भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ स्टील्थ पनडुब्बी बेचने को तैयार स्पेन

भारतीय नौसेना लंबे समय से डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की खरीद की कोशिश कर रही है। इसके लिए भारतीय नौसेना ने कई साल पहले रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल भी जारी किया था। अब स्पेन ने भारत को एक प्रस्ताव दिया है।

स्पेन, भारत, रक्षा सौदा

भारतीय नौसेना लंबे समय से डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की खरीद की कोशिश कर रही है। इसके लिए भारतीय नौसेना ने कई साल पहले रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल भी जारी किया था। इसी बीच स्पेन ने भारतीय नौसेना को उनकी नवीनतम तकनीक के साथ लैस एस-80 क्लास स्टील्थ पनडुब्बी देने का एक ऑफर दिया है। 

इन पनडुब्बियों का निर्माण स्पेनिशन कंपनी नवंतिया ने किया है। स्पेन ने कहा है कि वह इन पनडुब्बियों की खरीद करने पर भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने को भी तैयार है। भारतीय नौसेना के इस पनडुब्बी प्रोजेक्ट को प्रोजेक्ट -75 इंडिया या पी-75 आई भी कहा जाता है। इसके तहत कॉन्ट्रैक्ट पाने वाली विदेशी कंपनी को भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण पूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ करना होगा।

स्पेन की इन एस-80 क्लास स्टील्थ पनडुब्बियों का यह प्रस्ताव भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ी संभावना है। इन पनडुब्बियों में एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) तकनीक लगी हुई है, जो इन पनडुब्बियों को अत्यंत मजबूत और प्रभावी बनाता है और जिससे ये अत्यधिक उच्च गति और स्वतंत्रता के साथ समुद्री क्षेत्रों में संचार कर सकती हैं। 

और पढ़ें:- UN में तुर्की और पाकिस्तान को भारत ने लगाई फटकार, कहा- कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा

क्या है एआईपी तकनीक

एआईपी प्रोपल्शन सिस्टम (Air-Independent Propulsion, AIP) एक तकनीक है जो पनडुब्बियों को एक अत्यधिक विकासशील और स्वतंत्र प्रोपल्शन प्रणाली प्रदान करती है। यह प्रणाली सामान्यत: डीजल-इलेक्ट्रिक प्रणालियों के साथ मिलाकर इस्तेमाल की जाती है, जिससे पनडुब्बियों को बिना सतह पर आए बिना भी सक्रिय रहने की क्षमता मिलती है। इसका मुख्य लक्ष्य पनडुब्बियों के उपयोग के समय उनकी प्रोपल्शन शक्ति को बढ़ाना है ताकि वे अधिक समय तक बिना सतह पर आएं अने खास ऑपरेश को प्राप्त कर सकें।

एआईपी प्रोपल्शन सिस्टम विभिन्न तकनीकों और प्रणालियों का उपयोग करता है, जैसे कि फायड्रो, स्टर्लिंग, फुएल सेल, इत्यादि, जिनसे इसकी कार्यक्षमता और परिचालन क्षमता बढ़ती है। यह प्रणाली बिना ऑक्सीजन के भी कार्य कर सकती है और प्राय: सतह के नीचे स्थित रहती है, जिससे इसे रेडार और सोनार से भी आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है।

एस-80 क्लास स्टील्थ पनडुब्बियों में इस प्रकार की एआईपी प्रोपल्शन सिस्टम लगी होती है, जिससे इन पनडुब्बियों में अत्यधिक उच्च गति, धीमी खपत और अधिक विकेन्द्रीकरण क्षमता होती है। यह सिस्टम पनडुब्बियों को लंबे समय तक बिना सतह पर आने के लिए योग्य बनाता है, जो उनकी ऑपरेशनल क्षमताओं को और भी मजबूत और उन्नत बना देती है।

स्पेन भारत से सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग के दे रहा संकेत

स्पेन इस प्रस्ताव के माध्यम से भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग के संकेत दे रहा है। यह समझने लायक है कि दोनों देशों के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में समन्वय और सहयोग की आवश्यकता है और यह प्रस्ताव इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही, इससे भारत को अपने रक्षा क्षेत्र में और उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर मिल सकता है और इससे उसकी स्वायत्तता और सुरक्षा में वृद्धि हो सकती है।

इस प्रस्ताव को भारतीय नौसेना के लिए गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा, तकनीकी विशेषज्ञों को इस प्रस्ताव की प्राथमिकता, योग्यता और उपयोगिता का मूल्यांकन करना चाहिए। भारत को इस अवसर को ध्यान में रखते हुए अपनी रक्षा योजनाओं को मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए उपयुक्त कदम उठाना चाहिए।

नवंतिया ने लार्सन एंड टुब्रो के साथ किया समझौता

स्पेनिश कंपनी नवंतिया ने पिछले साल जुलाई में एस-80 क्लास पनडुब्बी के निर्माण के लिए लार्सन एंड टुब्रो के साथ एक टीमिंग समझौते पर हस्ताक्षर किया था। ऐसे में अगर स्पेन की इस कंपनी को पनडुब्बी वाली डील मिलती है तो वह लार्सन एंड टुब्रो के साथ इन पनडुब्बियों का निर्माण कर सकता है। इस समझौते के बाद स्पेन अपने शीर्ष रक्षा अधिकारी एम्पारो वाल्कार्से को भारत भेजने की योजना बना रहा है। वह भारत में अपने समकक्षों और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात कर सकती हैं। उनका भारत दौरा 7 और 8 मार्च को प्रस्तावित है।

स्पेनिश रक्षा मंत्री जल्द करेंगे भारत का दौरा

रिपोर्ट के अनुसार, वाल्कार्से की भारत यात्रा के मुख्य एजेंडे में नवीनतम एआईपी तकनीक वाली छह स्टील्थ पनडुब्बियों की बिक्री है। स्पेन ने भारत को यह भी बताया है कि वे इस परियोजना के लिए सबसे उपयुक्त हैं, क्योंकि उसकी कीमत सभी प्रतिद्वंदियों की तुलना में काफी कम है। भारत को पनडुब्बी बेचने में जर्मनी की कंपनी थिसेनक्रुप ग्रुप भी शामिल है। हालांकि, भारत ने अभी किसी भी कंपनी के साथ डील को फाइनल नहीं किया है।

छह पनडुब्बियां खरीदना चाहता है भारत

भारतीय नौसेना 1990 के दशक में शामिल की गई डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के स्थान पर छह नई पनडुब्बियां खरीदना चाहता है। ये पनडुब्बियां एआईपी जैसी अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगी। भारत हिंद महासागर समेत दुनियाभर में अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा चीनी आक्रामकता को रोकने में भी ये पनडुब्बियां काफी कारगर साबित हो सकती हैं। पनडुब्बियां पानी के भीतर रहकर न सिर्फ दुश्मन की हरकतों पर नजर रख सकती हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर हमला भी कर सकती हैं।

क्या है भारत का प्रोजेक्ट -75 जिसके तहत खरीदी जा रही पनडुब्बियां

भारत का “प्रोजेक्ट-75” एक महत्वपूर्ण रक्षा परियोजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य है भारतीय नौसेना की सामरिक शक्ति को मजबूत करना। इस परियोजना के तहत, भारतीय नौसेना को प्रमुख रूप से अत्याधुनिक और प्रभावी प्रकार की  पनडुब्बियां प्रदान की जाती हैं।

“प्रोजेक्ट-75” का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना को नवीनतम और उन्नत पनडुब्बी प्रदान करना है, जिनमें सबसे उच्च तकनीकी और युद्ध क्षमताएं शामिल हों। इस परियोजना के तहत, पांच पनडुब्बियों का निर्माण भारत में ही किया जा रहा है, जिनमें स्टेल्थ, समर्थ सुरक्षा और प्रभावी ऑपरेशनल क्षमता को प्राथमिकता दी जा रही है।

यह परियोजना भारतीय नौसेना की सामरिक शक्ति को मजबूत करने के साथ-साथ, रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा देने का मुख्य उद्देश्य रखती है। इसके अलावा, यह प्रोजेक्ट भारत के आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इसके माध्याम से भारतीय रक्षा उद्योग के लोकल उत्पादनों को भी प्रोत्साहित किया जाता है।

“प्रोजेक्ट-75” के तहत भारतीय नौसेना ने कई साल पहले रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल भी जारी किया था। इसी के तहत अब स्पेन ने इसमें रूची दिखाई है। इस प्रोजेक्ट के तहत कॉन्ट्रैक्ट पाने वाली विदेशी कंपनी को भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण पूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ करना होगा।

स्पेन के भारत को अपनी एस-80 क्लास स्टील्थ पनडुब्बी देने का प्रस्ताव भारत और स्पेन के रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस प्रस्ताव के माध्यम से स्पेन ने अपनी उन्नत और प्रभावी पनडुब्बी तकनीक को भारत के साथ साझा करने का इरादा जताया है, जिससे भारतीय नौसेना को अत्यधिक उन्नत और सामरिक योजनाओं के लिए उचित तकनीकी साधन प्राप्त हो सकेगा। 

इस प्रस्ताव के माध्यम से भारत अपनी रक्षा योजनाओं को मजबूत करने और नौसेना की क्षमताओं को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाने के लिए एक अवसर प्राप्त कर सकता है। 

और पढ़ें:- ग्रेट निकोबार द्वीप को ‘हांगकांग’ में बदलने की तैयारी कर रहा भारत

Exit mobile version