आपका स्वागत है महाराष्ट्र की राजनीति के रोमांचक जगत में आपका स्वागत है, जहां गठबंधन मुंबई के मौसम की तुलना में तेजी से बदलते हैं और नाटक एक अद्भुत भारतीय सोप ओपेरा की तरह सामने आता है। ऐसे उतार-चढ़ावों के साथ, जिनके बारे में सर्वश्रेष्ठ कथा लेखक भी सपने में नहीं सोच सकते, यह राजनीतिक सर्कस किसी कॉमिक मास्टरपीस से कम नहीं है।
पिछड़ गए बारामती के काका!
जिसकी राजनीतिक परिपक्वता पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता था, अब वे बगलें झाँकते फिर रहे हैं। लगता है इस बार बारामती के काका शरद पवार को देवेन्द्र फड़नवीस के रूप में टक्कर का प्रतिद्वंदी मिला है। एक ही दांव में इन्होंने शरद पवार के पैरों तले से जमीन खिसका दी, जिसे पूरा करने का दावा स्वयं शरद काका कई वर्षों से कर रहे थे, और इस बार अस्त्र बने उन्ही के भतीजे, अजित पवार। अगर ये चौरंग यानि चेस का खेल होता, तो अपने सूझ बूझ के लिए देवेन्द्र फड़नवीस निर्विरोध विजेता घोषित होते, और पवार काका अपना सर खुजाते रहते।
अरे भैया, छोड़िए ई वेस्टरोस और GOT का चक्कर, असल खेल तो महाराष्ट्र में चल रहा है। यहाँ तो शपथ ग्रहण समारोह चार वर्ष में चार बार हो चुके हैं। अब समय ही बताएगा कि महाराष्ट्र के लौह सिंहासन का वास्तविक अधिकारी कौन होगा!
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MVA का घटा कद और चाणक्य नीति!
एक समय दुर्जेय रही महा विकास अघाड़ी (एमवीए) अब केवल 1.5 जिलों + कलानगर + एक बेकाबू संजय राउत की जुबान वाली पार्टी में सिमट कर रह गई है। ऐसे समय में आचार्य चाणक्य के वचन स्मरण योग्य है : यदि बदमाश, अपराधी और धोखेबाज़ अप्रसन्न हैं, तो शासक योग्य और कुशल है। शायद वे राजदीप जैसों का पूर्वानुमान अपने ही युग में लगा चुके थे।
देखिए, राजनीति में, कुछ भी स्थायी नहीं है – न सहयोगी, न शत्रुता। देवेन्द्र फड़णवीस की सबसे बड़ी उपलब्धि शिव सेना और राकांपा के बीच मजबूत गठबंधन को तोड़ना और एमवीए को नष्ट करना है, जो कि उन्होंने उनके और महाराष्ट्र के साथ जो किया उसका मीठा बदला है। यह “मिशन: इम्पॉसिबल” के राजनीतिक संस्करण की तरह है – अंतर इतना है कि स्टंट बुद्धि का होता है, बल का नहीं!। क्रिकेट की बोली में, पवार की गुगली की तुलना शेन वार्न समान थी, लेकिन देवेन्द्र फड़नवीस सचिन तेंदुलकर साबित हुए, जिन्होंने हर चाल का कुशलता से मुकाबला किया। इन राजनीतिक पावरप्ले को देखना किसी भी क्रिकेट मैच से अधिक मनोरंजक है!
विश्वासघातों और गठबंधन की एक अद्भुत कथा
आकाओं की पीठ में छुरा घोंपने से लेकर पाला बदलने तक, महाराष्ट्र की राजनीति ने यह सब देखा है। शरद पवार ने एक बार जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया था और दावा किया था कि उनकी कांग्रेस ही असली कांग्रेस है, और अब अजित पवार ने अपनी एनसीपी को असली एनसीपी बताकर उन्हें स्तब्ध कर दिया है। यही नीति है!
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शरद पवार के इस्तीफों और नौटंकी के आयोजन से, यह स्पष्ट है कि जिसे मीडिया वाले चाणक्य समझे थे, वह तो नीतिसवा का खोया हुआ भ्राता निकला। महाराष्ट्र की राजनीति की लगातार बदलती, अप्रत्याशित दुनिया में, एक बात निश्चित है – यह राज्य का सबसे मनोरंजक शो है। कथानक में ऐसे मोड़ के साथ जो शेक्सपियर को गौरवान्वित करे और पात्र जो पुराने तारक मेहता की याद दिला दे, यह राजनीतिक सर्कस हम सभी को अपनी सीटों से बांधे रखता है। तो पकौड़े लें या पॉपकॉर्न, आराम से बैठें, और महाराष्ट्र की राजनीति की प्रफुल्लित करने वाली रोलरकोस्टर सवारी का आनंद लें!
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