Operation Sheeshmahal: अब केजरीवाल के “शीशमहल” पर चलेगा सीबीआई का ‘हथौड़ा’!

अब केजरीवाल का नंबर? 

Operation Sheeshmahal: अरविंद केजरीवाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं, और  इस बार भी गलत कारणों से। ऐसा प्रतीत होता है कि विवादों के साथ इनका जन्म जन्मांतर का नाता है।केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), गृह मंत्रालय के निर्देशों के अंतर्गत, केजरीवाल के आधिकारिक आवास, यानी मुख्यमंत्री के बंगले के नवीनीकरण पर किए गए अत्यधिक खर्च की प्रारंभिक जांच (पीई) शुरू करने के लिए तैयार है।

जहाँ एक ओर भारत, विशेषकर COVID-19 महामारी की विभिन्न लहरों से उत्पन्न गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा था, केजरीवाल की प्राथमिकताएं अपने क्षेत्र के निवासियों की रक्षा, और अपने आवास का नवीनीकरण अधिक था, जो  सार्वजनिक संसाधनों के अनुचित आवंटन पर गंभीर प्रश्न उठाता है।

तो स्वागत है सभी का, और आज हम जानेंगे केजरीवाल के “शीशमहल” एवं इस विषय में सीबीआई द्वारा जांच के विवरण, उपस्थित साक्ष्य  और अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य के निहितार्थ पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

क्या है “Operation Sheeshmahal?”

तो गुरु, ये “Operation Sheeshmahal” था क्या, और क्यों इसके पीछे अब केजरीवाल चैन से सो नहीं पाएंगे? अप्रैल 2023 में, ‘टाइम्स नाउ: नवभारत’ के नेतृत्व में टाइम्स नाउ की खोजी रिपोर्ट ने देश को चौंका दिया था, क्योंकि इसमें अरविंद केजरीवाल द्वारा अपने आधिकारिक निवास के नवीनीकरण में किए गए असाधारण खर्चों का खुलासा किया गया था।

सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दिल्ली के भाजपा नेता टीना शर्मा की शिकायत के आधार पर दर्ज की है। शर्मा ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के आवास के रेनोवेशन में नियमों का उल्लंघन किया गया है और इसमें सरकारी धन का गबन किया गया है। CBI ने इस मामले में PWD से सभी संबंधित फाइलें माँगी हैं, जिसमें रेनोवेशन की लागत, ठेकेदार के नाम और रेनोवेशन के लिए किए गए काम की जानकारी शामिल है। सीबीआई इन फाइलों की जाँच के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।

परन्तु अगर एक मुख्यमंत्री अपने आवास का नवीनीकरण करा रहा है, तो इसमें प्रॉब्लम क्या है? प्रॉब्लम ये है कि केवल पर्दों की खरीद के लिए 1 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन था। जाहिर तौर पर केजरीवाल की रुचि 7,94,000 रुपये प्रति पीस की कीमत वाले पर्दों की ओर झुक गई और उन्होंने ऐसे कुल 23 पर्दों का ऑर्डर दिया। फिजूलखर्ची यहीं नहीं रुकी; उन्होंने ‘डेओर पर्ल मार्बल’ पर 3.30 करोड़ रुपये खर्च किए, जो अपनी बेहतर गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है, और यह राशि मार्बल को प्राप्त करने और चमकाने दोनों के लिए निर्धारित की गई थी। इसके अतिरिक्त, संगमरमर को चिपकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले रासायनिक चिपकने पर 21,60,000 रुपये की राशि खर्च की गई थी।

और पढ़ें: जब दिल्ली मर रही थी, केजरीवाल महल सजा रहा था

ये सारा खर्चा उसी समय हुआ, जब भारत कोविड की दूसरी, और सबसे घातक लहर से जूझ रहा था! ऐसे समय में जब शहर महामारी के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहा था, इन 45 करोड़ रुपये को 224 मोहल्ला क्लीनिकों के निर्माण में खर्च किया जा सकता था, जो आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल पहुंच प्रदान करते थे। वैकल्पिक रूप से, उन्हें COVID-19 संकट के दौरान शहर के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 12,459 ऑक्सीजन सांद्रक, 2,25,000 पीपीई किट और 2,710 वेंटिलेटर खरीदने के लिए नियोजित किया जा सकता था।

जिस समय केजरीवाल ने ये 45 करोड़ रुपये अपनी जेब में डाले थे, उसका उपयोग 224 मोहल्ला क्लीनिक बनाने में किया जा सकता था। यह देखते हुए कि दिल्ली ने महामारी के दौरान कितनी बुरी तरह संघर्ष किया, इस राशि का उपयोग 12,459 ऑक्सीजन सांद्रक खरीदने के लिए किया जा सकता था। कोविड के दौरान 2,25,000 पीपीई किट और 2,710 वेंटिलेटर खरीदे जा सकते थे। इसके अलावा, यह देखते हुए कि यह व्यक्ति अपनी छवि के प्रति कितना सजग है, इससे उसे अपने विरोधियों पर महत्वपूर्ण बढ़त मिल जाती, और वह नैतिक उच्च आधार मिल जाता जिसकी वह सख्त इच्छा रखता है। परन्तु वो क्या कहते हैं, शौक बड़ी चीज़ है, और केजरीवाल ने जनसेवा के ऊपर अपना शौक चुना!

Operation Sheeshmahal: अब केजरीवाल की बारी?

Operation Sheeshmahal मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से जाँच के लिए केंद्र सरकार ने सिफारिश की थी। राजभवन की ओर से जाँच के आदेश की जानकारी दी गई थी। राजभवन की ओर से कहा गया था कि गृह मंत्रालय को 24 मई को एक पत्र मिलने के बाद स्पेशल कैग ऑडिट की सिफारिश की गई थी। यह पत्र एलजी ऑफिस की ओर से मिला था। जिसमें दावा किया गया था कि सीएम केजरीवाल के सरकारी बंगले के रेनोवेशन में वित्तीय गड़बड़ी पाई गईं। आम आदमी पार्टी और सीएम ऑफिस की ओर से कोई भी एक्शन नहीं लिया गया।

अब इस मामले में आधिकारिक जांच की शुरुआत केजरीवाल के राजनीतिक करियर में एक महत्वपूर्ण क्षण है। इससे पहले भी, दिल्ली के वर्तमान प्रशासन पर काफी कार्रवाई, पर केजरीवाल जाने कैसे इन सबसे बचते रहे थे ! 2023 के प्रारम्भ में आबकारी घोटाले के सम्बन्ध में लम्बी पूछताछ के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने हिरासत में ले लिया था। सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई, जिसके कारण उन्हें सभी मंत्री पदों से इस्तीफा देना पड़ा। इस घटना ने उनके कैबिनेट सहयोगी, सत्येन्द्र जैन, जो कई महीनों तक हिरासत में थे, को भी इस्तीफा देने के लिए प्रेरित किया।

और पढ़ें: अब सुप्रीम कोर्ट गिनाएगा केजरीवाल के खर्चे

दिलचस्प बात यह है कि केजरीवाल को खुद कई मोर्चों पर जांच का सामना करना पड़ा है। उनकी सरकार को COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान घोर लापरवाही के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्होंने जोर-शोर से केंद्र सरकार पर दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने में विफल रहने का आरोप लगाया, ताकि उसी महत्वपूर्ण चिकित्सा संसाधन की बड़े पैमाने पर जमाखोरी में उनकी अपनी सरकार की संलिप्तता के सबूत सामने न आ सकें।

जैसे-जैसे सीबीआई इस हाई-प्रोफाइल मामले की विस्तृत जानकारी ले रही है, दिल्ली में राजनीतिक परिदृश्य तनावपूर्ण बना हुआ है। अगर जांच से ठोस सबूत सामने आते हैं, तो ये भी संभव है कि तिहाड़ जेल में केजरीवाल के लिए भी एक स्थान रिक्त हो सकता है, जिसके दोषी केवल एक ही व्यक्ति थे और रहेंगे: स्वयं अरविन्द केजरीवाल!

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version