अंतिम पंघल ने किया विनेश और बजरंग को चित!

इनका खेल खत्म!

पीड़ा देखिये इनकी आँखों में. क्या दोष था इस युवा खिलाड़ी का?

समय आ चुका है इन फर्जी पहलवानों के जवाबदेही का, क्योंकि इस बार आरोप इन्ही के सह पहलवान लगा रहे हैं, और अब इनके पास किसी भी सज्जन व्यक्ति का समर्थन नहीं है!

बिना ट्रायल के एशियाई खेलों में एंट्री!

शायद यूँ ही बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट पर “जीजा साली संघर्ष समिति” के तंज नहीं कसे जा रहे थे. हाल ही में ‘भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (IOA)’ ने निर्णय लिया कि एशियन गेम्स में बजरंग पूनिया और उनकी साली विनेश फोगाट को बिना ट्रायल के ही डायरेक्ट एंट्री दी जाएगी। अब इस पर विवाद खड़ा हो गया है कि अन्य खिलाड़ियों ने न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। 65 किलोग्राम वर्ग में खेलने वाले विशाल कालीरमन और महिला पहलवान अंतिम पंघाल ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं।

विशाल कालीरमन ने कहा कि कॉमनवेल्थ गेम्स की जब ट्रायल हुई थी तब वो फाइनल मुकाबले में बजरंग पूनिया से हार गए थे, लेकिन अब बिना ट्रायल के एशियन गेम्स में बजरंग पूनिया का इलेक्शन कर लिया गया है। विशाल कालीरमन ने कहा कि पिछले एक साल से बजरंग पूनिया प्रैक्टिस भी नहीं कर रहे हैं, जबकि वो और बाकी खिलाड़ी लगातार प्रैक्टिस में लगे हुए हैं। उन्होंने अपील की कि कम से कम उनलोगों का ट्रायल तो लिया जाए, वो कोई फेवर या फायदा नहीं माँग रहे।

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उन्होंने कहा, “हम ये माँग नहीं कर रहे हैं कि हमें सीधा फाइनल-सेमीफाइनल लड़ा दिया जाए। पिछली बार भी कॉमनवेल्थ ट्रायल में बजरंग पूनिया को सीधा सेमीफाइनल में दिखाया गया था, जबकि हमने 5-5 कुश्तियाँ लड़ी थीं और तब फाइनल हुआ था। इसके लिए हम कोर्ट में भी जा सकते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से हम अपनी बात रख रहे हैं। हम समर्थन की अपील करते हैं। हमारे घर वाले धरना भी कर रहे हैं जगह-जगह। हम भी धरना देंगे।”

“खेलना छोड़ दें क्या?”

वहीं अंडर-24 चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहलवान अंतिम पंघाल ने भी इस पर आपत्ति जताई कि महिलाओं के 53 किलोग्राम वर्ग में विनेश फोगाट को डायरेक्ट भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से विनेश फोगाट ने कोई प्रैक्टिस नहीं की है और उनकी इंजरी भी हुई थी। उन्होंने बड़ा दावा किया कि कॉमनवेल्थ के ट्रायल के समय 3 दिन विनेश फोगाट के साथ उनका मुकाबला हुआ था और उनके साथ धोखाधड़ी हुई थी।

उन्होंने कहा कि तब उन्होंने और मेहनत करने की बात कही थी, लेकिन एक ही खिलाड़ी एशियन गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक में जाए – ऐसा कैसे हो सकता है? उन्होंने लोगों से अपील कि कि वो उनका साथ दें। उन्होंने कहा कि उनके माँ-पिता उनके लिए गाँव छोड़ कर उनके साथ रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतने दिनों से जी-जान से वो प्रैक्टिस कर रही हैं, क्या वो पहलवानी छोड़ दें? उन्होंने कहा कि बहुत सी ऐसी लड़कियाँ हैं जो विनेश फोगाट को हरा सकती हैं।

पानी सर से ऊपर जा रहा है!

सच पूछें तो इस पहलवान प्रदर्शन ने पुनः सुशील कुमार – नरसिंह यादव प्रकरण के ज़ख्म हरे किये हैं. प्रारम्भ में पहलवानों के अधिकार के लिए लड़ने वाले ये खिलाडी धीरे धीरे राजनीतिक अभिलाषा की भेंट चढ़ गए. अगर वास्तव में ये पहलवानों के लिए लड़े होते, तो दीपक पूनिया और रविकुमार दहिया इनके विरुद्ध मोर्चा क्यों खोलते?

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जब ये ज्ञात हुआ कि बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक को ट्रायल से छूट मिलेगी, तो जो पहलवान प्रारम्भ में इनके साथ थे, वे भी इनके विरुद्ध हो गए. पूर्व विश्व जूनियर चैम्पियन दीपक पुनिया और ओलम्पिक रजत पदकधारी रवि कुमार दहिया ने खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बातचीत करते हुए अपनी आपत्ति जताई, और विनेश एन्ड कम्पनी को दिए जा रहे विशेषाधिकारों पर प्रश्न उठाया! अब शायद कुछ लोगों को समझ में आ रहा होगा कि क्यों योगेश्वर दत्त और बबीता फोगाट इन अराजकतावादियों के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए थे.

सच कहें तो यदि अंतिम अपने लड़ाई में विजयी हुई, तो केंद्र सर्कार को अविलम्ब इन अराजक तत्वों को निष्कासित करना चाहिए. सुशील कुमार तो स्वयं अपने कर्मों की भेंट चढ़ गए, पर इन अराजक पहलवानों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर एक सन्देश जाना चाहिए कि कानून से ऊपर कोई नहीं, खिलाड़ी भी नहीं!

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