भारतीय नौसेना की लाल सागर में हाल की कार्रवाइयों ने दिखा दिया है कि वह समुद्र में अपने देश के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम है। कुछ दिन पहले ही एक व्यापारिक जहाज ने अदन की खाड़ी से गुजरते समय इमरजेंसी कॉल की थी। इस दौरान वहां मौजूद भारतीय युद्धपोत आईएनएस विशाखापत्तनम ने त्वरित और प्रभावी कार्रवाई कर व्यापारिक जहाज मार्लिन लुआंडा की मदद की।
भारतीय नौसेना ने टैंकर की आग को बुझाया
आग पर काबू पाने के लिए गाइडेड मिसाइल विध्वंसक के चालक दल के साथ एमवी के चालक दल भी शामिल थे। आईएनएस विशाखापत्तनम ने एक संकट कॉल का जवाब दिया और व्यापारी जहाज को समय पर सहायता प्रदान करने के लिए आगे बढ़ा। आईएनएस विशाखापत्तनम की अग्निशमन टीम में फायरफाइटिंग उपकरणों के साथ 10 भारतीय नौसेनिक शामिल थे।
भारतीय नौसेना के इस कार्य की दुनियाभर के विशेषज्ञों ने प्रशंसा की है। यह जहाज यमन के हूती विद्रोहियों के ड्रोन हमले का शिकार हुआ था। आईएनएस विशाखापत्तनम ने न सिर्फ मार्लिन लुआंडा पर लगी आग बुझाई, बल्कि उसके क्रू की भरपूर मदद भी की। इस घटना में भारतीय नौसेना की त्वरित प्रतिक्रिया को विशेषज्ञों ने एक नई महाशक्ति का उदय बताया है।
चीन की आलोचना, भारत की तारीफ
विशेषज्ञों ने कहा कि यह घटना जहां हुई, उसी के पास जिबूती में विश्व शक्ति माने जाने वाले चीन का एक नौसैनिक अड्डा भी है। लेकिन, चीन ने उस व्यापारिक जहाज से आई मदद की कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। उस वक्त सिर्फ भारतीय नौसेना ने त्वरित प्रतिक्रिया दी और मौके पर पहुंचकर कार्रवाई की।
इतिहासकार और शोधकर्ता मार्टिन सॉरब्रे ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट किया, “भारत ने टेकओवर कर लिया। महाशक्ति का उदय हो रहा है। चीन की चापलूसी करना बंद करो।” ब्रिटिश पत्रकार मार्क अर्बन ने भी इसे ‘आकर्षक’ बताया कि अदन की खाड़ी और लाल सागर में संकट के बीच चीन नहीं, बल्कि भारत खड़ा हुआ है।
भारतीय नौसेना के काम की प्रशंसा
मार्क अर्बन ने एक्स पर पोस्ट किया, “उभरती महान शक्तियों के बीच यह देखना दिलचस्प है कि भारत अदन की खाड़ी और लाल सागर में संकट से कैसे उबरा है। चीन उतना नहीं। ” यूएई के हसन सजवानी ने पोस्ट किया, “भारत की नौसेना ने अदन की खाड़ी में रूसी तेल उत्पाद ले जा रहे ब्रिटिश तेल टैंकर मार्लिन लुआंडा पर लगी आग को बुझाने और सुरक्षित करने में मदद की है।”
चीन की आलोचना कर रहे विशेषज्ञ
विदेशी मामलों के विशेषज्ञ अभिजीत अय्यर-मित्रा ने भी जिबूती में नौसैनिक अड्डा होने के बावजूद अरब सागर में नौवहन संपत्तियों को सुरक्षा प्रदान नहीं करने के लिए चीन को आड़े हाथों लिया। मित्रा ने एक्स पर पोस्ट किया, “भारत अरब सागर में शिपिंग को सुरक्षा प्रदान कर रहा है, जबकि जिबूती में बेस वाला चीन ऐसा नहीं कर रहा है।” इससे पहले, भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विशाखापत्तनम की फायर फाइटिंग टीम ने बीते दिनों व्यापारिक जहाज मार्लिन लुआंडा में लगी आग पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया था।
हमास के समर्थन में हो रहे हमले
दरअसल, लाल सागर में इन हमलों का सीधा मकसद उन सभी देशों को नुकसान पहुंचाना है, जो किसी न किसी तरह से इजरायल का समर्थन कर रहे हैं या जिन देशों के इजरायल से दोस्ताना संबंध हैं। अक्टूबर, 2023 में आतंकी संगठन हमास और इजरायल के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद से ही हूती विद्रोहियों के हमले बढ़े हैं।
भौगोलिक दृष्टि से हूती यमन की कोस्टलाइन के एक ऐसे क्षेत्र को कंट्रोल करते हैं जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस व्यापार में इसराइल का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसी रास्ते से उन्होंने इसराइल से जुड़े समुद्री जहाज गैलेक्सी लीडर को हाईजैक किया और उसे अल हदीदा की बंदरगाह के पास ले गए थे।
नवंबर से अब तक हूती बीस से अधिक बार समुद्री जहाजों पर हमले कर चुके हैं। इन हमलों के कारण न केवल इसराइल बल्कि वैश्विक स्तर पर व्यापार को नुकसान पहुंच रहा है।
अमेरिका और ब्रिटेन समेत बारह बड़े देशों ने चेतावनी दी की है कि हूती विद्रोहियों ने अगर यह हमले जारी रखे तो उनको नतीजे भुगतने पड़ेंगे। पश्चिमी सहयोगियों के समुद्री जहाजों ने जवाबी हमले भी किए हैं। इस तरह ये शक्तियां सीधे तौर पर इस विवाद में शामिल हो गई हैं।
इन विद्रोहियों की मदद कौन करता है?
हूती विद्रोही लेबनान के सशस्त्र शिया समूह हिजबुल्लाह के मॉडल से प्रेरणा लेते हैं। अमेरिका के रीसर्च इंस्टिट्यूट ‘कॉम्बैटिंग टेररिजम सेंटर’ के अनुसार, हिज्बुल्लाह ही उन्हें 2014 से बड़े पैमाने पर सैन्य विशेषज्ञता और ट्रेनिंग दे रहा है। हूती खुद को ईरान का सहयोगी भी बताते हैं क्योंकि उनका साझा दुश्मन है सऊदी अरब है। शक जताया जाता है कि हूती विद्रोहियों को ईरान हथियार भी दे रहा है।
अमेरिका और सऊदी अरब कहते हैं कि ईरान ने हूती विद्रोहियों को बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस किया था, जिनका इस्तेमाल 2017 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद पर हमले के लिए किया गया था। इन मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया गया था।
सऊदी अरब ने ईरान पर हूती विद्रोहियों को क्रूज़ मिसाइल और ड्रोन देने का भी आरोप लगाया है, जिन्हें 2019 में सऊदी अरब के तेल कारखानों पर हमले के लिए इस्तेमाल किया गया था।
यूरोपीय यूनियन की संसद के पूर्व सदस्य और विश्लेषक सट्रूआन स्टीवेंसन कहते हैं कि ईरान के समर्थन से लाल सागर में समुद्री जहाजों पर हमले निश्चित तौर पर वह पल है जब बात हद से आगे बढ़ गई है।
भारतीय नौसेना करेगी सुरक्षा प्रदान
ईरान समर्थक हूती विद्रोही दावा तो इजरायली जहाजों पर मिसाइल हमले करने का कर रहे हैं लेकिन उसकी चपेट में दुनिया के अन्य जहाज भी आ रहे हैं। व्यापारिक जहाजों पर हमलों की हालिया घटनाओं के मद्देनजर भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी में अपने कई खतरनाक युद्धपोत तैनात किए हैं. इनमें अग्रिम पंक्ति के विध्वंसक और पोत शामिल हैं।
बताते चले कि इस महीने की शुरुआत में, भारतीय नौसेना ने 17 जनवरी की रात को अदन की खाड़ी में एमवी जेनको पिकार्डी पर ड्रोन हमले के बाद उसके संकटकालीन कॉल का जवाब दिया था। इसके बाद 5 जनवरी को, इसने लाइबेरिया के ध्वज वाले जहाज एमवी लीला नॉरफोक के उत्तरी अरब सागर में अपहरण के प्रयास को विफल कर दिया था और उसके सभी चालक दल के सदस्यों को बचाया लिया था जिसमें 15 भारतीय भी शामिल थे।