“बच्चे बता रहे अभिभावकों के यौन संबंधों का हाल”, क्या दुर्गति हुई है भारतीय टीवी की!

कुछ लज्जा बाकी भी है?

एक समय होता था, जब भारतीय टेलीविजन माने मनोरंजन और ज्ञान का एक अनोखा मिश्रण. हमें ये बताने की आवश्यकता कि रामायण के एक एपिसोड के लिए कितना लालायित रहते थे, और किस प्रकार सड़कें खाली हो जाती थी! टेलीविजन के वे सुनहरे दिन हमें मूल्यों, परंपराओं और सांस्कृतिक संवर्धन को बढ़ावा देते हुए एक साथ लाए। परन्तु आज?

वर्तमान घटना ने जो आक्रोश और निराशा पैदा कर दी है, उससे सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित एक डांस रियलिटी शो, सुपर डांसर चैप्टर 3, गंभीर जांच के दायरे में आ गया है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कदम उठाया और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स (सेट इंडिया) को शो से वीडियो हटाने का उचित निर्देश दिया। इस तथाकथित “बच्चों के डांस शो” में जो हुआ वह परेशान करने वाले और घृणित से कम नहीं था।

ये हम कहाँ जा रहे हैं?

सोनी पिक्चर्स पर प्रसारित होने वाला डांस रियलिटी शो ‘सुपर डांसर चैप्टर 3’ विवादों में आ गया है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सोनी पिक्चर्स नेटवर्क को नोटिस जारी किया है। शो के बाल प्रतिभागी और जजों के बीच ‘अश्लील चर्चा’ पर आपत्ति जताई है। इस क्लिप को हटाने के निर्देश दिए हैं।

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NCPCR अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने 25 जुलाई 2023 को चैनल की शिकायत अधिकारी शाइस्ता नकवी को भेजे पत्र में कहा है, “आयोग को सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर प्रसारित डांस शो सुपर डांसर चैप्टर 3 का एक वीडियो ट्विटर पर मिला है। इसमें शो के जज नाबालिग बच्चे से उसके माता-पिता के बारे में अश्लीलता से भरे सवाल पूछ रहे हैं। ये सवाल नाबालिग बच्चे से पूछे जाने वाले नहीं थे। ये सवाल बच्चों के लिहाज से अनुचित थे।”

यह घटना हाल के दिनों में भारतीय टेलीविजन की दिशा पर बुनियादी सवाल उठाती है। प्रतिभा को पोषित करने, रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने और सकारात्मक मूल्यों को बढ़ावा देने वाला मंच बनने के बजाय, यह अब सस्ते मनोरंजन और रेटिंग के लिए बेशर्मी से मासूमियत का शोषण कर रहा है। उन दिनों का क्या हुआ जब टेलीविजन शो प्रेरणा और शिक्षा देने के लिए होते थे?

ये पहली घटना नहीं

ये तो केवल एक उदहारण है. उक्त घटना उन कई उदाहरणों में से एक है जहां भारतीय टेलीविजन ने शालीनता और संवेदनशीलता की सीमाएं लांघ दी हैं।

कॉमेडियन भारती सिंह का किसी के रंग पर भद्दा मजाक इस बात का एक और दुखद उदाहरण है कि उद्योग से सम्मान और सहानुभूति कैसे गायब हो गई है। लोगों को उनकी शारीरिक बनावट के लिए उपहास करना और अपमानित करना कब स्वीकार्य हो गया, खासकर जब बच्चे इसे देख रहे हों और इसे आत्मसात कर रहे हों?

अभी तो हमने नाबालिगों के दुरूपयोग पर चर्चा भी प्रारम्भ नहीं की है. ऐसे रोल इन बच्चों की भावनात्मक भलाई और मानसिक विकास की कीमत पर आता है। टेलीविजन उद्योग को अपनी युवा प्रतिभाओं के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए और उन्हें समय से पहले वयस्क क्षेत्र में धकेलने से बचना चाहिए।

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इतना पर्याप्त नहीं!

डांस रियलिटी शो के खिलाफ अधिकारियों द्वारा की गई कठोर कार्रवाई सही दिशा में एक कदम है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। भारतीय टेलीविजन को व्यापक बदलाव की जरूरत है, जिसमें नेटवर्क द्वारा स्व-नियमन से लेकर और अधिक कड़े सरकारी नियम शामिल हैं। इसे मूल्यों को आकार देने, नैतिक मानकों को बनाए रखने और उम्र-उपयुक्त सामग्री के साथ युवा दिमागों को पोषित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हमारे देश के युवाओं का भविष्य दांव पर है, और टेलीविजन उद्योग को अगली पीढ़ी के दिमाग को आकार देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानना चाहिए।

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