कई सामाजिक समारोहों में एक ऐसी गतिविधि हमें देखने को मिलती है, जहाँ कई लोग अपनी धर्मपत्नियों का परिचय कराने से झिझकते हैं! इसलिए नहीं क्योंकि वे कुरूप दिखती हैं, या फिर उनका पहनावा अशोभनीय है, परन्तु क्योंकि उनपर एक ठप्पा लगा हुआ है – “गृहणी”! अधिकतम धनाढ्य वर्गों में, “गृहणी” का अर्थ है आलस एवं अकर्मण्यता, यानी “गृहणी” का काम है केवल घर पर बैठना, और कुछ नहीं करना!
परन्तु भारतीय गृहणियों को देखने का एक अलग दृष्टिकोण भी है, जहां आपको गृहणियां, गृहणियां कम और MBA Grads अधिक लगेंगी वो भी किसी एक stream की नहीं, सभी MBA streams का एक ही स्त्री में समावेश. इस लेख के माध्यम से हम उस गर्व को पुनः स्थापित करने का प्रयास करेंगे जो हर गृहिणी को होना चाहिए और जो समय के साथ कहीं लुप्त हो गया है.
कैसे हैं भारतीय गृहणी फाइनेंस में कुशल
व्यवसायिक शिक्षा के क्षेत्र में वित्त अर्थात फाइनेंस में एमबीए का अपना महत्त्व है, जो आपको वित्तीय प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराता है. इस क्षेत्र में विशेषज्ञता से आप वित्तीय विश्लेषण, जोखिम प्रबंधन, निवेश रणनीतियों और कॉर्पोरेट वित्तीय प्रबंधन के आयोजन में कुशल होंगे. इस कोर्स का मूल उद्देश्य है वित्त क्षेत्र में योग्य डिसीजन मेकर्स का निर्माण करना, जिन्हे कुशल डेटा विश्लेषण और मार्केट की सूक्ष्म समझ हो!
इस क्षेत्र में भारतीय गृहणी का कोई सानी नहीं. वे इस ढाँचे में सहजता से एकीकृत हो जाती हैं. पुरुष घर के लिए आय अर्जित करता है, परन्तु उसका सही आवंटन एक गृहणी को ही बेहतर आता है. राशन की संख्या कितनी होगी, आय को आवंटित करने में किस क्षेत्र की कितनी प्राथमिकता होगी, और बजट का उपयोग कैसे होगा, ये एक भारतीय गृहणी ही बेहतर जानती है.
केवल इतना ही नहीं, जब बात जोखिम प्रबंधन और निवेश रणनीति की हो, तो वहां पर भी भारतीय गृहणियों ने अपनी कुशलता समय समय पर सिद्ध की है. उदाहरण के लिए यदि किसी वस्तु की खरीददारी, जैसे कि स्मार्ट टीवी, घर का बजट बिगाड़ने में सक्षम है, तो गृहणियां तब तक के लिए इसे टालती है जब तक स्थिति अनुकूल नहीं होती. वो कहते हैं न, दुर्घटना से देर भली!
इसी बजट आवंटन का एक सकारात्मक परिणाम ये भी है कि हमारे घर में सेविंग्स यानी बचत का भी अपना महत्त्व है. संकट में न जाने कौन सा वित्तीय संसाधन कब काम आये, इस बात को भारतीय गृहणियां भली भाँति समझती है, और बचत का ऐसा ढांचा तैयार करती है, जिससे प्रारंभिक निवेश कई गुना बढ़ जाता है. वास्तविक दुनिया के कई उदाहरण इस भावना का प्रत्यक्ष प्रमाण है!
अब “आयरन लेडी” मार्ग्रेट थैचर को ही ले लीजिये. वे कोई भारतीय गृहणी नहीं, परन्तु उन्होंने उक्त आदर्शों में से कई बातों को आत्मसात किया था. एक कुशल गृहणी की भांति इन्होने अपनी विवेकशीलता का प्रयोग ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में किया. ऐसे में निर्मला सीतारमण को कैसे भूल सकते हैं? दीर्घकालिक निवेश से लेकर कोविड-19 महामारी के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने तक इनकी रणनीतियां सराहनीय रही है, और आपको पता है इन सब की शिक्षा उन्हें कहाँ से मिली? अपने गृहणी होने के निजी अनुभव से!
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कैसे हैं भारतीय गृहणियां मानव संसाधन प्रबंधन में कुशल!
एमबीए के क्षेत्र में मानव संसाधन प्रबंधन की विशेषज्ञता भी अति महत्वपूर्ण है. कॉर्पोरेट जोक्स से इतर यह क्षेत्र किसी संगठन के कार्यबल के कुशल प्रबंधन और अनुकूलन के लिए आवश्यक रणनीतिक और परिचालन हेतु आपको तैयार करता है. इस व्यापक कार्यक्रम में Talent Acquisition से लेकर कर्मचारी विकास, प्रदर्शन मूल्यांकन, क्षतिपूर्ति संरचना और Labor Relationship Management जैसे महत्वपूर्ण मानव संसाधन पहलू सम्मिलित हैं। यह नेतृत्व, प्रभावी संचार और ठोस निर्णय लेने के कौशल के विकास को रेखांकित करता है – जो मानव संसाधन कार्यों के सफल आयोजन के लिए अति आवश्यक हैं।
अब इस क्षेत्र् में भारतीय गृहणियों ने तो मानो डिस्टिंक्शन के साथ परीक्षा पास की है. वो कैसे? मानव संसाधन के क्षेत्र में भारतीय गृहणियों की निपुणता केवल घर के वर्गक्षेत्र तक सीमित नहीं है. चाहे डोमेस्टिक हेल्प यानी सेवक/ सेविका को हायर करना हो [अथवा निष्कासित करना हो], सामान्य राशन पानी की उचित खरीददारी से लेकर बच्चों का होमवर्क सुनिश्चित कराना हो, ये सब कोई छोटे मोटे कार्य नहीं है, और फिर भी इन्हे भारतीय गृहणियां अति कुशलता से पूर्ण करने में सफल सिद्ध होती है! इतना ही नहीं, आवश्यक कार्यों के लिए प्लम्बर या इलेक्ट्रिशियन हो, या फिर आस पड़ोस के लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रखना हो, इन सभी क्षेत्रों में भारतीय गृहणियों का कोई जवाब नहीं!
इन ज़िम्मेदारियों को कमतर आंकने की भूल कदापि न करें. ऐसे चुनौतियों से निपटना तो भारतीय गृहणियों के लिए बाएं हाथ का खेल है, वो अलग बात है कि अभी तक इन्हे इस कार्यकुशलता के लिए उचित सम्मान नहीं मिला है. इसी का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है सोनी लिव पर प्रसारित होने वाली वेब सीरीज़ “गुल्लक”, जहाँ शांति मिश्रा के किरदार के माध्यम से दिखाया गया है कि कैसे एक भारतीय गृहणी बड़ी ही कुशलता से अपने परिवार के सदस्यों एवं अपने संसाधनों का ख्याल रखती हैं!
ऐसी विशेषज्ञता मानव संसाधन प्रबंधन के उस रूप को दर्शाती है जो पारंपरिक पाठ्यपुस्तकों से परे है, जहाँ मानव संबंधों को सिंक्रनाइज़ करने, बुद्धिमानी से संसाधनों को आवंटित करने और संतुलित सामंजस्य के माहौल को बढ़ावा देने की एक सहज क्षमता का प्रदर्शन करती है – जिसके लिए भारतीय गृहणियों की जितनी प्रशंसा की जाए, वो कम ही होगी!
कैसे हैं भारतीय गृहणियां मार्केटिंग में कुशल
कुशल मार्केटिंग प्रोफेशनल बनाने की दिशा में एमबीए का मार्केटिंग पाठ्यक्रम का मूल उद्देश्य सहजता से मार्केटिंग के सैद्धांतिक ढांचों को व्यवहारिक जगत के विभिन्न एप्लीकेशंस के साथ जोड़ना है. इससे मार्केटिंग के विविध परिदृश्य के लिए आवश्यक रणनीतिक सोच एवं प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स का मार्ग प्रशस्त किया जाता है.
अब आपने शिंडलर्स’ लिस्ट का वो संवाद तो सुना ही होगा, “मैं चाहता हूँ कि उसकी एक अलग चमक हो, इसी में मैं कुशल हूँ. काम में नहीं, प्रेजेन्टेशन में!” यह मार्केटिंग का वो सिद्धांत है, जिसे लगता है हमारी गृहणियों ने शत प्रतिशत आत्मसात कर लिया है. कैसे परिवार घर पर और समाज, दोनों में एक सम्मानजनक छवि पेश करे, इसी में इनके इन गुणों का अद्वितीय परिचय हमें देखने को मिलता है!
इसके अतिरिक्त विपणन यानी मार्केटिंग वो कला है, जहाँ आपको केवल उत्पादों को कुशलता से बेचना ही नहीं होता, अपितु उन उत्पादों पर भी ध्यान देना होता होता है, जो आवश्यक नहीं की परफेक्ट हो. उल्लेखनीय रूप से, भारतीय महिलाओं ने इस कला में अद्वितीय निपुणता प्राप्त की है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आप “ये मेरी फैमिली” के विभिन्न संस्करणों में भी देख सकते हैं ।
संक्षेप में, जिस तरह मार्केटिंग में एमबीए विशेषज्ञों को रणनीतिक रूप से उत्पादों को बढ़ावा देने की क्षमता प्रदान करता है, उसी तरह भारतीय गृहणियां अपने परिवारों की प्रस्तुति और प्रतिष्ठा के लिए तत्पर हैं, जो अपने आप में अद्वितीय मार्केटिंग का एक अनुपम उदाहरण है।
कैसे हैं भारतीय गृहणियां आपूर्ति चेन प्रबंधन में कुशल
आपूर्ति चेन प्रबंधन में एमबीए का उद्देश्य स्पष्ट है : विद्यार्थियों को आपूर्ति चेन प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराना, एवं इन्वेंट्री नियंत्रण पद्धतियों और सटीकता से डिमांड फोरकास्टिंग और Lean Management के आधारभूत सिद्धांतों तक रणनीतियों के एक व्यापक स्पेक्ट्रम पर प्रकाश डालना.
इस विशेषज्ञता के केंद्र में कई महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं जिनमें seamless इन्वेंट्री टर्नओवर, पर्याप्त लागत में कमी, कुशल risk mitigation और उन्नत ग्राहक संतुष्टि शामिल हैं। यहाँ विद्यार्थियों को स्टॉक लेवल को चतुराई से संतुलित करने, एक्सेस या आपूर्ति की कमी के खतरों को कुशलतापूर्वक रोकने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है, जबकि वर्कफ़्लो को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रौद्योगिकी और डेटा-संचालित विश्लेषण का उपयोग किया जाता है।
अब यहाँ हमारी गृहणियों का परफॉर्मेंस कैसा रहा है? आपूर्ति चेन प्रबंधन में हमारी गृहणियों का एक अलग ही पक्ष निकलकर सामने आता है, जो बड़े से बड़े बिजनेस विशेषज्ञ को आश्चर्यचकित करने के लिए पर्याप्त है. उदाहरण के लिए घर के राशन में अगर हल्दी की मांग ३०० ग्राम है, तो वे सुनिश्चित करेंगी कि वह ३०० ग्राम ही हो – न एक ग्राम कम, न अधिक. ऐसी सटीकता आपने कितनी जगह नोटिस की है?
ऐसे ही, अगर आटे की आवश्यकता घर में २ किलो की हो, और उपलब्ध आटा १ किलो है, तो उस आपूर्ति में कमी की जांच अथवा उसके लिए उचित प्रबंधन करने का दायित्व भारतीय गृहणियां संभालती हैं. भारतीय गृहिणियाँ अद्वितीय संसाधनशीलता का प्रदर्शन करती हैं, चाहे बात स्टॉक को फिर से भरने की हो, या संसाधनों को कहाँ आवंटित करने की हो.
सतर्कता, कुशल आपूर्ति श्रृंखला नियंत्रण की आंतरिक आधारशिला है, जो भारतीय गृहिणियों में कूट कूट के भरी है। वे सतर्क संरक्षक के रूप में खड़ी होती हैं, स्टॉक की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं, एवं संभावित कमी के लिए आवश्यक बैकअप का प्रबंधन करती हैं।
अतः आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के सिद्धांत और भारतीय गृहणियों के सर्वोत्कृष्ट गुणों के बीच समानताएं व्यावहारिक समरूपता प्रकट करती हैं। जैसे एमबीए कार्यक्रम विद्यार्थियों को कुशल आपूर्ति चेन प्रबंधकों के रूप में प्रशिक्षित करता है, ठीक उसी प्रकार परिवार का प्रबंधन सावधानीपूर्वक और साधन संपन्न भारतीय गृहणियों द्वारा कुशलतापूर्वक किया जाता है। दोनों ही मामलों में, अंतिम उद्देश्य ऑप्टिमाइजेशन में निहित रहता है, चाहे वह कॉर्पोरेट के वितरण चैनलों के भीतर हो या घर के स्टॉक का उचित प्रबंधन हो।
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भारतीय गृहणी होना कोई शर्म की बात नहीं!
अब आप समझ गए होंगे कि “गृहणी” होना कोई अपमान अथवा लज्जा का विषय नहीं, अपितु गौरव की बात है. वित्त के क्षेत्र में इनका संसाधन आवंटन बड़े विश्लेषकों को चकित कर सकता है. मानव संसाधन में इनके प्रबंधन के क्या ही कहने, और मार्केटिंग के क्षेत्र में अपने परिवार की छवि को चमकाना कोई मज़ाक नहीं!
आपूर्ति चेन प्रबंधन में भी इनकी सतर्कता और संसाधनशीलता एमबीए के मूल सिद्धांतों को दर्शाती है। ये गृहणियां एमबीए के विभिन्न विशेषज्ञताओं [चाहे वह वित्त हो, मानव संसाधन हो, विपणन या फिर आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन] में निपुणता का प्रतीक हैं। यह परिप्रेक्ष्य उनके बहुमुखी कौशल और संसाधनशीलता का परिचायक है। भारतीय गृहिणी होना अपमान का नहीं, भारतीय गृहणी होना सम्मान का विषय है, वो अलग बात है कि कुछ लोगों को ये बात कदापि नहीं पचेगी.
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