Article 370 निर्णय और वामपंथी वैम्पायर्स का विधवा विलाप

सुप्रीम कोर्ट, Article 370, निर्णय

कल सुप्रीम कोर्ट ने मोदीजी के निर्णय को अपहोल्ड करते हुए, Article 370 की वैधता पर ठप्पा लगा दिया। 2019 में मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस कदम से कुछ क्रांतिकारी दुखी थे और उन्होंने कोर्ट में केस कर दिया था। उनका दुःख जो है वो अब और बढेगा।

चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड ने कहा कि Article 370 एक टेम्पररी व्यवस्था थी, उनके कहने का तात्पर्य यह था की यह व्यवस्था वैसे ही थी जैसे किसी घाव पे बैंड एड लगा दिया जाए। उस समय कश्मीर में लड़ाई वडाई चल रही थी। लेकिन अब लड़ाई नहीं है तो बैंड एड को भी निकालना सही रहेगा।

प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह फूले नहीं समा रहे थे। राष्ट्रवादी उत्सव मना रहे थे लेकिन दूसरी और, वामपंथी गुफाओं में रुदन हो रहा था, चूड़ियाँ टूट रही थी। कहीं दीप जले कहीं दिल। भारत के लगभग सभी लिबरल लंगूरों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। प्रतिक्रिया तो खैर क्या थी आंसूओं की नदी थी।

बेक़ैफ़ था दिसम्बर, जज़्बात मर चुके थे

मौसम था सर्द उसमें, अरमां बिखर चुके थे

चलिए अब ज़रा उनके रिएक्शन देखते हैं, कुछ खट्टे, कुछ मीठे, कुछ नमकीन, कुछ जो होकर भी नहीं थे।

सबसे पहले पाकिस्तान का रिएक्शन देखिये, वहां की सरकार कहती है – भारत के सुप्रीम कोर्ट का वर्डिक्ट बकवास है और इसकी कोई अन्तराष्ट्रीय वैधता नहीं है। अरे बेटे पाकिस्तान तुम्हारी साले खुद की अन्तराष्ट्रीय वैधता नहीं है तुम हमको ज्ञान दे रहे हो। ये होनुलुलू के साथ पाकिस्तान का मैच है क्या कि बोब्ज़ी द किंग कर लेगा।

सीताराम येचुरी जो कि कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष हैं और महामूर्ख भी हैं उन्होंने सीपीएम का एक प्रेस रिलीज़ शेयर किया जिसमे लिखा था कि Article 370 verdict ने जम्मू कश्मीर के डाउनग्रेडिंग पर बात तक नहीं की, शायद आगे राज्य बन जाए पर आधा अधूरा पर पता नहीं कब बनेगा क्योंकि गारंटी नहीं”, अगर आप कन्फ्यूज़ हुए हैं तो घबराइये नहीं  इन्हें स्वयं नहीं पता कि ये क्या बोल रहे हैं – बस नाम ही सीताराम, हरकतें नरान्तक-देवांतक वाली हैं।

इस्लामिस्ट सबा नकवी बोली “लेकिन स्टेटहुड तो लौटा दो न जम्मू कश्मीर का”। सबा अक्सर लम्बे चौड़े व्याख्यान देती हैं लेकिन इस टाइम कम शब्दों में ही चुप हो गयी क्योंकि राष्ट्रवादी हिन्दुओं की इनके ऊपर सदैव वक्र दृष्टि होती है।

फिर आते हैं क्रांतिकारी, बहुत क्रांतिकारी पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपाई – भाई ने बस न्यूज़ रिपोर्ट कर दी कुछ बोला ही नहीं शायद अभी छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के परिणाम के बाद मिली डिजिटल कुटाई नहीं भूले हैं। इतना काहे डरते हो राजा।

अरफा खानुम शेरवानी एकदम पगला गयी, कहती है – Article 370  पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बहुत ही शर्मनाक है। लोगो का विश्वास कोर्ट से उठता जा रहा है, अब किसी को ऐसे कोर्ट पर कैसे विश्वास रहेगा? हाहाहा, अरे बहन जी, आपको भी पता है और हमको भी कि आपके विश्वास से चले तो मेजोरिटी वालों को देश छोड़ना पड़ जाएगा।

सागरिका घोष ने The Hindu का एक लेख साझा किया जिसमे लिखा था “संघीय ढाँचे पर सबसे बड़ा प्रहार”। इसके अलावा बहन कुछ नहीं बोली। बहन 2017-18 तक खुल के अनाप शनाप बोलती थी अब शांत है, बस ऐसे आर्टिकल वगैरह शेयर कर के अपना Passive Aggression दिखाती है।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्लाह ने कहा “दुखी हूँ पर दिल नहीं टूटा। संघर्ष जारी रहेगा। # WeShallOvercome # Article370।” सही बात है ओमर भाई जान, संघर्ष में जो आनंद है वो सत्ता में कहाँ। ये सत्ता वत्ता भाजपा के लिए छोडिये, आप तो भाई जान संघर्ष ही कीजिये।

कपिल सिबल ने बड़ी विचित्र तरीके से बोला, कहा – सुप्रीम कोर्ट। पूर्ण विराम। Article 370 Verdict। पूर्ण विराम। कुछ के लिए जबरदस्त। पूर्ण विराम। कुछ के लिए दमघोंटू। पूर्ण विराम।कोर्ट के निर्णय का सरकार के निर्णय से कुछ लेना देना नहीं। पूर्ण विराम। बीस शब्दों में चौहत्तर पूर्णविराम!! ऐसा लग रहा था कि सिब्बल मन ही मन अपनी कुंठा पिए जा रहे थे और पिए भी क्यों न – अगर मिलोर्ड्स भड़क गए तो लेने के देने पड़ जायेंगे। वैसे भी १० साल से सब केस हारे ही जा रहे हैं।

इस्लामिस्ट धुरंधर शोएब दानियाल ने कहा “Schrodinger’s का कोर्ट: संघीय ढांचा हमारी नींव है परन्तु दिल्ली वाले अपने आप राज्यों का विलयन कर सकते हैं” ये वाला स्टेटमेंट कोर्ट के अपमान जैसा दिख रहा है पर ये कोर्ट वाले ही समझे हमारा काम तो बस दिखाना है।

एक लोकतंत्र में सबको बोलने का अधिकार होना चाहिए लेकिन ये सब उल्टियां देख कर लगता है कि कुछ लोग चुप रहे तो ही देश का भला है।

Exit mobile version