जब हिमन्ता हो साथ तो चिंता की क्या बात?

आग ऐसी लगाई मज़ा आ गया!

इसमें कोई रहस्य नहीं कि कांग्रेस के हमारे भाई बंधु प्रधानमंत्री मोदी के प्रति काफी आकृष्ट हैं। जो तत्परता राहुल को किरण के लिए, राजकुमारी सूर्यलेखा को सूर्यवंशी के लिए या मनोज मुंतशिर को उर्दू के लिए नहीं होंगी, उससे कहीं अधिक कांग्रेस पीएम मोदी के प्रति मोहित है। यह आकर्षण इतना तीव्र है कि अगर पीएम मोदी को छींक आ जाए तो वे ‘ब्लेस यू’ नहीं कहते, बल्कि वायु प्रदूषण के बारे में प्रेस विज्ञप्ति तैयार करने लगते हैं। प्राथमिकताएँ अपनी अपनी!

अब जब ओबामा ने भारत के विरुद्ध विष उगला, तो कांग्रेस उत्साही चीयरलीडर की भांति इनके बचाव में आगे आए, और संसार की हर शक्ति से भिड़ने को तैयार थे, संभवत: थानोस भी। परंतु उन्हे क्या पता था कि उनकी रातों की नींद उड़ाने को एक हिमन्ता दा ही काफी है।

इस लेख में पढिये कैसे ओबामा पर कसे एक तंज से लिबरल बिरादरी में त्राहिमाम मच गए, और कैसे कुछ ही शब्दों में हिमन्ता बिस्वा सरमा ने टुकड़े टुकड़े गैंग की हवा निकाल दी!

चालू ओबामा की कचालू बकैती

अब देखो बेटे, पीएम मोदी को ज्ञान देने में कोई भी प्रबुद्ध आत्मा पीछे नहीं रहना चाहेगा, और फिर ओबामा तो ओबामा ठहरे। जनाब तो मोदीजी की अमेरिका यात्रा के समय बाइडन को बताने लगे कि कैसे उन्हे पीएम मोदी को अल्पसंख्यकों की रक्षा पर सुझाव देना चाहिए, अन्यथा भारत के “टुकड़े टुकड़े” हो जाएंगे! काश इतनी ही प्राथमिकता अपने देश की सुरक्षा और ISIS को नियंत्रित करने पे दिए होते!

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अब आन्दोलनजीवियों का वैश्विक गिरोह अपनी पीठ थपथपाना शुरू ही किये था कि हिमन्ता दा के एक प्रत्युत्तर ने उनकी सिट्टी पिट्टी गुल कर दी। हमारी प्रिय पत्रकार रोहिणी सिंह ने जब पूछा कि क्या असम पुलिस भारत की भावनाओं को आहत करने के लिए ओबामा को गिरफ्तार करने जा रही है, सरमा ने जवाब दिया, “भारत में ही कई हुसैन ओबामा हैं। वाशिंगटन जाने पर विचार करने से पहले उनकी देखभाल को प्राथमिकता दें।” भूत जोलकिया का तड़का, अंग अंग फड़का!

अब वामपंथियों के काटो तो खून नहीं। ऐसा लगा मानो हिमन्ता दा के अंदर मुहम्मद अली की आत्मा प्रविष्ट हुई और वे ओबामा को अपने शब्दों से दे घूसा, दे घूसा धोए जा रहे हैं। इनकी कुंठा देखकर तो आपको राकेश टिकैत का रोना भी सुरीला लगेगा।

इनकी बिलबिलाहट तो देखिए!

हिमन्ता दा  के इस ट्वीट पर बवाल मचना स्वाभाविक था, पर ऐसा, बाप रे बाप! कई वामपंथियों ने इस ट्वीट को ही मुस्लिमों पर अत्याचार समान बताया। क्या निधि, क्या परकाश राज, यहाँ तक कि फ़ैक्ट चेकर मंडली के कोषाध्यक्ष मियां मुहम्मद ज़ुबैर भी हल्ला मचाने लगे। बर्क सी गिर गई, काम ही कर गई, आग ऐसी लगाई मज़ा आ गया!

परंतु ई सर्कस यहीं नहीं रुका! कुछ महानुभाव तो इसी बात पर अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग करने लगे। बताओ गुरु, एक ट्वीट के पीछे पीएम मोदी के नेतृत्व में मानवाधिकार पर ही प्रश्न लगा दिया। इनका कॉन्फिडेंस तो ऐसा था कि अगर पीएम मोदी बोले कि चंद्रमा फलाने पदार्थों का मिश्रण है, तो बोलेंगे कि मोदी तो झूठा है, असल में चंद्रमा पनीर का गोला है!

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बट आन ए सीरियस नोट, इतिहास की दो छोटी पर मोटी बातें समझना आवश्यक है। जिस प्रकार मियां ओबामा ने भारत के दूसरे विभाजन की धमकी दी, ये हिंदुओं और भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। इसी का उल्लेख युगों पूर्व इन्ही के आका कार्ल मार्क्स ने भी किया, और इसी टू नेशन थ्योरी को अपने जिंदगी का मकसद बनाने के लिए सर सैयद अहमद खान और मुहम्मद अली जिन्ना ने दिन रात एक कर दिए। अब कहीं ये न कह दे कि कार्ल मार्क्स भी झूठे।

ऐसे में हिमन्ता बिस्वा सरमा ने ओबामा की बकैती पे जो चुटकी ली, उनका तात्पर्य केवल इतना था कि जो भी भारत की अखंडता पर प्रश्नचिन्ह लगाएगा, उसके साथ विधि के विधान के अंतर्गत ताबड़तोड़ कार्रवाई होंगी। परंतु जो मिर्ची वामपंथियों को लगी है, और जो बिलबिलाये जा रहे हैं, उसकी एक अलग प्रदर्शनी लगानी चाहिए, और अपना क्या है? मजे लेते रहो, ज्ञान देते रहो!

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