राहुल गांधी का ‘पनौती’ पंच: हमने और गहराई से खोजा और यहां है जो हमने पाया।

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हिंदी भाषा में “पनौती” शब्द का प्रयोग अशुभ, या अनिष्टकारी बातों के लिए होता है। हाल ही में, यह शब्द तब चर्चा में आया जब राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “पनौती” कहा, जिसका मतलब अशुभ से ही है। यह टिप्पणी उन्होंने राजस्थान की एक रैली में की।

राहुल गांधी का यह कथन आईसीसी विश्व कप 2023 में भारत की पराजय के संदर्भ में था। राजस्थान के बाड़मेर में बोलते हुए, उसने कहा कि भारतीय क्रिकेट टीम का प्रदर्शन उत्कृष्ट था और वे विश्व कप जीत सकते थे। परंतु, उसने कहा कि “पनौती” नरेन्द्र मोदी की मैच में उपस्थिति ने टीम के भाग्य को प्रभावित किया, जिसके कारण भारत को पराजय का सामना करना पड़ा। यह मैच जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराया, 19 नवंबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुआ था, जहां प्रधानमंत्री मोदी भी थे।

विश्व कप के फाइनल में भारत की हार के बाद “पनौती” शब्द सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रचलित हुआ।

राहुल गांधी की इन टिप्पणियों के जवाब में लोगो ने उसे बहुत खरी खोटी सुनाई, भाजपा के सांसद रविशंकर प्रसाद ने भी उसकी आलोचना की। प्रसाद ने प्रधानमंत्री के प्रति इस तरह की भाषा के प्रयोग पर अपनी असहमति व्यक्त की। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों से भेंट की थी और उन्हें प्रोत्साहित किया था, साथ ही गांधी को याद दिलाया कि विजय और पराजय खेल का भाग होते हैं। प्रसाद ने गांधी से अपनी टिप्पणियों के लिए क्षमायाचना की मांग की।

पर क्या मोदी जी सच में पनौती हैं? जी हाँ हैं। अचंभित न हों क्योंकि हमने पूरा शोध किया है:

पीएम मोदी लंबे समय से ‘पनौती’ रहे हैं। वैश्विक FDI भारत की और मोड़ कर पीएम मोदी ने अन्य देशों के लिए ‘पनौती’ का चरित्र ही निभाया है। उनके कार्यकाल में, भारत का FDI प्रवाह 2020-2021 में रिकॉर्ड $81.72 बिलियन तक पहुँच गया। अब ये चीन, वियतनाम, और युरोपियन देशों के लिए ‘पनौती’ ही है।

समाज की बात करें तो, मोदी नामक ‘पनौती’ ने समाज को सुस्त समाज से स्टार्टअप-समर्थक समाज बना दिया है। मात्र 9 वर्षों में 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियां! भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम विश्व स्तर पर छाप छोड़ रहा है, और सिलिकॉन वैली को भी चुनौती दे रहा है। यह तो सुस्त समाज के लिए पनौती ही हुई न?

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लालची ऋणदाताओं के लिए भी, मोदीजी ‘पनौती’ के रूप में उभरे हैं। जन धन योजना के माध्यम से, 400 मिलियन से अधिक लोगों को बैंक खाते मिले हैं और DBT के जरिए सब्सिडी सीधे लाभार्थियों तक पहुँच रही है, बिना किसी मध्यस्थ के।

आधार के जरिए 1.3 बिलियन से अधिक भारतीयों को पहचान प्रदान कर, मोदी नामधारी ‘पनौती’ पहचान चोरों के लिए अभिशाप बन गए हैं। अब प्रत्येक भारतीय की एक स्थायी पहचान स्थापित हो चुकी है, जिससे पहचान की चोरी की गुंजाइश नहीं रही।

उड़ान योजना के माध्यम से, इस ‘पनौती’ ने आकाश को सभी के लिए सुलभ बनाया है। अब हजारों मध्यमवर्गीय लोग हवाई यात्रा कर रहे हैं, जिससे हवाई यात्रा का एलीट वर्ग का एकाधिकार टूट गया है।

नकदी जमाखोरों पर विमुद्रीकरण से ‘पनौती’ का पहाड़ टूट पड़ा है। अचानक, नकद जमा करना इतना लाभकारी नहीं रहा, और वित्तीय वर्ष 2021 में डिजिटल लेनदेन 5.55 बिलियन को पार कर गया।

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के माध्यम से बीमा कंपनियों को भी ‘पनौती’ का सामना करना पड़ा, अब लाखों लोगों को सस्ती दुर्घटना बीमा प्रदान हो रही है, जिससे बड़ी बीमा कंपनियों के मुनाफे में बाधा आई है।

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‘पनौती’ ने 5-स्टार अस्पतालों को भी नहीं छोड़ा। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने आम जनता के लिए हेल्थकेयर उपलब्ध कराया, जिससे लक्जरी हेल्थकेयर की स्थिति को चुनौती दी गई।

कर चोरी करने वालों की नींदें उड़ी हुई हैं, हमारे ‘पनौती’ के कारण। पिछले 9 वर्षों में कर व्यवस्था का विस्तार हुआ है, जिससे अधिक लोग वित्तीय जिम्मेदारी के दायरे में आ गए हैं।

करों के जटिल जाल से उपभोक्ताओं की जेब काटने वाले व्यवसायों ने अपने ‘पनौती’ को GST के रूप में पाया – एक राष्ट्र, एक कर। यह व्यवस्था सरल और सुव्यवस्थित है। लेकिन उनके लिए तो पनौती ही है।

और कर्ज से बचने वाले चालाक व्यवसायी जो दिवालिया घोषित होकर मजे लेते थे उन्हें इस ‘पनौती’ ने आईबीसी के माध्यम से फांस लिया है।

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जो बिल्डर पैसा ले रहे थे और फ्लैट की डिलीवरी नहीं दे रहे थे वे भी इस ‘पनौती’ के कारण RERAके हत्थे चढ़ गए है।

‘पनौती’ वहीं नहीं रुकी – राम मंदिर, जो हिन्दुओं का स्वप्न था, अब एक वास्तविकता है, अब ‘छद्म धर्मनिरपेक्ष’ क्या करें।

और हिंदुओं को एकजुट करने के लिए, इस ‘पनौती’ ने रूप से कांग्रेस और उसकी सहयोगी दलों की चूलें हिला दी, हिन्दुओं का तो लाभ है परन्तु उनके लिए पनौती ही है।

अंत में, राहुल गांधी जैसे मुंह में चांदी के चमचे लिए पैदा होने वालों के लिए एक ‘चायवाला से राजनेता, राजनेता से मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री से विश्व के सबसे बड़े नेता के रूप में उभरने वाला व्यक्तित्व तो पनौती ही है ना क्योंकि वह पारंपरिक राजनीतिक विरासत के लिए एक चुनौती है।

तेरी पनौती ही तेरी चुनौती है राहुल गाँधी।

और तुम्हारी ‘पनौती’ हमारी मनौती है, देवताओं का आशीर्वाद है।

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