हाल ही में उत्तर प्रदेश के मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर के पास रेलवे की जमीन पर किए गए अतिक्रमण को बुलडोजर से ढहाया गया। दरअसल रेलवे प्रशासन ने जून में ही नई बस्ती में रहने वालों को जगह खाली करने के लिए नोटिस भेजा था, लेकिन इसके बाद भी वहाँ लोगों ने जमीन खाली नहीं की। इस वजह से वहाँ ये कार्रवाई की गई। बुधवार (8 अगस्त) को पुलिस टीम के साथ पहुँचे जीआरपी और आरपीएफ के जवानों की मौजूदगी में ये एक्शन लिया गया।
“इस जगह को खाली कर दें, यहाँ बने घरों को ढहाया जाएगा” की आवाज जैसे ही श्री कृष्ण जन्मभूमि के पीछे बसी नई बस्ती के बाशिंदों ने सुनी तो वो हैरान रह गए। इसके साथ ही लोगों ने वहाँ प्रशासनिक अमले के साथ बड़े बुलडोजर को खड़े पाया। इनका कोई विरोध काम न आया, और अंत में
दरअसल यहाँ रहने वाले लोगों को रेलवे की तरफ से जमीन खाली करने को लेकर बीती 7 जून को नोटिस भेजा गया था और इस जगह को एक महीने के अंदर खाली करने को कहा था, लेकिन लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
जबकि प्रशासन का कहना है कि यह सक्रिय विध्वंस पूर्व सूचना का परिणाम है, नई बस्ती के कुछ निवासियों की ओर से एक अलग कहानी सामने आई है। उनके परिप्रेक्ष्य में, निकासी उपायों ने घबराहट और भय की भावनाओं की विशेषता वाली बेचैनी का माहौल पैदा किया है। इन निवासियों का तर्क है कि उन्होंने वैध तरीके से संपत्तियां हासिल की हैं और अब उन्हें अपनी ही जमीन से उजड़ने की निराशाजनक संभावना का सामना करना पड़ रहा है।
शाही ईदगाह मस्जिद, जिस पर कभी मंदिर हुआ करता था, उसी भूमि से हटाने की मांग को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष कई याचिकाओं के साथ विवादित अतिक्रमण के रूप में खड़ा है, जो रेलवे ट्रैक के साथ अतिक्रमण के साथ समानता रखता है।
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श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाले गोपेश्वर चतुर्वेदी इन घटनाओं के बीच एक दिलचस्प संबंध बताते हैं। वह टिप्पणी करते हैं, “आज, रेलवे ट्रैक के किनारे के इन अतिक्रमणों को उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से हटा दिया गया है। भविष्य में, हम शाही ईदगाह मस्जिद को भी हटाते हुए देख सकते हैं।” चतुर्वेदी का बयान कानूनी प्रक्रिया, सार्वजनिक भावना और पवित्र स्थानों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के प्रयास की जटिल परस्पर क्रिया को दर्शाता है।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) ने कहा कि रेलवे की जमीन पर घरों के तौर पर किए इस अतिक्रमणों को मौजूदा मीटर गेज रेलवे ट्रैक को ब्रॉड गेज ट्रैक में बदलने की पहल के हिस्से के तौर पर हटा दिया गया था, जिससे मथुरा और वृंदावन के बीच कनेक्शन की सुविधा मिल सके। नई बस्ती में बुलडोजर से घरों को धराशायी करने के दौरान जीआरपी, आरपीएफ सहित भारी संख्या में सिविल पुलिस मौजूद रही। साथ ही सिटी मजिस्ट्रेट, एसडीएम और रेलवे अधिकारी भी मौजूद रहे।
इस उभरती कथा की जटिल पच्चीकारी में, वैधता, भावना और ऐतिहासिकता की गतिशीलता मिलती है। श्री कृष्ण जन्मभूमि को अनधिकृत अतिक्रमणों के कब्जे से मुक्त कराने का प्रयास पवित्र स्थलों की पवित्रता बहाल करने की व्यापक खोज को दर्शाता है। जैसे ही इतिहास की गूँज इन निष्कासनों के माध्यम से गूंजती है, राष्ट्र सांस रोककर देखता है, उन संघर्षों के समाधान की आशा करता है जो न केवल स्थानिक हैं बल्कि सामूहिक स्मृति और विश्वास के ताने-बाने के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं।
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