़ित थे। हालांकि इन रिपोर्टों ने उनकी स्थिति पर कुछ प्रकाश डाला है, अस्पताल से आधिकारिक बयान की अनुपस्थिति अटकलों और अनुमानों के लिए जगह छोड़ती रहती है।
लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले में शामिल होने के बाद खांडा की बदनामी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई। उन्होंने दुस्साहस से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को हटा दिया था और इसे खालिस्तान ध्वज के साथ बदलने का प्रयास किया था। 19 मार्च को हुए इस निर्लज्ज हरकत के कारण उनकी गिरफ्तारी हुई।
कैसे हुई अवतार की मृत्यु?
अब मेडिकल रिपोर्ट्स की माने तो अवतार कैंसर के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए। परंतु हृष्ट पुष्ट सा दिखने वाला व्यक्ति अचानक से तीन माह में ब्लड कैंसर के असाध्य रोग से ग्रसित हो जाए, ये बात कुछ जमी नहीं।
अब इस पर कई थ्योरी सामने आई है। पहली परिकल्पना का प्रस्ताव है कि वह प्राकृतिक कारणों से मर गया, और किन्ही कारणों से इन्होंने बीमारी को छिपाने का विकल्प चुना। हालांकि, यह सिद्धांत उल्लेखनीय होते हुए भी उस व्यक्ति के चरित्र के साथ पूरी तरह से मेल नहीं खाता है जो गुंडई और अराजकता के लिए जाना जाता हो। संक्षेप में कहे तो इस सिद्धांत पर नायक का वो डायलॉग स्मरण होता है, “आप जो बोल रहे हैं, वह सुनने के लिए और बहस के लिए अच्छा है, लेकिन प्रैक्टिकल नहीं!”
एक दूसरे तर्क के अनुसार खंडा को दुश्मन एजेंसियों द्वारा रणनीतिक रूप से समाप्त कर दिया गया था। विभिन्न भारत विरोधी तत्वों और संभवतः यहां तक कि आईएसआई के साथ उनके करीबी संबंधों को देखते हुए इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्ही के एक सहयोगी और पंजाबी कलाकार दीप सिद्धू, कुछ इसी भांति एक सड़क दुर्घटना में भी मारे गए थे।
परंतु एक थ्योरी चाहे जितनी हास्यास्पद लगे, संभव है कि खांडा की मृत्यु का वास्तविक कारण भी हो : धीमा ज़हर! ऐसे कई उदाहरण गुप्तचर इतिहास में देखने को मिले है, जिनमें सबसे चर्चित है वाडी हद्दाद का मामला, एक फ़िलिस्तीनी आतंकवादी, जिसकी बेल्जियन चॉकलेट खाने का व्यसन ही उसकी आने वाली मृत्यु का कारण बना। आगे आप समझदार है!
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भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए राहत
जबकि खांडा की मृत्यु का कारण जो भी हो, उसके जाने से भारतीय सुरक्षा बलों को कुछ राहत मिलने की संभावना है। भारतीय प्रवासियों की छवि को धूमिल करने के खांडा के अथक प्रयासों ने उन्हें अधिकारियों के पक्ष में एक स्थायी कांटा बना दिया। सौ की सीधी एक बात, अवतार सिंह खांडा एक अलगाववादी था, जिसे उसके कर्मों का फल मिला। अब वह ईश्वर की देन थी, या उसके दूत की, ये तो अवतार मियां ही जाने!
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