BRICS का विस्तार आधिकारिक रूप से तय!

BRICS के विस्तार में अब और विलम्ब नहीं!

बहुचर्चित BRICS के विस्तार में अब और विलम्ब नहीं! दक्षिण अफ्रीका में आयोजित इस समूह के विस्तार पर आधिकारिक तौर पे मोहर लग चुकी है. ब्रिक्स के साथ नए जुड़ने वाले देश अर्जेंटीना, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इथियोपिया और मिस्र हैं। इनकी सदस्यता 1 जनवरी 2024 से प्रारम्भ होगी।

इस परिवर्तन के बाद इसी के साथ ब्रिक्स दुनिया में संयुक्त राष्ट्र के बाद सबसे बड़ी आबादी, सबसे ज्यादा जमीन, सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला समूह बन गया है। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान मेजबान देश के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने इसकी घोषणा की, जिसका भारत समेत सभी सदस्य देशों ने स्वागत किया।

दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने पीएम नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा की मौजूदगी में एलान किया कि नए सदस्य एक जनवरी, 2024 से ब्रिक्स का हिस्सा बन जाएंगे। उन्होंने कहा, विस्तार प्रक्रिया के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानदंडों व प्रक्रियाओं को मजबूत करने के बाद फैसले पर सहमति बनी। रामाफोसा ने 15वें शिखर सम्मेलन के अंत में कहा, ब्रिक्स वैश्विक वित्तीय ढांचे की स्थिरता, विश्वसनीयता व निष्पक्षता में सुधार के अवसर तलाशने के लिए तैयार है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि लगातार 3 दिनों तक चले विचार-विमर्श के बाद हम एक सकारात्मक नतीजे तक पहुँचने में सफल रहे हैं। भारत की ओर से मैं सभी नए 6 सदस्य देशों का स्वागत करता हूँ और उनके साथ भविष्य की साझेदारियों को लेकर बहुत आशान्वित हूँ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अपने साथियों अर्जेंटीना, इजिप्ट, इथिओपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई का स्वागत करता है।

परन्तु एक और बात है, जिसपे कम ही लोग ध्यान दे रहे हैं. इन नए सदस्यों में कई ऐसे भी हैं, जिनके पास तेल एवं अन्य पेट्रोलियम संसाधनों का अकूत भंडार है. ऐसे में ये साझेदारी केवल कूटनीतिक नहीं, अपितु रणनीतिक भी है!

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ब्रिक्स में शामिल देशों में भारत का चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। जमीन के लिहाज से रूस, ब्राजील, चीन, भारत दुनिया के सबसे बड़े 7 देशों में से हैं, तो आबादी के लिहाज से चीन, भारत, इथिओपिया, सऊदी अरब, ब्राजील जैसे देश अग्रणी हैं। इनकी सामूहिक अर्थव्यवस्था दुनिया की दो तिहाई से भी अधिक है। वहीं, इस ब्लॉक में अधिकतर देशों के आपसी संबंध भी बेहतर हैं।

चीन अपनी मुद्रा युआन के माध्यम से डॉलर को चुनौती दे रही है, तो भारत रूपए के माध्यम से। रूस अपनी मुद्रा में लेन-देन कर रहा है, क्योंकि अमेरिका-ईयू के देशों ने उस पर बैन लगा रखे हैं। ऐसे में ये तीनों ही देश अपनी मुद्राओं में लेन-देन को बढ़ावा दे रहे हैं। यूएई में तो भारतीय रुपए में लेन देन शुरू भी हो गया है।

वहीं, सऊदी अरब जैसे देश भारत के पारंपरिक सहयोगी रहे हैं। फिर रूस की भारत-चीन से दोस्ती और अमेरिका से दूरी किसी से छिपी नहीं है। यही नहीं, भारत और चीन अगले चार वर्षों में दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से क्रमश: तीसरे और दूसरे स्थान पर होंगे। ऐसे में ब्रिक्स का विस्तार डॉलर के दबदबे को चुनौती देने वाला साबित हो सकता है।

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