संसद में बजट सत्र चल रहा है। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान कहा था सरकार यूपीए सरकार की नाकामियों पर श्वेत पत्र(White Paper) लेकर आएगी। वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद 8 फरवरी को संसद में श्वेत पत्र पेश कर दिया गया है।
वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद से लोगों के मन में सवाल था कि आखिर यह श्वेत पत्र(White Paper) होता क्या है आईए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
वित्त मंत्री ने क्या कहा था
अंतरिम बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीए सरकार के दौरान लिए गए आर्थिक निर्णयों और देश पर उसके कारण पड़े दुष्प्रभाव के बारे में श्वेत पत्र लाने की घोषणा की थी।
अपने अंतरिम बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा था कि वर्ष 2014 में जब हमारी सरकार ने बागडोर संभाली थी, उस समय चरण-दर-चरण अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने और शासन प्रणाली को सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी।
समय की मांग थी कि लोगों को आशा की किरणें दिखे, निवेश आकर्षित किया जा सके और सुधार के लिए अत्यावश्यक समर्थन जुटाया जा सके। सरकार ने ‘राष्ट्र प्रथम’ के मजबूत विश्वास के साथ इसे सफलतापूर्वक हासिल किया कर लिया है।
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आईए अब जानते हैं श्वेत पत्र क्या होता है।
श्वेत पत्र की शुरुआत 102 साल पहले वर्ष 1922 में ब्रिटेन में हुई थी। यह किसी विषय के बारे में ज्ञात जानकारी या एक सर्वेक्षण/अध्ययन के परिणाम का सारांश होता है। एक श्वेत पत्र किसी भी विषय के बारे में हो सकता है, लेकिन यह हमेशा चीजों के काम करने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देता है।
यह आमतौर पर सरकार द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई या कम से कम एक निष्कर्ष के लिए प्रकाशित किया जाता है। एक श्वेत पत्र एक सरकार, कंपनी या गैर-लाभकारी संगठन द्वारा जारी एक सूचनात्मक दस्तावेज है जो किसी समाधान, उत्पाद या सेवा की विशेषताओं को बढ़ावा देने या उजागर करने के लिए जारी किया जाता है।
श्वेत पत्रों का उपयोग सरकारी नीतियों और कानून को प्रस्तुत करने और जनता की राय का आकलन करने की एक विधि के रूप में भी किया जाता है।
कौन जारी करता है श्वेत पत्र?
सरकार के अलावा कोई भी कंपनी, या संस्था श्वेत पत्र ला सकती है। आमतौर पर कंपनियां इसके जरिए अपनी स्थिति के बारे में बताती हैं। इससे कंपनी के ग्राहकों और उत्पादों के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलती है।
एक श्वेत पत्र में क्या-क्या होता है।
आर्थिक मामलों से जुड़े श्वेत पत्र में सरकार या किसी संस्था की आर्थिक नितियों, उसकी कमियों, उससे होने वाले दुष्परिणामों और सुधार हेतु सुझाव को शामिल किया जाता है, जबकि उत्पादन/तकनीक से जुड़े श्वेत पत्र में उस उत्पादन/तकनीक से जुड़ी विभिन्न जानकारियां शामिल होती हैं। संभावित श्वेत पत्र संभवत: देश की राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, व्यापार नीति और विनिमय दर नीति का आकलन और विश्लेषण करते हुए भारत की समग्र आर्थिक नीति का वर्णन करेगा।
आईए अब जानते हैं सरकार ने श्वेत पत्र में क्या-क्या कहा
इस श्वेत पत्र में यूपीए के शासन काल में हुए 15 घोटालों का जिक्र किया गया है। इसमें 2G स्कैम, कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला आदि शामिल हैं।
- श्वेत पत्र पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने बताया कि यूपीए सरकार में सार्वजनिक संसाधनों(कोयला और दूरसंचार) की गैर-पारदर्शी नीलामी की गई थी। सीएजी(CAG) के अनुमान अनुसार, कोयला गेट घोटाले से सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीडब्ल्यूजी(CWG) घोटाले ने बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता के माहौल का संकेत दिया और निवेश स्थल के रुप में भारत की इमेज पर खराब असर डाला था।
- वित्त मंत्री बताया कि कोयला घोटाले ने 2014 में देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया था। 2014 से पहले कोयला ब्लॉकों का आवंटन पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने आधार पर किया गया था। इसकी जांच एजेंसियों द्वारा जांच की गई और 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से आवंटित 204 कोयला खदानों/ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया था।
- वित्त मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार में डिफेंस सेक्टर में भी भ्रष्टाचार और घोटालों की वजह से निर्णय नहीं लिए जा सके थे। इस वजह से रक्षा तैयारियों से समझौता हुआ। सरकार ने तोपखाने, विमान भेदी तोपों, लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों, रात में लड़ने वाले गियर और कई अन्य इक्विपमेंट्स खरीदने में भी देरी की थी। जिसके दुष्परिणाम हमारी सेना को झेलने पड़े थे।
- वित्त मंत्री ने बताया कि एनडीए सरकार में यूपीए सरकार द्वारा छोड़ी गई चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है। यूपीए सरकार आर्थीक गतिविधियों को सहूलियत दे पाने में बुरी तरह नाकाम रही थी। इसने बाधाएं खड़ी की जिससे अर्थव्यवस्था आगे नहीं बढ़ पाई थी। 2014 से पहले के दौर की हरेक चुनौती से एनडीए सरकार के आर्थिक प्रबंधन एवं शासन के जरिये निपट लिया गया है। तमाम घोटाले हुए थे जिनसे सरकारी खजाने को बड़ी राजस्व क्षति हुई थी और राजकोषीय एवं राजस्व घाटा बढ़ा था।
कांग्रेस जवाब में लेकर आई ब्लैक पेपर
वहीं, दूसरी तरफ मोदी सरकार के श्वेत पत्र लाने के फैसले के बाद कांग्रेस भी ब्लैक पेपर लेकर सामने आई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ब्लैक पेपर को जारी किया। ब्लैक पेपर में सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने लोकतंत्र, रोजगार, बेरोजगारी, मंहगाई जैसे मुद्दे को उठाया है।
श्वेत पत्र के लिए क्यों चुना यही समय?
लोकसभा चुनाव नजदीक है और मोदी सरकार चुनाव के लिए तैयार है। सरकार विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती है। सरकार की ओर से पहले ही साफ कर दिया गया था कि सरकार बजट सत्र में श्वेत पत्र लाएगी और इसके जरिए स्पष्ट कर देगी कि मोदी सरकार देश में कितना बदलाव लेकर आई है।
साथ ही पिछले दो कार्यकाल में देश के लिए क्या-क्या किया। वहीं यूपीए सरकार का क्या हाल रहा था। श्वेत पत्र के जरिए एनडीए सरकार कांग्रेस के कुप्रबंधन को उजागर कर दिया है। इसका सकारात्मक असर लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है।