डूबते बॉलीवुड को कॉर्पोरेट बुकिंग का सहारा!

ऐसे बचाएंगे बॉलीवुड को!

अरे बॉलीवुड, तेरे साहस और बुद्धिमता के क्या कहने? दुनिया को लगे कि अच्छे उत्पाद को किसी प्रचार की आवश्यकता नहीं, हमारे बॉलीवुड के प्रबुद्ध आत्माएं नागलोक तक अपने उत्पाद को बेचने हेतु दिन रात एक कर दे. लॉजिक, स्क्रिप्टिंग इत्यादि की क्या आवश्यकता, कॉर्पोरेट बुकिंग का ब्रह्मास्त्र है न!

अब आप भी सोच रहे होंगे, ई कॉर्पोरेट बुकिंग है किस चिड़िया का नाम? देखो मित्रों, व्हाट इज दी पिनेकल आफ मार्केटिंग ब्रिलियंस इज कॉर्पोरेट बुकिंग। शार्ट में, थोक के भाव टिकट खरीदने की खुजली है कॉर्पोरेट बुकिंग, जिसका विगत कुछ वर्षों से बॉलीवुड कुछ ज़्यादा ही इस्तेमाल कर रही है!

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पर इस ब्रह्मास्त्र की आवश्यकता किसे पड़ गई? अरे भाई, अपने बॉलीवुड के कॉकरोच, श्रीमान करण जौहर को, और किसे? क्रिश्चियन बेल को ट्यूशन देने वाले  प्रतिभाशाली रणवीर सिंह और एंजेलिना जोली की फर्स्ट क्लास कॉपी आलिया भट्ट अभिनीत बॉलीवुड की नवीनतम मैग्नम ओपस, “रॉकी और रानी की प्रेम कहानी”, सिल्वर स्क्रीन पर रिलीज होने वाली है। लेकिन रुकिए, यह सिर्फ कोई रिलीज़ नहीं है; प्रसिद्ध ब्रांडों ने 50,000 से अधिक टिकटें खरीदने के लिए कमर कस ली है! सोचिये, यह फिल्म स्क्रीन पर आने से पहले ही हिट हो गई है! जब आपके पास कॉर्पोरेट समर्थन हो तो दर्शकों की स्वीकृति की आवश्यकता किसे है?

अरे ये तो कुछ भी नहीं है! इन प्रबुद्ध आत्माओं ने अपने उपभोक्ताओं को शुरुआती सप्ताहांत के दौरान मुफ्त टिकट उपलब्ध कराने के लिए प्रमुख सिनेमा श्रृंखलाओं के साथ साझेदारी की है। कितना पारिवारिक माहौल  है नहीं। अच्छी और मनोरंजक फिल्में से क्या होगा, मेन कलेक्शन तो इसका मायने रखता है! हॉलीवुड रखे अपना गोल्ड क्लास कंटेंट और स्टोरीटेलिंग अपने पास, बॉलीवुड के इस अचूक इलाज का कोई सब्स्टीट्यूट नहीं!

अब चलते हैं २०२२ की ओर, जो कॉर्पोरेट बुकिंग के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। यह वह वर्ष था जब बॉलीवुड ने पहली बार करण जौहर की महत्वाकांक्षी परियोजना “ब्रह्मास्त्र” के लिए इस क्रांतिकारी रणनीति को अपनाया। उद्देश्य सरल था: सुनिश्चित करें कि फिल्म रिलीज होने के बाद हफ्तों तक सभी बातचीत पर हावी रहे। खैर, यह वास्तव में शहर में चर्चा का विषय बन गया, भले ही सभी गलत कारणों से। पर वो जैसे बच्चन साब कहते हैं न, लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती!

अब ऐसे में अन्य दावेदार कैसे पीछे रहते? “आदिपुरुष” और “शहजादा” जैसी अन्य फिल्मों ने भी इसका अनुसरण किया। रणबीर कपूर और अन्य सेलेब्स ने उदारतापूर्वक “आदिपुरुष” के लिए 10,000 से अधिक टिकट खरीदे। और फिर ब्रह्माण्ड के समस्त रिकॉर्ड तोड़ने वाले, पठान भाई के प्रभुत्व को कैसे भूल सकते हैं? गुणवत्तापूर्ण सामग्री की आवश्यकता किसे हैं, जब आप उन दर्शकों का ह्रदय जीत सकते, जो अस्तित्व में हैं ही नहीं?

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अब कुछ भोले भाले मानुस ऐसे होंगे, जो बताएँगे कि कैसे इन सब चोंचलों, क्षमा करें, क्रांतिकारी क़दमों के बिना “ओपनहाइमर” और “बार्बी” ने दमदार कमाई की. Sshhh, ऐसी चर्चा में लॉजिक लाकर इसका अपमान नहीं करते।  जब तक हम इन भ्रामक युक्तियों से खुद को और दर्शकों को बेवकूफ बनाते रहेंगे, वास्तविक सामग्री की परवाह कौन करेगा? मूर्ख हैं सुदीप्तो सेन, लक्ष्मण उटेकर और समीर विद्वांस जैसे लोग, जो अच्छी स्क्रिप्ट, दमदार परफॉर्मेंस पर निर्भर रहते हैं! जनता को उल्लू बनाके पैसा छापने में कैसी शर्म?

तो सौ की सीढ़ी के बात मित्रों, कॉर्पोरेट बुकिंग के साथ बॉलीवुड का प्रेम संबंध देखने लायक है। यह सामान्य ज्ञान की साहसी कलाबाजी और तर्क की लुभावनी छलांगों के साथ एक सर्कस को देखने जैसा है। तो, आइए बॉलीवुड के इस क्रन्तिकारी मास्टरस्ट्रोक का जश्न मनाएँ! लगे रहो बॉलीवुड, क्योंकि तुम्हारी हरकतें किसी महाकथा से कम नहीं हैं – एक किंवदंती जो इतिहास के इतिहास में प्रतिभा के प्रतीक के रूप में दर्ज की जाएगी, कि एक फलते फूलते उद्योग को कैसे ख़त्म किया जाए!

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