INDI गठबंधन की छत्रछाया में 28 पार्टियाँ हैं, जिसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस करती है। इसका मुख्य उद्देश्य 2024 के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार को हराना है। परन्तु एक व्यक्ति के प्रपंचों ने इन सभी इरादों पर ज़बरदस्त पानी फेरा है, और इनका नाम है उदयनिधि स्टालिना।
सनातन धर्म पर उदयनिधि का अनर्गल प्रलाप
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन राज्य के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री हैं। प्रारम्भ में वह एक फिल्म निर्माता और अभिनेता थे, परन्तु अपने फिल्मी करियर और निजी जीवन में असफलताओं के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। निर्लज्जता की सभी सीमाएं लांघते हुए उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से की, जो हिंदुओं के नरसंहार का समर्थन करने का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म विभाजन और पीड़ा को बढ़ावा देता है, और वह बेशर्मी से अपनी अपमानजनक टिप्पणियों पर कायम रहे। स्टालिन ने हिंदू समाज के विविध ताने-बाने के प्रति समझ और सम्मान की भारी कमी को प्रदर्शित करते हुए परंपरा को गंभीर सामाजिक मुद्दों के साथ जोड़ने में कोई संकोच नहीं किया। इसके अलावा, उन्होंने खुद को उत्पीड़ितों के लिए एक मसीहा के रूप में चित्रित किया, जो किसी भी विरोध का सामना करने के लिए तैयार था, चाहे वह कानूनी हो या जनता से।
राष्ट्रव्यापी विरोध: उदयनिधि के बयान पर भांति भांति के विचार
उदयनिधि के अनर्गल प्रलाप के कारण भारत के अधिकांश सनातनी आक्रोशित हुए। सनातन धर्म पर उदयनिधि स्टालिन की विवादित टिप्पणी के कारण देश में हिंदुओं में व्यापक गुस्सा देखा गया। चेन्नई स्थित एक वकील बी.जगन्नाथ ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें स्टालिन की भड़काऊ टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई। परन्तु बात केवल इतने तक सीमित नहीं रही; यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी इसी तरह की कानूनी कार्रवाई प्रारम्भ की गई है। कई लोग तो उदयनिधि पर रासुका लगाने की भी मांग कर रहे हैं!
उदयनिधि स्टालिन द्वारा की गई टिप्पणी की विभिन्न भाजपा नेताओं ने तीखी आलोचना की। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उदयनिधि पर INDI गठबंधन की राजनीतिक योजना के एक हिस्से के रूप में आगामी चुनावों के लिए हिंदू विरोधी रणनीति का उपयोग करने का आरोप लगाया। उन्होंने प्रेम और एकता को बढ़ावा देने के बजाय नफरत फैलाने के लिए उदयनिधि की आलोचना की।
इसके अलावा, तमिलनाडु से बीजेपी के धाकड़ नेता के. अन्नामलाई ने उदयनिधि के बयान को सनातन धर्म का पालन करने वाली बहुसंख्यक आबादी के खिलाफ नरसंहार का आह्वान बताया।
केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने उदयनिधि को “Spoiled Brat” कहा, और बिना सोचे समझे गंभीर मामलों पर अनावश्यक टिप्पणी करने के लिए उनकी आलोचना की।
कैसे उदयनिधि के बयानों से पड़ी INDI गठबंधन में फूट!
वो कहते हैं न, एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर सकती है। उदयनिधि के विषैले बयानों ने भी यही किया, जिसके कारण अब पूरे INDI गठबंधन को सनातन विरोधी करार दिया है, और कुछ लोग अपने निजी हित के लिए ही सही, परन्तु इस बात से कोसों दूर रहना चाहते हैं।
उदाहरण के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने ने स्टालिन की विभाजनकारी टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा कि देश की अधिकांश आबादी हिंदू है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘अनेकता में एकता’ के महत्व पर जोर दिया जिसका भारत प्रतीक है। उन्होंने लोगों से उन विषयों से दूर रहने का आग्रह किया जो विशिष्ट समुदायों के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं, जिसे उदयनिधि स्टालिन के लिए स्पष्ट फटकार के रूप में देखा जा रहा है।
यही नहीं, असदुद्दीन औवेसी, जो INDI गठबंधन में भागीदार नहीं हैं, ने गठबंधन में पार्टियों को चुनिंदा रूप से शामिल करने की आलोचना की और विभिन्न क्षेत्रों की कई प्रमुख पार्टियों की उपेक्षा को उजागर किया। इसके अलावा INDI अलायंस के नेतृत्व पर प्रश्न उठाते हुए ओवैसी ने इन्हे “सेक्युलरिज़्म का स्वघोषित चौधरी” भी करार दिया!
सनातन धर्म से स्टालिन परिवार की घृणा है काफी पुरानी
परन्तु उदयनिधि स्टालिन को ऐसे ही सनातन धर्म के विरुद्ध विष उगलने की प्रेरणा नहीं मिली है। इनके परिवार ने सनातन विरोध में तो पीएचडी प्राप्त की है, यूं समझ लीजिये सनातन धर्म के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप करना इनका पुश्तैनी व्यापार है। अब उदयनिधि के दादा करूणानिधि को ही ले लीजिये। इन्होने न केवल हिंदुओं की तुलना चोरों से की, अपितु श्री राम का भी उपहास उड़ाया, और एक सिविल इंजीनियर के रूप में उनकी योग्यता पर सवाल उठाया, जो हिंदू देवताओं और परंपराओं के प्रति घोर अनादर दर्शाता है। इसी तरह, एमके स्टालिन ने ब्राह्मणों का मजाक उड़ाने में संकोच नहीं किया और खुलेआम उनके रीति-रिवाजों और समारोहों को महज नाटक और निरर्थक बकवास कहकर उनका मजाक उड़ाया।
अब आगे क्या?
ऐसा लग रहा है कि अब सनातन धर्म चुनावी चर्चा का केंद्र बनता जा रहा है. या तो आप इसके पूर्ण समर्थक हो या धुर विरोधी। अचानक हर कोई एक समर्पित अनुयायी बन जाता है। यहां तक कि जो लोग अक्सर सनातन विरोधी टिप्पणियां करते हुए पकड़े जाते हैं, वे भी चुनाव के मौसम में मंदिरों में जाकर धार्मिक उत्सवों में भाग लेते नजर आते हैं। दुर्गा पंडालों में ममता की उपस्थिति से लेकर राहुल गांधी के मंदिर दर्शन और पवित्र स्नान के प्रति नए शौक तक, यह सब संभावित राजनीतिक पतन से बचने के लिए एक दिलचस्प प्रदर्शन है। यूँ ही नहीं अरविन्द केजरीवाल लाख कुकर्मों के बाद लगातार दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए!
ऐसे देश में जहां 80% आबादी हिंदू है, इस महत्वपूर्ण वर्ग को नजरअंदाज करना राजनीतिक विनाश सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त है। उदयनिधि की विवादास्पद टिप्पणियों के कारण INDI गठबंधन के लिए अभी स्थिति आगे कुआँ तो पीछे खाई समान है। यदि वे उदयनिधि का समर्थन करे तो सनातन समुदाय के सम्पूर्ण बहिष्कार का सामना करना पडेगा, और न करने पर उनके मुस्लिम समर्थकों को अलग-थलग करने का जोखिम भी है।
इसके अलावा, गठबंधन अपनी छवि को बनाए रखने के लिए द्रमुक के साथ संबंध तोड़ने पर विचार कर सकता है, जिससे अनजाने में AIADMK और भाजपा को तमिलनाडु में संभावित रूप से अनुकूल स्थिति मिल जाएगी। यह स्पष्ट है कि उदयनिधि के बयानों ने राजनीतिक परिदृश्य को जटिल बना दिया है, जिससे गठबंधन को आगे कुछ कठोर निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
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