मारुति को पछाड़ देश की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी टाटा मोटर्स

टाटा मोटर्स बाजार पूंजीकरण अर्थात मार्केट कैप के हिसाब से देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी बन गयी है। अब तक मारुति सुजुकी इंडिया(MSI) इस मामले में पहले स्थान पर थी।

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उद्योगपति रतन टाटा के जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब वह अपनी एक ड्रीम कंपनी को बेचने वाले थे। लेकिन जब बात नहीं बनी, तो उन्होंने उस कंपनी में और निवेश किया और आज ये कंपनी टाटा ग्रुप के लिए किस्मत का दरवाजा खोल रही है। मंगलवार को इस कंपनी ने शेयर बाजार में झंडे गाड़े और ये मार्केट की ‘बिग बुल’ बन गई।

जी हां, हम बात कर रहे हैं टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा मोटर्स(TATA MOTORS) की। मंगलवार को बाजार पूंजीकरण अर्थात मार्केट कैप के हिसाब से देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी बन गयी है। अब तक मारुति सुजुकी इंडिया(MSI) इस मामले में पहले स्थान पर थी। कंपनी के बाजार पूंजीकरण में उसके मूल्यांकन के अलावा डीवीआर (डिफरेंशियल वोटिंग राइट्स) शेयर शामिल हैं। हालांकि,सेल्स के मामले में आज भी मारुति सुजुकी इंडिया देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी है।

टाटा मोटर्स का एमकैप 2,85,515.64 करोड़ रुपये जबकि टाटा मोटर्स लि. डीवीआर का बाजार पूंजीकरण 29,119.42 करोड़ रुपये रहा। कुल मिला कर यह 3,14,635.06 करोड़ रुपये रहा। यह मारुति के 3,13,058.50 करोड़ रुपये के मूल्यांकन से 1,576.56 करोड़ रुपये अधिक है। सेंसेक्स और निफ्टी कंपनियों में टाटा मोटर्स सर्वाधिक लाभ में रहने वाली कंपनियों में शामिल रही। 

डीवीआर(डिफरेंशियल वोटिंंग राइट्स) शेयर सामान्य इक्विटी शेयरों की तरह होते हैं लेकिन इसमें मतदान अधिकार और लाभांश अधिकार अलग होता है। कंपनियां जबरिया अधिग्रहण को रोकने, खुदरा निवेशकों को जोड़ने आदि कारणों से डीवीआर जारी करती हैं। 

आइए अब तोड़ा देश की इन दोनों कंपनियों के इतिहास के बारे में जानते है कि कैस ये कंपनियां इस मुकाम तक पहुंची। 

1990 के दशक में मारुति का दबदबा

मारुति सुजुकी, जिसे पहले मारुति उद्योग लिमिटेड के नाम से जाना जाता था, जापानी वाहन निर्माता सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन की सहायक कंपनी है। 1981 में स्थापित, मारुति सुजुकी ने भारतीय ऑटोमोटिव क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई। कंपनी का गठन भारत सरकार और सुजुकी के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में किया गया था, जिसका प्राथमिक लक्ष्य भारतीय बाजार के लिए किफायती और ईंधन-कुशल वाहन बनाना था।

भारतीय बाजार में मारुति सुजुकी की यात्रा प्रतिष्ठित मारुति 800 से शुरू हुई, जिसे 1983 में लॉन्च किया गया था। यह कॉम्पैक्ट और किफायती कार जल्द ही मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं और जरूरतों का प्रतीक बन गई। कंपनी को 1990 के दशक की शुरुआत तक भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में एक आभासी एकाधिकार प्राप्त था, जिसका मुख्य कारण सीमित प्रतिस्पर्धा और इसके छोटे और किफायती मॉडलों की लोकप्रियता थी।

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ऑटो सेक्टर में टाटा मोटर्स का शुरुआती दौर

वहीं, दूसरी ओर, टाटा मोटर्स टाटा समूह का एक हिस्सा है, जो एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह है। टाटा मोटर्स ने 1950 के दशक के शुरुआत में वाणिज्यिक वाहनों के उत्पादन के साथ ऑटोमोटिव उद्योग में प्रवेश किया। हालांकि, शुरुआती वर्षों में यात्री कार सेक्टर में टाटा की उपस्थिति काफी लिमिटेड थी।

टाटा मोटर्स का यात्री कार बाजार में प्रवेश 1998 में टाटा इंडिका के लॉन्च के साथ शुरू हुआ। इंडिका टाटा मोटर्स के लिए एक ऐतिहासिक उत्पाद था, यह पहली यात्री कार थी जिसे पूरी तरह से भारत में डिजाइन और उत्पादित किया गया था। इस हैचबैक ने अपने विशाल इंटीरियर और ईंधन दक्षता के लिए ध्यान आकर्षित किया था। हालांकि, तब इस कार को बाजार से उतना अच्छा रेस्पोंस नहीं मिल पाया था। 20 सालों तक सड़कों पर राज करने वाली इस कार को कंपनी ने 2018 में डिस्कंटीन्यू करने का फैसला लिया था।

टाटा इंडिका की कहानी 

प्रारंभिक चुनौतियों के बावजूद, टाटा इंडिका एक प्रतिष्ठित कार बन गई, जो यात्री कार खंड में टाटा मोटर्स के क्रमिक विस्तार का प्रतीक थी। इस सफलता ने आगे के नवाचारों और उत्पाद विविधीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।

सारांश में, शुरुआती वर्षों में जहां मारुति सुजुकी ने भारतीय बाजार में एकाधिकार का आनंद लिया, वहीं टाटा मोटर्स ने सुस्त शुरुआत के साथ यात्री कार खंड में प्रवेश किया, अतः प्रतिष्ठित टाटा इंडिका ने मार्केट में अपनी छाप छोड़ी और भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया।

मारुति में दिखा इनोवेशन और सुरक्षा को लेकर अभाव

मारुति सुजुकी भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में एक प्रमुख शक्ति रही है, उत्पाद पेशकश के मामले में इसकी कथित नवीनता की कमी को लेकर आलोचनाएं होती रही हैं। कुछ आलोचकों का तर्क है कि मारुति ने अपने स्थापित मॉडलों पर बहुत अधिक भरोसा किया है और वैश्विक रुझानों की तुलना में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों या अद्वितीय डिजाइनों को पेश करने में पीछे रही है। 

इसके अतिरिक्त, मारुति के कुछ पुराने मॉडलों में यात्री सुरक्षा के प्रति भी चिंताएं रही हैं। कंपनी को अपने कुछ प्रतिस्पर्धियों की तरह सुरक्षा सुविधाओं को प्राथमिकता नहीं देने के लिए आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है।

इनोवेशन के प्रति टाटा की प्रतिबद्धता

इसके विपरीत, टाटा मोटर्स को इनोवेशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए पहचाना जाता है, विशेष रूप से अपने वाहनों के डिजाइन और प्रौद्योगिकी पहलुओं में। कंपनी ने अपने उत्पादों में उन्नत सुविधाएं और सुरक्षा तकनीक लाने के लक्ष्य के साथ अनुसंधान और विकास में भारी निवेश किया है। 

इनोवेशन पर यह फोकस टाटा मोटर्स के हालिया मॉडलों, जैसे कि हैरियर (एसयूवी) और नेक्सॉन (इलेक्ट्रिक वाहन) में स्पष्ट तौर पर देखने को मिलता है। टाटा की इन गाड़ियों ने अपने आधुनिक डिजाइन और तकनीकी प्रगति के लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है।

गेम-चेंजर कारें: टाटा हैरियर और नेक्सॉन ईवी

2019 में पेश की गई टाटा हैरियर अपने आकर्षक डिजाइन, मजबूत फीचर्स और प्रतिस्पर्धी कीमत के साथ एसयूवी सेगमेंट में गेम-चेंजर साबित हुई है। टाटा मोटर्स इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सेगमेंट में भी अग्रणी रही है, टाटा नेक्सन ईवी एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प प्रदान करती है।

मारुति की स्विफ्ट पर अत्यधिक निर्भरता 

कुछ सफल मॉडलों, विशेष रूप से स्विफ्ट पर मारुति सुजुकी की अत्यधिक निर्भरता की आलोचना होती रही है, जबकि स्विफ्ट कंपनी के लिए लगातार बेस्ट-सेलर रही है, मारुति सुजुकी को भारतीय बाजार में टोयोटा, होंडा और हुंडई जैसे अन्य वैश्विक और घरेलू ब्रांडों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। ये प्रतिस्पर्धी अक्सर नए मॉडल, नवीन सुविधाएं और उन्नत प्रौद्योगिकियां पेश करते हैं, जिससे मारुति के लिए अपनी मार्केट में हिस्सेदारी बनाए रखने और तेजी से विकसित हो रहे ऑटोमोटिव सेक्टर में आगे रहने के लिए चुनौतियां पैदा हो रही हैं।

निष्कर्ष

हालांकि मारुति सुजुकी ने भारतीय बाजार पर अपना दबदबा बना रखा है, लेकिन इनोवेशन और सुरक्षा को लेकर कंपनी की आलोचनाएं जारी हैं। वहीं, इनोवेशन, सुरक्षा और गेम-चेंजिंग मॉडल की शुरूआत पर टाटा मोटर्स का रणनीतिक फोकस इसे एक मजबूत प्रतियोगी के रूप में स्थापित करता है। भारतीय ऑटोमोटिव बाजार की गतिशील प्रकृति दोनों कंपनियों को चुनौती दे रही है क्योंकि वे उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं और उद्योग के रुझानों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। 

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