कनाडा है “आतंकवादियों” के लिए परफेक्ट पिकनिक स्पॉट!

नका ईश्वर ही मालिक है!

लगता है जस्टिन ट्रूडो एक दुष्कर मिशन पर है: जो बाइडन, और वोलोडिमिर ज़ेलेन्स्की [दुर्भाग्यवश राहुल गाँधी इस सूची के योग्य नहीं] से भी ज़्यादा भौगोलिक आपदाओं को रचने का रिकॉर्ड स्थापित करने के मिशन पर! हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं, ट्रूडो महोदय के वर्तमान कारनामे इसी ओर संकेत देते हैं। एक ही निर्णय से ट्रूडो ने भारत और इज़राएल, दोनों को अपना कट्टर शत्रु बना दिया है। अगर  यह पर्याप्त नहीं था, तो उन्होंने हमें एक प्रमुख उदाहरण देकर सिद्ध भी कर दिया कि क्यों भारत ने कनाडा को “आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह” करार दिया था।

आज हमारी चर्चा होगी इसी विषय पर, और क्यों ट्रूडो के वैश्विक मसीहा बनने की खुजली इस बार बहुत भारी पड़ने वाली है!

भारत को ‘चुनौती’ देने की ट्रूडो की ‘गजब खुजली’!

पता नहीं ट्रूडो को क्या समस्या है, जब देखो मुंह उठाके भारत से दो दो हाथ करने चला आता है! हमास नामक आतंकवादी संगठन द्वारा इज़राइल पर किए गए कायरतापूर्ण हमलों के बाद, वैश्विक मंच ने खुद को तीन खेमों में विभाजित पाया: एक जो इन आतंकियों का पक्ष ले रहे थे, दूसरे जो इसके ठीक विरुद्ध थे, और तीसरे वह जिन्हे बस अपना उल्लू सीधा करने से मतलब। क्या मतलब कि अमेरिका वही तीसरा प्राणी है?

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इसी बीच प्रवेश होता है ‘वैश्विक सेवियर’ जस्टिन ट्रूडो का! न किसी ने इन्हे पूछा, न किसी ने इनकी सहायता मांगी, फिर भी आ गए मुंह उठाके इज़राएल को सांत्वना देने। ट्रूडो ने, अपनी पूरी बुद्धिमत्ता से, ट्विटर के जादुई माध्यम के माध्यम से ‘इज़राएल के लिए अपना समर्थन’ व्यक्त किया। अपने ट्वीट में, उन्होंने गर्व से घोषणा की, “आज फोन पर महामहिम मोहम्मद बिन जायद (यूएई प्रमुख) और मैंने इज़राएल की वर्तमान स्थिति के बारे में बात की। हमने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की और नागरिक जीवन की रक्षा की आवश्यकता पर चर्चा की। हमने भी भारत और कानून के शासन को बनाए रखने और उसका सम्मान करने के महत्व के बारे में बात की।”

भाईसाब, जो बाइडन और ज़ेलेन्स्की तो बालक हैं, पहली बार राहुल गाँधी के टक्कर के बुद्धि का व्यक्ति मिला है! लेकिन सच कहें तो विश्व राजनीति में जस्टिन ट्रूडो की प्रतिष्ठा आज भारतीय राजनीति में राहुल गांधी की प्रतिष्ठा जितनी मजबूत है। ठीक है, शायद उससे थोड़ा कम, लेकिन आप समझ गए होंगे।

अब कनाडा को ‘आतंकवादियों के लिए सुरक्षित आश्रयस्थल’ करार देने का क्या मतलब है? कनाडाई सांसद माइकल कूपर के हालिया ट्वीट के मुताबिक, कनाडा में स्थिति काफी चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “जैसा कि हमास ने इज़राइल में अत्याचार किया है, सीबीसी के तथाकथित “पत्रकारिता मानकों के निदेशक” ने पत्रकारों को यह कहने का निर्देश दिया कि बलात्कार, यातना, अपहरण और नागरिकों के खिलाफ हिंसा के कृत्यों को आतंकवादी कृत्य नहीं कहा जाना चाहिए। यह स्पष्ट रूप से यहूदी विरोधी है।”

लेकिन रुकिए, अभी और भी दिलचस्प बातें उजागर होनी बाकी हैं। फिलिस्तीन समर्थक समूह खालिस्तानियों की तरह ही हमास के हमलों का खुलकर जश्न मना रहे हैं, रैलियां निकालकर हमास का समर्थन करते फिर रहे हैं। ये सब ठीक है, परन्तु किसी आतंकवादी को आतंकवादी पाप है? भगवान ही मालिक है ट्रूडो और कैनेडा का!

यूं ही नहीं ये “Kaneda” का पप्पू!

चलिए मित्रों, थोड़ा क्लास और Execution पर चर्चा करते हैं! आप मानो या नहीं, परन्तु लाख कमियों के बाद भी अमेरिका जो भी करता है, उसमें एक क्लास है! वे अगर कोई बड़ा काण्ड भी कर सकते हैं, तो हाथ की सफाई ऐसी है, कि एक हाथ को पता नहीं चलेगा कि दूसरा क्या करने वाला है!

परन्तु इसी काम को करने में जस्टिन ट्रूडो इतना रायता फैला देते हैं कि अंत में न उनसे संभालते बने, न उनके प्रशासन से! अगर जस्टिन ट्रूडो अब भी न चेते, तो भारत तो वैसे ही क्रुद्ध है, शीघ्र ही इज़राएल भी इसका कट्टर शत्रु बन जायेगा, और इज़राएल से पन्गा लेने का क्या अंजाम होता है, ये ईरान और आसपास के देशों से बेहतर कौन जानता है।

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असल में अब, ट्रूडो इसराइल विरोधी कार्टेल और तत्वों को बढ़ावा देकर अपनी ताकत दोगुनी करते दिख रहे हैं। यह ऐसा है जैसे वह जानबूझकर मामले को बदतर बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में, जब श्री ट्रूडो ने इज़राइल पर आतंकवादी हमले की ‘कड़ी’ निंदा की, तो हमास समर्थक फ़िलिस्तीनी झंडों के साथ टोरंटो की सड़कों पर ऐसे जश्न मना रहे थे जैसे यह कोई उत्सव हो। आतंकवाद का ऐसा महिमामंडन शायद ही कहीं और देखने को मिलेगा, पर मुझे स्मरण हुआ कि कनाडा खालिस्तानियों/आतंकवादियों के लिए कितना ओपन हार्टेड रहा है।

उक्त वीडियो के वायरल होने के बाद से, कनाडा को अलगाववाद के नाम पर हिंसा के समर्थकों/आतंकवादियों को पनाह देने और खुद को नागरिकों की मौलिक स्वतंत्रता के चैंपियन के रूप में चित्रित करने की कोशिश के लिए गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। देखिये श्रीमान ट्रूडो, आतंकवाद से मोर्चा सँभालने पर आप अगर मगर, गुड कॉप बैड कॉप नहीं खेल सकते! या तो आप आतंकवाद के समर्थक है, उसके विरोधी, बीच का बिच्छू बनकर कुछ नहीं प्राप्त होगा!

परन्तु ये तो कुछ भी नहीं है! अगर आप सोच रहे हैं कि इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता, तो फिर ये जानने को मिल रहा है कि तो कनाडाई सरकार इज़राइल में युद्ध क्षेत्र में फंसे अपने नागरिकों से कह रही है कि वे उनकी मदद के लिए कुछ नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास शनिवार, रविवार और सोमवार को छुट्टी है। हां जी, ! यह ऐसा है जैसे वे कह रहे हों, “क्षमा करें, हम आपको नहीं बचा सकते, हम छुट्टी पर हैं।” लाख बुराइयां हो भारत और भारतीयों में, पर कभी अपने नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार तो 90 के दशक में भी न किया होगा!

तो, दोस्तों, अपना पॉपकॉर्न ले लीजिए क्योंकि जस्टिन ट्रूडो का शो काफी शानदार होता जा रहा है। चाहे यह कूटनीति में उनके उत्सुक विकल्प हों या उनकी सरकार की छुट्टियों से प्रेरित उदासीनता, जब विश्व मंच पर कनाडा के नवीनतम कारनामों की बात आती है तो कभी भी सुस्त पल नहीं आता है। यह और बात है कि अंत में, यह आम कनाडाई ही है जो सबसे अधिक पीड़ित है, जिसके लिए जस्टिंडर ट्रूडो और उनके लीजेंडरी चालों को विशेष आभार!

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