भारतीय लिबरल्स की तो बात ही कुछ और है, है न? सरकार ने डंडा उठाया नहीं कि ये ऐसे बिलबिलाते हैं जैसे दुनिया ख़त्म होने वाली है! दिन में पत्रकार प्रोपगैंडावादी अभिसार शर्मा के नेतृत्व वाले न्यूज़क्लिक पर हालिया छापे ने इन “उदारवादियों” के बीच विलाप का एक नया दौर शुरू कर दिया है।
परन्तु समस्या किस बात की है? असल में कई माह से चीन के साथ अवैध फंडिंग एवं भ्रामक रिपोर्टिंग के चक्कर में NewsClick सीबीआई एवं प्रवर्तन निदेशालय के राडार पर है। इसी सम्बन्ध में सुबह सुबह अमेरिकी और चीनी संगठनों से अवैध विदेशी धन लेने के मामले में छापे मारे गए। इस छापे की जद में ‘न्यूज़क्लिक’ से जुड़े संजय राजौरा, भाषा सिंह, उर्मिलेश, प्रबीर पुरकायस्थ, अभिसार शर्मा, औनिंद्यो चक्रवर्ती और सोहेल हाशमी समेत कई पत्रकार आए हैं।
इन पर छापेमारी से देश का लिबरल वामपंथी पत्रकारों का गैंग तिलमिलाया हुआ है। वो लगातार ट्वीट कर ‘न्यूज़क्लिक’ पर छापेमारी को प्रेस की आज़ादी पर हमला बताने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “छापों ने साबित कर दिया कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता ख़तरे में है।”
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इस विधवा विलाप द वायर की कुख्यात एजेण्डावादी रोहिणी सिंह ने किया, जो ट्विटर [अब एक्स] पर व्यक्त करती हैं, “छापों की खबर से संकेत मिलता है कि पत्रकारिता भारत में सबसे बड़ा अपराध है”।
Journalists raided by the police, laptops and phones taken away because journalism is the biggest crime in new India.
— Rohini Singh (@rohini_sgh) October 3, 2023
अब रोहिणी मैडम ने प्रारम्भ किया हो, तो आरफा शेरवानी कैसे पीछे रहती? ट्विटर पर मोहतरमा फरमाती है, “लोकतंत्र की जननी, कुछ भी? कई पत्रकारों, स्टैंड-अप कॉमिक्स, व्यंग्यकारों और टिप्पणीकारों के घरों पर सुबह-सुबह छापेमारी करते हुए दिल्ली पुलिस ने “आतंकवादी संबंधों से संबंधित” मामलों में पूछताछ शुरू कर दी है”. लगता है घाव बहुत गहरे हैं!
Mother of democracy, anyone ?
In early morning raids on homes of several journalists, stand-up comics, satirists and commentators, Delhi police has started interrogations in matters “related to terror links” https://t.co/pBw293hvYE— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) October 3, 2023
इसी बीच “मैडिसन स्क्वेयर” के ‘बॉक्सर पत्रकार’ राजदीप सरदेसाई ने आरोप लगाया, “आज सुबह की ब्रेकिंग स्टोरी: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने ‘न्यूज़क्लिक’ वेबसाइट से जुड़े कई पत्रकारों/लेखकों के घरों पर छापेमारी की। मोबाइल और लैपटॉप ले गए। पूछताछ जारी। अभी तक कोई वॉरंट/एफआईआर नहीं दिखाया गया। लोकतंत्र में पत्रकार कब से राज्य के ‘दुश्मन’ बन गए?” बताइये, बोल भी कौन रहा है?
Breaking story this morning: Delhi police special cell raids homes of several journalists/writers associated with Newsclick website. Take away mobiles and laptops.. interrogation on. No warrant/FIR shown yet. Since when did journalists become state ‘enemies’ in a democracy?
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) October 3, 2023
फेक न्यूज़ फैलाने में गोल्ड मेडलिस्ट साइट AltNews के सह संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने तो नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए पोस्ट किया, “NewsClick के विरुद्ध आपने कार्रवाई की हिम्मत कैसे की? सरकार सभी हदें पार कर रही है!” खैर, ये विवेक इन्हे नूपुर शर्मा सहित कई आम लोगों के जीवन को नारकीय बनाने के समय कहाँ था?
How can you target journalists/contributors associated with Newsclick? This Government is crossing all limits.
— Pratik Sinha (@free_thinker) October 3, 2023
जिन लोगों पर छापेमारी की जा रही है, वे सभी लोग काफी लंबे वक्त से भारत खिलाफ प्रोपेगंडा चला रहे हैं। उनमें से किसी पर भी उनकी राय और विचारों के लिए मुकदमा नहीं चलाया गया है। ये छापे इसलिए नहीं हैं की कि भारत सरकार ने जानबूझकर पत्रकारों पर मुकदमा चलाने का फैसला किया हैं। दरअसल, जिन लोगों पर छापे मारे जा रहे हैं वे ‘न्यूज़क्लिक’ से जुड़े हुए थे या हैं। ये ऑनलाइन न्यूज पोर्टल भारत में रह कर भारत के खिलाफ ही दुष्प्रचार करता है और चीनी एजेंडे को आगे बढ़ाता है।
Rajdeep, before jumping the gun to defend journalists belonging to #NewsClick for alleged Chinese funding under UAPA, please wait for the evidence, the investigating agencies must have evidence for their crime which will be presented before the court of law. We're still a… https://t.co/syR7vS9jeJ
— Shesh Paul Vaid (@spvaid) October 3, 2023
अमेरिकी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में शनिवार (5 अगस्त, 2023) को एक लेख प्रकाशित हुआ था। इस लेख में अमेरिकी व्यवसायी के साथ चीनी सरकार के संबंध और ‘न्यूजक्लिक’ नामक वामपंथी प्रोपेगंडा पोर्टल को मिल रही फंडिंग को लेकर खुलासा किया गया।
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‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार, “यह बहुत कम लोगों को पता है कि गैर-लाभकारी संगठनों और शैल कंपनियों की आड़ में नेविल रॉय सिंघम चीन के सरकारी मीडिया के साथ मिलकर काम करता है और चीन के प्रोपेगेंडा को दुनिया भर में फैलाने के लिए फंडिंग कर रहा है।”
इसके अतिरिक्त इस प्रकरण में पाकिस्तानी राजनेता, जैसे कि फवाद चौधरी भी इन वामपंथियों के समर्थन में कूद पड़े हैं! ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि उक्त पत्रकार और कुछ भी हों, निर्दोष तो बिलकुल नहीं है!
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