TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    बिहार में राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों की निकली हवा, जानें क्या है मामला?

    बिहार में राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों की निकली हवा, जानें क्या है मामला?

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    चुनाव आयोग की राहुल गांधी को दो टूक: घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करें या माफी मांगें

    चुनाव आयोग की राहुल गांधी को दो टूक: घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करें या माफी मांगें

    राहुल के आरोपों के बीच कीर्ति आज़ाद का कांग्रेस के मतदान चोरी का वीडियो फिर से सुर्खियों में

    राहुल के आरोपों के बीच कीर्ति आज़ाद का कांग्रेस के मतदान चोरी का वीडियो फिर से सुर्खियों में

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्योता

    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्यौता

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    S-400 ने मार गिराए थे पाकिस्तान के पांच फाइटर जेट, जानें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सबकुछ

    S-400 ने मार गिराए थे पाकिस्तान के पांच फाइटर जेट, जानें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सबकुछ

    ऑपरेशन अखल: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में एक और आतंकी ढेर, 2 जवान शहीद

    ऑपरेशन अखल: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में एक और आतंकी ढेर, 2 जवान शहीद

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    "सावधान भारत!" अमेरिका की चाल पर चीनी विशेषज्ञ ने दी सख्त चेतावनी, जानें क्या कहा

    “सावधान भारत!” अमेरिका की चाल पर चीनी विशेषज्ञ ने दी सख्त चेतावनी, जानें क्या कहा

    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्योता

    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्यौता

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औपनिवेशिक मिथक का पर्दाफ़ाश: हुमायूं-रानी कर्णावती राखी की झूठी कहानी और रक्षाबंधन की असली प्राचीन हिंदू उत्पत्ति

    ऐतिहासिक झूठ का खुलासा: हुमायूं-रानी कर्णावती राखी की झूठी कहानी और रक्षाबंधन की असली प्राचीन हिंदू उत्पत्ति

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

    भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    बिहार में राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों की निकली हवा, जानें क्या है मामला?

    बिहार में राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों की निकली हवा, जानें क्या है मामला?

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    चुनाव आयोग की राहुल गांधी को दो टूक: घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करें या माफी मांगें

    चुनाव आयोग की राहुल गांधी को दो टूक: घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करें या माफी मांगें

    राहुल के आरोपों के बीच कीर्ति आज़ाद का कांग्रेस के मतदान चोरी का वीडियो फिर से सुर्खियों में

    राहुल के आरोपों के बीच कीर्ति आज़ाद का कांग्रेस के मतदान चोरी का वीडियो फिर से सुर्खियों में

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्योता

    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्यौता

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ- कपड़ा, आभूषण और मशीनरी निर्यात पर गहरा असर

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    S-400 ने मार गिराए थे पाकिस्तान के पांच फाइटर जेट, जानें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सबकुछ

    S-400 ने मार गिराए थे पाकिस्तान के पांच फाइटर जेट, जानें ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सबकुछ

    ऑपरेशन अखल: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में एक और आतंकी ढेर, 2 जवान शहीद

    ऑपरेशन अखल: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में एक और आतंकी ढेर, 2 जवान शहीद

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग, वायुसेना और नौसेना तैयार बड़े ऑर्डर के लिए

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में हर बटालियन में UAV और ड्रोन सिस्टम शामिल

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    "सावधान भारत!" अमेरिका की चाल पर चीनी विशेषज्ञ ने दी सख्त चेतावनी, जानें क्या कहा

    “सावधान भारत!” अमेरिका की चाल पर चीनी विशेषज्ञ ने दी सख्त चेतावनी, जानें क्या कहा

    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्योता

    पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति से की बात, द्विपक्षीय सम्मेलन में भारत आने का दिया न्यौता

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    रिकॉर्ड 50% टैरिफ के चलते ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता से किया इनकार

    Amid Trump's tarrif Putin will visit India soon

    अमेरिका का ट्रेड वॉर: संभावनाएं और दुष्परिणाम

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    औपनिवेशिक मिथक का पर्दाफ़ाश: हुमायूं-रानी कर्णावती राखी की झूठी कहानी और रक्षाबंधन की असली प्राचीन हिंदू उत्पत्ति

    ऐतिहासिक झूठ का खुलासा: हुमायूं-रानी कर्णावती राखी की झूठी कहानी और रक्षाबंधन की असली प्राचीन हिंदू उत्पत्ति

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

    भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

    भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    दिल्ली में आरएसएस करेगा लोगों से संवाद, संघ प्रमुख देंगे इन सवालों के जवाब

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    स्मृति ईरानी की टीवी पर शानदार वापसी, रुपाली गांगुली और हिना खान को पछाड़ बनीं हाईएस्ट पेड टीवी स्टार

    लद्दाख में ISRO का Mini Mars मिशन: होप सिमुलेशन से अंतरिक्ष की अगली छलांग

    क्या है भारत का मिशन HOPE और लद्दाख में क्यों जुटे हैं ISRO के वैज्ञानिक ?

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने रचा इतिहास, बनीं FIDE वर्ल्ड कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    मेघालय में विवाह से पहले अनिवार्य एचआईवी जांच: क्या कानून वहां सफल होगा जहां संस्कृति असफल रही?

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

कैसे भरोसेमंद आयुर्वेद को लुभावने होमियोपैथी ने पछाड़ा

क्यों पिछड़ा आयुर्वेद?

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
11 August 2023
in ज्ञान
कैसे भरोसेमंद आयुर्वेद को लुभावने होमियोपैथी ने पछाड़ा
Share on FacebookShare on X

जर्मनी ने संसार को तीन ‘अद्वितीय रत्न’ दिए, जिन्होंने वैश्विक इतिहास में त्राहिमाम मचाने में कोई प्रयास अधूरा नहीं छोड़ा. इनमें से दो, एडोल्फ हिटलर एवं कार्ल मार्क्स अपने विचारों के पीछे कभी न कभी आलोचना एवं निंदा का पात्र बने हैं. परन्तु एक व्यक्ति ऐसा भी है, जिसके विचार एवं उसकी पद्दति आज भी कुछ लोगों द्वारा उपयुक्त मानी जाती है, और ये कोई शुभ संकेत नहीं. इस महानुभाव का नाम है डॉक्टर सैमुएल हानेमैन, जिन्हे इतिहास होमियोपैथी के जनक के रूप में जानती है.

हम उन कारणों पर चर्चा चाहते हैं, जो ये सिद्ध करते हैं कि क्यों होमियोपैथी कुछ भी हो, परन्तु वैज्ञानिक कहलाने योग्य नहीं, और क्यों इसने इससे कहीं अधिक प्रभावी आयुर्वेद विज्ञान को काफी पीछे छोड़ दिया!

संबंधितपोस्ट

‘बायोपायरेसी पर लगेगी रोक’: भारत ने AI और पारंपरिक चिकित्सा के संगम से बनाई TKDL, कैसे बदलेगा चिकित्सा का भविष्य?

कुमार विश्वास ने सरदार जी3 के लिए दिलजीत को लगाई लताड़

सिर्फ 3% था बचने का चांस; सिद्धू की पत्नी ने नीम के पत्ते, कच्ची हल्दी और आयुर्वेद के सहारे स्टेज IV कैंसर को हराया

और लोड करें

होम्योपैथी और प्रारंभिक प्रतिरोध का एक संक्षिप्त इतिहास

होम्योपैथी पर किसी भी प्रकार की चर्चा से पूर्व ये जानना आवश्यक है कि इसका इतिहास क्या है, इसकी उत्पत्ति क्यों और कैसे हुई. होमियोपैथी की उत्पत्ति का श्रेय जर्मन चिकित्सक सैमुएल हानेमैन को दिया जा सकता है, जिन्होंने १८वीं शताब्दी में इस पद्दति का सृजन किया था. होम्योपैथी का मूल सिद्धांत, “Like Cures Like” के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति में लक्षण पैदा करने वाला पदार्थ एक बीमार व्यक्ति में उन्हीं लक्षणों को कम कर सकता है।

हानेमैन के बहुचर्चित निबंध “ऑर्गनॉन ऑफ द मेडिकल आर्ट” ने इन सिद्धांतों को रेखांकित किया, जो होम्योपैथिक अभ्यास की आधारशिला बन गया। मजे की बात यह है कि यह वही हानेमैन थे जिन्होंने आधुनिक चिकित्सा के लिए एलोपैथी शब्द की उत्पत्ति की, और ये उपमा सम्मान की दृष्टि से तो बिलकुल नहीं दी गई थी। जो पद्दति तत्कालीन चिकित्सा के एक सौम्य विकल्प के रूप में प्रारम्भ हुई, वह जल्द ही एक ऐसे पंथ में बदल गई, जिसमें कम जवाबदेही और अधिक अनुयायियों की मांग की गई।

19वीं शताब्दी में होम्योपैथी यूरोपीय सीमाओं से परे फैलने लगी, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका भी सम्मिलित हुआ. होमियोपैथी के व्यक्तिगत दृष्टिकोण और अपेक्षाकृत सौम्य उपचारों के कारण इसकी लोकप्रियता बढ़ी। परिणामस्वरूप, होम्योपैथी को संदेह और प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। जैसे-जैसे एलोपैथिक चिकित्सा और होम्योपैथी ने अपनी अपनी पकड़ मजबूत की, वैसे-वैसे एलोपैथिक चिकित्सा और होम्योपैथी के बीच तनाव बढ़ता गया।

19वीं सदी के अंत में महत्वपूर्ण मोड़ आया जब फ्लेक्सनर रिपोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा और प्रथाओं के पुनर्मूल्यांकन को प्रेरित किया। इसके बाद होम्योपैथी की व्यक्तिगत देखभाल विकसित हो रहे चिकित्सा परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाने लगी और धीरे-धीरे इसे जनता के बीच स्वीकृति भी मिलने लगी.

भारत में होम्योपैथी का प्रभाव

भारत में होम्योपैथी का प्रारम्भ 19वीं सदी के प्रारम्भ में हुआ, जब डॉ. हैनिमैन के शिष्य डॉ. जॉन मार्टिन होनिगबर्गर भारत यात्रा पर निकले। उनके प्रतिष्ठित रोगियों में महाराजा रणजीत सिंह भी थे, हालाँकि इस दावे के समर्थन में कम ही साक्ष्य उपलब्ध है.

आज, होम्योपैथी भारत में एक उभरते उद्योग के रूप में फल-फूल रही है। इस क्षेत्र में कार्यरत डॉ. मुकेश बत्रा बताते हैं कि भारत में होम्योपैथिक बाजार लगातार विकास के लिए अग्रसर है, जिसका वार्षिक दर 20% -25% होने का अनुमान है। इस विस्तार से बाजार का आकार लगभग 1.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। इस उछाल के पीछे की प्रेरक शक्ति का श्रेय भारत के 500,000 से अधिक पंजीकृत होम्योपैथों के विशाल समूह को दिया जा सकता है, जिनमें हर वर्ष लगभग 20,000 नए चिकित्सक शामिल होते हैं।

अपनी निरंतर लोकप्रियता के साथ, होम्योपैथी भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो 10 करोड़ से अधिक लोगों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल विकल्प के रूप में सेवा प्रदान करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) होम्योपैथी को विश्व स्तर पर चिकित्सा की दूसरी सबसे बड़ी प्रणाली के रूप में स्वीकार करता है। इसकी पहुंच 80 से अधिक देशों तक है, जहां 20 करोड़ से अधिक लोग नियमित स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए इसके सिद्धांतों पर निर्भर हैं।

डॉ. मुकेश बत्रा के अनुसार, वैश्विक होम्योपैथी उत्पाद बाजार ने हाल के वर्षों में क्रमिक लेकिन संतोषजनक वृद्धि प्रदर्शित की है। विशेष रूप से, यह प्रवृत्ति 2022 से 2027 तक तीव्र होने का अनुमान है, और अनुमान के अनुसार मार्किट साइज़ $854.4 मिलियन से बढ़कर $1,377.9 मिलियन हो जाएगा। मजबूत वार्षिक विकास दर और चिकित्सकों की पर्याप्त संख्या के साथ, होम्योपैथी भारत और विश्व स्तर पर लाखों लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल विकल्पों में सबसे अग्रणी है।

और पढ़ें: भगवद गीता सभी धार्मिक पुस्तकों का रत्न क्यों है?

इन बातों का उत्तर कौन देगा?

यह स्पष्ट है कि होम्योपैथी के क्षेत्र में कथित अनुसंधान और विकास के लिए निरंतर धन आवंटित किया जाता रहा है। उदाहरण के लिए वर्ष 2017 में असम के शिबपुर में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IIEST) को केंद्र से 11 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय राशि मिली थी। यह वित्तीय सहायता ‘आयुष’ परियोजना के हिस्से के रूप में दी गई थी, जिसका उद्देश्य  होम्योपैथी सहित वैकल्पिक चिकित्सीय क्षेत्रों में चिकित्सा अनुसंधान को आगे बढ़ाना रहा है।

परन्तु होम्योपैथी के क्षेत्र से सम्बंधित कुछ ऐसे भी प्रश्न हैं, जिनके उत्तर मिलना शेष है.

उदाहरण के लिए, भारत में होम्योपैथी को समर्पित इतने कम शोध संस्थान क्यों हैं?

होम्योपैथिक दवाओं की प्रभावकारिता के प्रमाण, यदि है, तो कहाँ हैं?

“एलोपैथिक उपचार” के इस तथाकथित विकल्प पर इतने कम शोध पत्र क्यों हैं?

इसके अतिरिक्त, इन प्रयोगशालाओं के भीतर चल रहे अनुसंधान प्रयासों की प्रकृति और फोकस जिज्ञासा के साथ कई प्रश्न उत्पन्न करते हैं, जिनका उत्तर दिया जाना अभी बाकी है।

कितनी प्रभावी है होम्योपैथी?

क्या आपने कभी होम्योपैथी की वास्तविक प्रभावशीलता के बारे में सोचा है? इसके सिद्धांतों और प्रथाओं की गहराई से जांच करने पर इसकी प्रभावकारिता पर एक बहुमुखी दृष्टिकोण का पता चलता है।

होम्योपैथी के मूल में “Like Cures Like” का सिद्धांत निहित है। यह सिद्धांत सुझाव देता है कि जिन उपचारों में उपचार किए जा रहे लक्षणों के समान लक्षण पैदा करने वाले पदार्थों का उपयोग किया जाता है, उनसे उपचार हो सकता है। इसके अतिरिक्त, होम्योपैथी Potentization की विधि का उपयोग करती है।

Potentization: तब तक पतला करते जाएँ, जब तक सोल्यूशन ही गायब न हो जाए!

यह तकनीक इस विश्वास पर आधारित है कि पदार्थों को पतला और उत्तेजित करने से उनके उपचार गुणों में वृद्धि होती है। होम्योपैथिक उपचार बनाने के लिए, एक घटक को अल्कोहल या डिस्टिल्ड वॉटर में घोल दिया जाता है – जो इन दवाओं के लिए मौलिक सॉल्वेंट  है। इस मिश्रण के एक भाग को नौ भाग पानी के साथ मिलाया जाता है, अंततः इसे 1x पोटेंसी में पतला किया जाता है, जो एक भाग घटक और नौ भाग साल्वेंट को दर्शाता है।

होम्योपैथिक उपचार का सार Extreme Dilution पर आधारित है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर सक्रिय घटकों यानी Ingredients की कंसंट्रेशन लगभग न के बराबर होती है। इसी प्रक्रिया को शुद्ध पानी के नौ भागों के साथ दोहराया जाता है, और अब आपके पास 2 X पोटेंसी है। इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता है, जब तक कि आपको मनचाही पोटेंसी नहीं मिल जाती, जैसे मान लीजिए 20 एक्स। अंतिम समाधान तब ओरली से या ग्लोब्युली के रूप में दिया जाता है, जो बस कंसन्ट्रेटेड चीनी की गोलियां होती है.

परन्तु यह कितना प्रभावी है? उदाहरण के लिए, 20X पोटेंसी, अटलांटिक महासागर की संपूर्ण जल मात्रा में एक एस्पिरिन की गोली को घोलने के समान है। हम एक या दो लीटर पानी की नहीं, बल्कि अरबों-खरबों लीटर पानी की बात कर रहे हैं। लेकिन चरम मिश्रण के लिए, जैसे कि 30C मिश्रण में एक भाग घटक होता है, और वस्तुतः 99 भाग पानी होता है। अब मान लीजिए कि हमने मूल घटक के एक परमाणु वाली एक ग्लोब्युली गोली ली, तो इसका व्यास लगभग पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी के बराबर होगा, अर्थात एक गोली इतनी भारी होगी कि यह अपने वजन तले नष्ट हो जायेगी, और अवशेष में रहेगा तो बस एक ब्लैक होल.

इस प्रकार, यह दावा कि “होम्योपैथी से कोई दुष्प्रभाव उत्पन्न नहीं होता” पूरी तरह से प्रभावों की अनुपस्थिति से उत्पन्न होता है। यह इस धारणा को रेखांकित करता है कि एक चिकित्सा समाधान के रूप में होम्योपैथी की प्रभावकारिता अभी भी विवादास्पद बनी हुई है।

The Placebo Effect: आप चीनी की गोली खाइये, बाकी काम प्रकृति पे छोड़ दें!

होम्योपैथी की तथाकथित सफलता के पीछे की प्रेरक शक्ति के लिए  “प्लेसबो इफेक्ट” के शक्तिशाली प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यह प्रभाव तब प्रकट होता है जब व्यक्ति वास्तविक चिकित्सीय गुणों से रहित उपचार के प्रशासन के बाद अपने स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार महसूस करते हैं। सरल शब्दों में, “Placebo Effect” वो अवस्था, जब आप मान लेते हो कि आप को दी गई दवाई आपके लिए लाभकारी है, भले ही वास्तव में वह चीनी की एक गोली से अधिक कुछ न निकले। एक बात जो आधुनिक चिकित्सा होम्योपैथी से निश्चित रूप से सीख सकती है वह यह है कि रोगियों के इलाज में उन्हें व्यक्ति के रूप में देखे, संख्या के रूप में नहीं. परन्तु स्मरण रहे, सहानुभूति वास्तविक उपचार का कोई विकल्प नहीं है।

एक दिलचस्प पहलू जो होम्योपैथी की स्पष्ट कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है वह है “Placebo Effect”। यह घटना, जैसा कि ‘बैड साइंस’ के लेखक बेन गोल्डाक्रे ने व्यक्त किया है, उन रोगियों में लक्षण सुधार की विशेषता है जो उपचार प्राप्त करते हैं, उनका मानना है कि यह प्रभावी होगा, भले ही उपचार में अंतर्निहित शक्ति का अभाव हो।

यह मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया, अपने प्रभाव में शक्तिशाली, Placebo के विरुद्ध नए उपचारों को बेंचमार्क करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। गोल्डएक्रे द्वारा प्रशंसित डबल-ब्लाइंड रैंडमाइज्ड नियंत्रित परीक्षण (आरसीटी), स्वर्ण मानकों के रूप में कार्य करते हैं, जो रोगियों और डॉक्टरों दोनों से सक्रिय उपचार या Placebo प्रशासन के बारे में जानकारी को रोककर पूर्वाग्रहों से परिणामों की रक्षा करते हैं।

अब प्रश्न उठता है: नए उपचारों की तुलना बिना किसी उपचार के क्यों न की जाए? गोल्डाक्रे का तर्क है कि Placebo के बिना, रोग की प्रगति, सहज पुनर्प्राप्ति और Placeboप्रभाव का लेखा-जोखा जटिल हो जाता है। Placebo महत्वपूर्ण नियंत्रण के रूप में कार्य करता है जो वास्तविक उपचार के प्रभाव को अलग करता है। विशेष रूप से, Placebo Effect केवल गोली के सेवन, प्रक्रियाओं, उपचारों और यहां तक कि उपचार के वातावरण से भी आगे निकल जाता है। इस पहलू को स्वीकार करना और तथ्य को ध्यान में रखना चिकित्सा विज्ञान में सर्वोपरि महत्व रखता है।

वास्तव में, यह असमानता एलोपैथिक दवाओं के परीक्षण प्रोटोकॉल में स्पष्ट है, जहां दोहरे परीक्षण किए जाते हैं – एक Placebo Effect के सहित, और दूसरा Placebo Effect रहित। इसके विपरीत, होम्योपैथी में ऐसे कठोर प्रयोग स्पष्ट रूप से अनुपस्थित हैं। यह अनुपस्थिति रोगियों को दिए जाने वाले उपचारों की वैधता के संबंध में अनिश्चितता पैदा करती है। व्यापक परीक्षण तंत्र के बिना, इन दवाओं की सत्यता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है.

और पढ़ें: श्री औरोबिन्दो: निस्संदेह एक उत्तम भारतीय बुद्धिजीवी जिन्हे कभी उनका उचित सम्मान नहीं मिला

चलिए जवाबदेही की कमी के बारे में बात करें!

इस चर्चा में एक महत्वपूर्ण कारक होम्योपैथी के लिए एक कठोर नियामक ढांचे की उल्लेखनीय अनुपस्थिति है। इस संदर्भ में, होम्योपैथिक चिकित्सक जवाबदेही के घोर अभाव के साथ काम करते प्रतीत होते हैं। यह अन्य चिकित्सा विषयों के बिल्कुल विपरीत है जहां चिकित्सकों के आचरण की निगरानी के लिए नियामक निकाय मौजूद हैं।

जबकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) भारत में एलोपैथी की देखरेख करता है, होम्योपैथी ऐसे व्यापक नियामक तंत्र से वंचित है। यह असंगति होम्योपैथी और उसके चिकित्सकों के अभ्यास के लिए एक समान निरीक्षण निकाय की कमी पर विचार करती है। नियामक उपायों की अनुपस्थिति क्षेत्र की वैधता पर छाया डालती है और इसके दावों की अखंडता पर सवाल उठाती है।

क्यों भारतीयों के लिए है होम्योपैथी प्रथम विकल्प?

इतने असंख्य विवादों एवं अनसुलझे प्रश्नों के बाद भी होम्योपैथी ने भारतीय आबादी के बीच अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी है। आश्चर्यजनक रूप से, इसे अक्सर अधिक पारंपरिक और प्रभावी आयुर्वेद पर प्राथमिकता दी जाती है। यह घटना इसके अंतर्निहित कारणों की जांच को प्रेरित करती है, एक ऐसा परिदृश्य जहां तार्किक प्राथमिकता क्रम  में पहले आयुर्वेद, फिर एलोपैथी और फिर शायद होम्योपैथी होगा। परन्तु दुर्भाग्य से वास्तविकता इसके ठीक उलट है!

क्यों पिछड़ा आयुर्वेद?

तो आयुर्वेद कहां विफल हुआ? नहीं, प्रश्न यह नहीं है. प्रश्न यह होना चाहिए: होम्योपैथी में ऐसा क्या है जो आयुर्वेद में नहीं है? उत्तर सरल है: Strong Confirmation Bias, यानी एक सशक्त पूर्वधारणा, जिसको चुनौती देना लगभग असंभव हो!

असल में इस तेज़ी से भागते जगत में, हमें हर चीज़ तुरंत चाहिए, सेवाओं से लेकर उपचार तक! हम में से अधिकतम लोग, लम्बे समय तक वेट करने को इच्छुक है. हम लोग लोग ऐसे नतीजे चाहते हैं जो तुरंत ही सामने आ जाएं और अक्सर स्थायी, दीर्घकालिक लाभ की संभावना को दरकिनार कर देते हैं। यही बात आयुर्वेद के लिए भी सत्य सिद्ध होती है!

अब इसे आप आयुर्वेद का गुण समझे या अवगुण, परन्तु वह इंस्टैंट रिजल्ट जैसे सिद्धांत में विश्वास नहीं रखता. उनके लिए उपचार मैगी बनाने जितना सरल नहीं, वे उस समस्या को जड़ से ही समाप्त करने में विश्वास रखते हैं. उदहारण के लिए आप ज्वर से पीड़ित हैं, और आप एक आयुर्वेदिक वैद्य के पास जाएँ, तो वह आपके ज्वर को तुरंत ठीक करने के कोई उपाय नहीं बताएगा, अपितु कुछ ऐसी दवाएं तैयार करके आपको  देगा, जिससे ज्वर के पुनः आने की सम्भावना लगभग नगण्य हो!

एक अन्य कारण, जिसके पीछे लोग आयुर्वेद के प्रति उतना आकृष्ट नहीं होते, वह है : सख्त अनुपालन! उदाहरण के लिए, यदि आपको किसी बीमारी को दूर करने के लिए कोई समाधान दिया जाता है, जैसे कि खांसी का बार-बार आना, तो आपको बताए गए तरीके से निर्धारित सामग्री का सेवन करना होगा। न उस निर्धारित मात्रा से कम, न अधिक। वास्तव में, यह अनुपालन आपकी दैनिक आदतों में एक बड़े बदलाव को भी बढ़ावा देता है, जिसे अधिकतम लोग स्वीकारने को तैयार नहीं!

इसके विपरीत, होम्योपैथी को इतने व्यापक निवेश या शोध की आवश्यकता नहीं है। बस एक गोली लीजिये, और लो, हो गई बीमारी की चिंता समाप्त!  एक कारण ये  भी हो सकता है कि “प्लेसबो इफ़ेक्ट” का जो प्रभाव होमियोपैथी में देखने को मिलता है, वो आपको आयुर्वेद में कभी नहीं मिलेगा. आयुर्वेद कुछ भी कर लेगा, परन्तु अपने मरीज़ों को भ्रम में नहीं डालेगा, और इसीलिए बहुत कम ही लोग इस चिकित्सीय मार्ग पर चलने को तैयार है। इसके अलावा, आमतौर पर एलोपैथिक दवाओं में उपयोग किए जाने वाले नमक का प्राकृतिक, अधिमानतः आयुर्वेदिक जड़ों के साथ स्पष्ट नहीं तो कम से कम अप्रत्यक्ष संबंध होता है।

कुल मिलाकर बात यह है कि अपने लुभावने वादों से होमियोपैथी लाखों व्यक्तियों को आकृष्ट तो कर सकता है, परन्तु चाहे एलोपैथी हो या आयुर्वेद, होमियोपैथी के पास इन दोनों की तुलना में अपने दावों को सिद्ध करने के लिए कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं! परिणामस्वरूप, यह होम्योपैथी के आधारों की व्यापक खोज की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Tags: #Dr HahnemannAllopathyayurvedacomparisonControversyDefeatedGlorifiedhomeopathyMedical ApproachesPlacebo ScienceTime-Tested
शेयरट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

११ ऐसे रोल, जिन्होंने भारतीय कलाकारों के डूबते हुए करियर संभाले!

अगली पोस्ट

एक मेगा क्लैश ने कराई भारतीय सिनेमा की शानदार वापसी!

संबंधित पोस्ट

औपनिवेशिक मिथक का पर्दाफ़ाश: हुमायूं-रानी कर्णावती राखी की झूठी कहानी और रक्षाबंधन की असली प्राचीन हिंदू उत्पत्ति
इतिहास

ऐतिहासिक झूठ का खुलासा: हुमायूं-रानी कर्णावती राखी की झूठी कहानी और रक्षाबंधन की असली प्राचीन हिंदू उत्पत्ति

9 August 2025

हमें भी पढ़ाया गया और हमारे बच्चों को भी यही पढ़ाया गया कि मेवाड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह की आक्रमण से रक्षा के...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन
मत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रक्षाबंधन

9 August 2025

आज घटित हुई एक छोटी सी घटना इस लेख का कारण बनी। कई दिनों की लंबी यात्रा के बाद पिछले कल गाज़ियाबाद पहुंचा था। परिवार...

भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?
इतिहास

भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

8 August 2025

अगले कल अर्थात शनिवार 9 अगस्त को 'विश्व मूलनिवासी दिवस', विश्व के कुछ हिस्सों मे मनाया जाएगा। वामपंथियों ने, 'फॉल्ट लाईन चौडी करने' की रणनीति...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Legal Expert: Inside Sanjay Kapoor's Rs 18,000 Cr property Distribution

Legal Expert: Inside Sanjay Kapoor's Rs 18,000 Cr property Distribution

00:10:19

From jewellery to petroleum, know all about key exports at risk under Trump's 50% tariffs

00:04:28

himalayan fragility exposed. Dharali: Not Just A Cloudburst?

00:20:21

India’s Project-18 Warship Will Crush China’s Indo-Pacific Dreams

00:05:52

PRALAY MISSILE: Know about India’s 5,000 kg Beast That Can Evade Any Radar

00:05:52
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited