हाल के वर्षों में, भारत की अखंडता के खिलाफ साजिश रचने वाले चरमपंथी गुटों ने कनाडा, पाकिस्तान, मलेशिया और अन्य दूर देशों में शरण ली है। हालांकि, हाल की घटनाएं एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती हैं, क्योंकि हाई-प्रोफाइल चरमपंथियों को अभूतपूर्व परिणामों का सामना करना पड़ रहा है। अभूतपूर्व परिणाम का तात्पर्य है आकस्मिक मृत्यु।
2 दिसंबर को पाकिस्तान में जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे आतंकवादी लखबीर सिंह रोड की मौत इसी श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। प्रतिबंधित संगठन ‘खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स’ का प्रमुख रोड कथित तौर पर लाहौर में रहते हुए भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। उसकी मृत्यु इस्लामी चरमपंथियों और सिख अलगाववादियों के खिलाफ एक व्यवस्थित अभियान की और इंगित करती है, जो भारत द्वारा एक सशक्त रणनीतिक कदम है हालांकि भारत इसका ढोल नहीं पीटने वाला।
रोड का मामला कोई विशेष नहीं है बल्कि अन्य चरमपंथियों के असामयिक निधन वाले पैटर्न में ही साफ साफ़ दिखता है। एक अन्य घटना में, खालिस्तान कमांडो फोर्स के अमरजीत सिंह पंजवार की लाहौर में उनके ठिकाने के बाहर हत्या कर दी गई थी। यह समन्वित प्रयास, हालांकि भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) द्वारा स्पष्ट रूप से स्वीकार नहीं किया गया है, परन्तु किसी को भी रॉ के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संलिप्तता पर कोई शंका नहीं होनी चाहिए।
जालंधर में हिंदू पुजारियों की हत्या की साजिश रचने के लिए भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन. आई. ए.) द्वारा वांछित घोषित किए जाने के ठीक एक साल बाद, हरदीप सिंह निज्जर को 18 जून 2023 को कनाडा के सर्रे में अज्ञात हमलावरों द्वारा मार दिया गया था।
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एक अन्य गैंगस्टर, सुक्खा दुन्की 2017 में भारत से कनाडा भाग गया था और उसके खिलाफ सात आपराधिक मामले दर्ज थे। कनाडा से मिली खुफिया जानकारी से पता चलता है कि अंतर-गिरोह प्रतिद्वंद्विता में उसकी हत्या की गई थी, लेकिन इस हत्या को भी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ से जोड़ा गया है।
कुख्यात गैंगस्टर से आतंकवादी बने, हरविंदर सिंह रिंडा का लाहौर के एक अस्पताल में कथित तौर पर ‘ड्रग ओवरडोज’ के कारण निधन हो गया।
और इसके अलावा, चरमपंथ पर भारत की कार्रवाई केवल अपनी सीमाओं या पड़ोसी पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं है। कनाडा, थाईलैंड और इटली में हाल की घटनाएं इसी रणनीति का उदाहरण हैं। थाईलैंड से, खालिस्तानी आतंकवादी कुलविंदरजीत सिंह उर्फ खानपुरिया को निर्वासित कर दिया गया था और इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते ही खानपुरिया एन. आई. ए. द्वारा तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। इटली में, फिरोजपुर के गैंगस्टर हैप्पी संघेरा की भी असामयिक मृत्यु हुई थी।
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कनाडा और अमेरिका द्वारा अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने और चरमपंथी निज्जर की मौत को लेकर भू-राजनीतिक तनाव पैदा करने के प्रयासों के बावजूद, नरेंद्र मोदी के दृढ़ नेतृत्व में भारत ने स्पष्ट रूप से अपनी स्थिति पर जोर दिया है। यह पुराना इंडिया नहीं है बल्कि मोदी का भारत है, यहाँ बदमाशी की तो घर में घुस के मारा जाएगा।
भारत वैश्विक नैरेटिव में एक महत्वपूर्ण बदलाव कर रहा है, जो स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। बाहरी दबावों के खिलाफ अवज्ञा की पटकथा को मजबूती से लिखने के साथ, भारत, नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में, आत्मविश्वास के साथ भविष्य की ओर बढ़ रहा है। विश्व मंच पर इसका प्रभाव न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता और ताकत के नए अध्याय को चिह्नित करता है।
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