जिनको भी लगता था कि उदारवादी दृष्टिकोण होने के नाते मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ उनकी हर दलील सुनेंगे, और अनुच्छेद ३७० के निरस्तीकरण पर आपत्ति जताएंगे, उन्हें आश्चर्यजनक रूप से चंद्रचूड़ महोदय ने बाहर का रास्ता दिखाया है. यद्यपि अनुच्छेद ३७० के निरस्त होने के विरोध में दायर याचिका पर अंतिम परिणाम नहीं आया है, परन्तु डी वाई चंद्रचूड़ के विचारों से स्पष्ट है कि उनका अंतिम निर्णय क्या हो सकता है!
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 (Article 370 Case) हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुनवाई के 11वें दिन सोमवार (28 अगस्त 2023) को केंद्र ने बताया कि पुलवामा हमले के बाद अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया गया था। वहीं मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 35A (Article 35A) को नागरिकों के मौलिक अधिकारों को हनन करने वाला बताया। केंद्र सरकार की दलीलों को सुनने के दौरान अनुच्छेद 35A को लेकर मौखिक टिप्पणी की गई।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अनुच्छेद 35ए नागरिकों के तीन मौलिक अधिकार छीन लेता है। इसने गैर कश्मीरियों को राज्य में बसने, अचल संपत्ति खरीदने और रोजगार में समानता के अधिकार से वंचित कर दिया।
इसपे वर्तमान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि कैसे अनुच्छेद 35A हटने के कारण जम्मू-कश्मीर में निवेश आना शुरू हुआ है। केंद्र सरकार के अधीन पुलिस व्यवस्था होने के कारण पर्यटन भी शुरू हो गया है। एसजी मेहता ने बताया कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से 16 लाख पर्यटक जम्मू-कश्मीर आ चुके हैं। क्षेत्र में नए होटल खोले गए हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है।
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अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर सॉलिसिटर जनरल मेहता का रुख स्पष्ट था, “पहले जो गलतियाँ हुईं हैं, उनका असर आने वाली पीढ़ियों पर नहीं पड़ना चाहिए। साल 2019 तक जो गलती चली आ रही थी, उसे सुधारना जरूरी था। इस मामले को जम्मू-कश्मीर के लोगों के दृष्टिकोण से देखना चाहिए। अब तक उन लोगों को समझाने वालों ने उनसे कहा था कि अनुच्छेद 370 नुकसान नहीं, बल्कि उनका विशेषाधिकार है और उन्हें इसके लिए लड़ते रहना चाहिए”।
एसजी मेहता ने आगे कि यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि जो अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के लोगों अधिकारों और विकास में बाधा बना हुआ था, उसे लोगों को एक विशेषाधिकार की तरह बताया जा रहा था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से 370 हटाने को लेकर सरकार का पक्ष रखते हुए यह भी कहा है कि बहुत सारी चीजें हुईं हैं। साल 2019 की शुरुआत में पुलवामा हमला हुआ था। इसके बाद सरकार ने 370 हटाने का मन बना लिया था। इसके अलावा, देश की संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कई मुद्दों को देखते हुए 370 हटाया गया।
ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि CJI चंद्रचूड़ ने एक प्रकार से उन लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया है, जो ‘लोकतंत्र के हनन’ के नाम पर कश्मीर में पुनः अराजकता का दौर लाना चाहते थे. अब देखना ये होगा कि कपिल सिब्बल कौन से नए मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का सर खाने आते हैं!
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