इस बार के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों ने तहलका मचा दिया. जो भी आया, खाली हाथ नहीं गया. कुछ के लिए ये पुरस्कार किसी सपने के सच होने से कम न था, तो कुछ को ये पुरस्कार मिलते देख लगा, “भाईसाब ये कुछ ज़्यादा नहीं हो गया?”
इस बार तो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में एक बात स्पष्ट हो गई : एजेण्डावाद के लिए कोई स्थान नहीं! जो लोग ये आशा कर रहे थे कि “जय भीम”, “83”, “अतरंगी रे” जैसों को कोई पुरस्कार मिलेगा, उन्हें इस बार पुरस्कार समिति ने प्रेमपूर्वक भगा दिया. आर माधवन द्वारा निर्देशित एवं अभिनीत “रॉकेट्री” को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. वहीं “शेरशाह”, “द कश्मीर फाइल्स” इत्यादि को भी उनका सम्मान मिला!
परन्तु इस बार जिन फिल्मों ने धमाल मचाया, वे विपरीत प्रवृत्ति के थे. दोनों की थीम एक ही थी: देशभक्ति, परन्तु दोनों का फार्मूला एकदम विपरीत था. इसके बाद भी “रौद्रम रणम रुधिरम” यानी RRR एवं “सरदार ऊधम” ने पुरस्कारों पे अपना प्रभाव जमाया!
RRR को “सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म” समेत ६ पुरस्कार प्राप्त हुए, तो वहीँ सरदार ऊधम ने “सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म” समेत ५ पुरस्कार अर्जित किये. इसके अतिरिक्त विवेक अग्निहोत्री की “द कश्मीर फाइल्स” ने भी नेशनल फिल्म अवार्ड्स में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. फिल्म ने “Nargis Dutt Award for Best Film on National Integration” के साथ साथ “सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री” का पुरस्कार भी अर्जित किया, जो पल्लवी जोशी को उनकी भूमिका के लिए मिला.
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परन्तु जब एक्टिंग पुरस्कारों की घोषणा, तो यही उत्साह अविश्वास में परिवर्तित हो गया. सहायक कलाकारों से किसी को समस्या नहीं रही, क्योंकि पंकज त्रिपाठी और पल्लवी जोशी को “मिमी” एवं “द कश्मीर फाइल्स” में उनकी भूमिकाओं के लिए पुरस्कार मिला था. पर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता एवं अभिनेत्री के चयन पर कई सिनेमा प्रेमियों ने अपना माथा पीट लिया!
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए संयुक्त रूप से कृति सैनन एवं आलिया भट्ट को “मिमी” एवं “गंगूबाई काठियावाड़ी” में उनकी भूमिकाओं के लिए सम्मानित किया जायेगा. एक बार को कृति की भूमिका को उस योग्य कुछ लोग मान भी लेंगे, परन्तु आलिया की भूमिका इतनी भी उत्कृष्ट नहीं थी कि उसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाए. परन्तु ये मेरे निजी विचार है, बाकी लोग क्या मानते हो, उसमें आवश्यक कि सबको सहमति हो!
परन्तु सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए सारे संसार में अल्लू अर्जुन ही मिला था? हाँ जी, “पुष्पा” के लिए अल्लू अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा. जिन्हे भी क्षेत्रवाद कार्ड खेलना हो, उन्हें सूचित कर दें कि अल्लू अर्जुन के उद्योग से ही उनसे बेहतर विकल्प उपलब्ध थे. आपके पास “RRR” से रामचरण एवं जूनियर एनटीआर थे, आपके पास नम्बि नारायण के रूप में आर माधवन. इसके अतिरिक्त ऊधम सिंह के रूप में विक्की कौशल, कैप्टन विक्रम बत्रा के रूप में सिद्धार्थ मल्होत्रा, यहाँ तक कि “द कश्मीर फाइल्स” के पुष्कर नाथ पंडित यानी अनुपम खेर जैसे विकल्प उपलब्ध थे! इसके बाद भी आपने किसे चुना? अल्लू अर्जुन को? इससे अच्छा रणवीर सिंह को ही “८३” के लिए ये पुरस्कार दे देते!
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