गुरुवार को जीएसटी (GST) अधिकारियों द्वारा जारी किए गए 400 करोड़ रुपये के नोटिस के बाद, ज़ोमैटो (Zomato) के शेयरों में 4% से अधिक की गिरावट हो गई है। इस नोटिस का कारण है “डिलीवरी शुल्क” के रूप में वर्गीकृत बकाया। इससे जुड़े तकनीकी कारणों के बारे में जानकारी दी गई है, जिससे खाद्य वितरण कंपनी को जांच के दायरे में डाला गया है।
पिछले महीने, जीएसटी (GST) इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने लंबित जीएसटी (GST) बकाया के संदर्भ में मांग नोटिस जारी किया था। इसमें, जोमैटो और उसके प्रतिद्वंद्वी स्विगी दोनों को टारगेट किया गया था।
जिसमे ज़ोमैटो (Zomato) को लगभग 400 करोड़ रुपये से अधिक की मांग का सामना करना पड़ा है, जबकि स्विगी से लगभग 350 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने की मांग की गई है। जिससे कंपनी के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। जीएसटी (GST) अधिकारियों द्वारा यह नियामक हस्तक्षेप तेजी से बढ़ते खाद्य वितरण क्षेत्र के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करने के व्यापक प्रयास के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
जोमैटो की मंदी पर बाजार की प्रतिक्रिया स्थिति की गंभीरता को दर्शाती है, जिसमें निवेशक बकाया जीएसटी (GST) दायित्वों को पूरा करने के लिए कंपनी की क्षमता की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। जिसके करण जोमैटो और स्विगी दोनों को इन नियामक चुनौतियों का सामना करना पर रहा हैं। ऐसे मे खाद्य वितरण उद्योग पर इसका क्या व्यापक प्रभाव पड़ेगा वो अभी देखा जाना बाकी है।
इस मामले में जोमैटो ने जवाब देते हुए कहा है कि वह डिलीवरी शुल्क पर कर भुगतान के लिए जिम्मेदार नहीं है। कंपनी ने यह तर्क दिया है कि ये शुल्क उनके वितरण भागीदारों की ओर से उनके संविदात्मक समझौतों के अनुसार लिये जाते हैं। ज़ोमैटो (Zomato) ने नियामक अधिकारियों को स्पष्ट किया कि, इन अनुबंधों के अनुसार, यह डिलीवरी पार्टनर हैं जो ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करते हैं, न कि ज़ोमैटो (Zomato) स्वयं। अब कंपनी कारण बताओ नोटिस का विस्तृत जवाब देने की तैयारी कर रही है।
जोमैटो इस बात पर दृढ़ है कि वह उल्लिखित कर भुगतान के लिए उत्तरदायी नहीं है और उसने इस बात पर जोर दिया है कि अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है। वहीं कंपनी इस मामले पर अपनी मजबूत स्थिति को लेकर आश्वस्त है। ज़ोमैटो (Zomato) के प्रतिद्वंद्वी स्विगी के खिलाफ एक समान कार्रवाई हुई है, क्योंकि दोनों कंपनियों को पिछले महीने डिलीवरी शुल्क के संबंध में जीएसटी (GST) नोटिस प्राप्त हुआ था। अब जब कि ज़ोमैटो (Zomato) इस नियामक चुनौती से निपट रहा है, बाजार उत्सुकता से निरीक्षण कर रहा है कि कंपनी इन चिंताओं और खाद्य वितरण उद्योग पर संभावित प्रभाव को कैसे संबोधित करती है।
इस मामले में ज़ोमैटो (Zomato) और स्विगी का कहना हैं कि ‘डिलीवरी शुल्क’ अनिवार्य रूप से उनके डिलीवरी स्टाफ द्वारा प्रदान की गई सेवा के लिए भुगतान है। हाल ही में एक अपडेट में, स्विगी ने अपने प्लेटफॉर्म शुल्क को प्रति फूड ऑर्डर 2 रुपये से बढ़ाकर 3 रुपये कर दिया है। स्विगी के एक प्रवक्ता के अनुसार, प्लेटफ़ॉर्म शुल्क में यह वृद्धि विभिन्न सेवा उद्योगों में देखी जाने वाली सामान्य प्रथाओं के अनुरूप है।
इससे पहले ज़ोमैटो (Zomato) ने भी अपना प्लेटफ़ॉर्म शुल्क बढ़ाया था, इसे शुरुआती 2 रुपये से बढ़ाकर 3 रुपये प्रति ऑर्डर कर दिया था। डिलीवरी शुल्क के बदलाव से उद्योग के भीतर बातचीत शुरू हो गयी है। जबकि दोनों खाद्य वितरण दिग्गज इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ‘डिलीवरी चार्ज’ उनके डिलीवरी कर्मियों द्वारा प्रदान की गई सेवा के अनुरूप है। फ़ूड डिलीवरी कंपनी द्वारा प्लेटफ़ॉर्म शुल्क में यह बदलाव उद्योग के भीतर एक व्यापक प्रवृत्ति का संकेत देता है और खाद्य वितरण सेवाओं के वित्तीय पहलुओं के आसपास चल रही चर्चाओं पर प्रकाश डालता है। अब बस यह देखना बाकी है कि इस तरह के बदलाव से प्रतिस्पर्धी खाद्य वितरण बाजार की गतिशीलता और ग्राहकों की धारणाओं को कैसे प्रभावित करेंगे।
इस नकारात्मक खबर का असर ज़ोमैटो (Zomato) के स्टॉक मूल्य पर दिख रहा है, जो हाल ही में अपने उच्चतम स्तर के करीब था। इस मामले को देखते हुए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए और कर आरोप का मुद्दा सुलझने तक और स्टॉक नहीं खरीदने चाहिए।
वहीं इस खबर ने कंपनी को रडार पर रख दिया है जिससे किसी भी नकारात्मक भावना से कंपनी में विश्वास कम हो जाएगा और निवेशक अपनी हिस्सेदारी कम कर देंगे। ज़ोमैटो (Zomato) शुरू से ही एक प्रतिष्ठित कंपनी रही है, लेकिन पिछले कुछ महीने ज़ोमैटो (Zomato) के लिए कठिन रहे हैं क्योंकि कंपनी अपनी लाभप्रदता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है और अब ऐसी खबरें कंपनी के विकास पथ में गिरावट की आशंकाओं को बढ़ाने वाली हैं।